भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में गत वर्ष कच्ची सड़क निर्माण कार्य के लिए काटे गए सैकड़ों पेड़ों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अब सख्त रुख अख्तियार किया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी की शिकायत पर एनजीटी ने एक कमेटी गठित की, जिसने गुरुवार को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहुंचकर निरीक्षण किया. कमेटी को मौके पर पेड़ काटने के प्रमाण भी मिले हैं. अब यह कमेटी छह सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को प्रस्तुत करेगी. गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कच्ची सड़क निर्माण के लिए सैकड़ों पेड़ काटने और हैविटाट नष्ट होने के मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था.
कमेटी ने किया निरीक्षण : बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने बताया कि मामले की एनजीटी में शिकायत दाखिल की गई थी. शिकायत पर एनजीटी ने उद्यान के निरीक्षण के लिए राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आरओ, जिला कलेक्टर, डीएफओ घना और शिकायतकर्ता डॉ. केपी सिंह की एक कमेटी गठित की. गुरुवार को जिला कलेक्टर की तरफ से एसडीएम, डीएफओ, आरओ और डॉ के पी सिंह की टीम ने उद्यान का निरीक्षण किया. तीन जगह का निरीक्षण किया गया, जिनमें से एक जगह पर पेड़ काटे जाने की स्थिति पाई गई. यानी वहां पर कच्ची सड़क निर्माण के लिए पेड़ काटे गए थे. डॉ. के पी सिंह ने बताया कि टीम ने उद्यान का निरीक्षण कर लिया है. अब कमेटी निरीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को भेजेगी. उसके बाद रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी आगे की कार्रवाई करेगी.
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नियम विरुद्ध झाड़ियां व पेड़ काटे : डॉ. केपी सिंह ने बताया कि उद्यान के अंदर 26 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क का निर्माण किया गया है. ऐसा संभव ही नहीं है कि इतने लंबे सड़क निर्माण में पेड़ ही न कटे हों, बल्कि उद्यान प्रशासन ने झाड़ियां भी काटी हैं और पेड़ भी काटे हैं. इतना ही नहीं इसके लिए ताज ट्राईपेजियम जोन (टीटीजेड) से अनुमति भी नहीं ली गई.
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यह है मामला : असल में वर्ष 2023 में घना में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में करीब 26 किमी क्षेत्र में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया.सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों व झाड़ियों को काट दिया गया है. इनमें देशी कदम, देशी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं. काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक थी. इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हैविटाट नष्ट हुआ. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हेविटाट नष्ट हो गया है. इससे सीधे सीधे ये जीव और पक्षी प्रभावित होंगे. साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां भी प्रभावित होंगी.
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ईटीवी भारत ने प्रकाशित किया था मुद्दा : इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थीं. 24 जनवरी, 2023 को ' बिना प्लानिंग होते रहे काम तो घना पक्षी अभ्यारण्य को उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान ', 20 जून 2023 को 'केवलादेव में उजड़ रहा वन्यजीवों का बसेरा ! काटे गए सैकड़ों पेड़... टीटीजेडी तक पहुंचा मामला' , 2 अगस्त 2023 को ' केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बिना अनुमति सैकड़ो पेड़ व झाड़ी काटे, जिम्मेदार बोले- नियमानुसार किया कार्य, जवाब से टीटीजेड संतुष्ट नहीं' शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर उद्यान प्रशासन की लापरवाही उजागर की थी. इसके बाद बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पहले टीटीजे में शिकायत की और उसके बाद एनजीटी का दरवाजा खटखटाया. डॉ. केपी सिंह का कहना है कि यदि एनजीटी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए तो हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.