रामगढ़ः जिले के मतकमा चौक से चुटूपालू तक बनने वाली लगभग 25 किलोमीटर की सड़क पर सफर कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि सड़क के बीचोंबीच कई पेड़ यूं ही छोड़ दिए गए हैं. ऐसे में सावधानी नहीं बरती तो बड़ा हादसा हो सकता है. वैसे पेड़ काटना हमारे पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है, लेकिन सड़क के बीचोंबीच इतने बड़े पेड़ों को छोड़ने से भीषण हादसे हो सकते हैं.
सड़क निर्माण के दौरान नहीं काटे गए पेड़
बताते चलें कि स्टेट हाइवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड द्वारा मतकमा चौक से चुटूपालू सड़क 84 करोड़ 77 लाख रुपये की लागत से बन रही है. कुल 25 किलोमीटर की सड़क पर ठेकेदार और विभागीय इंजीनियर की देखरेख में कोड़ी गांव के पास सड़क के बीचोंबीच चिन्हित पेड़ को बिना हटाए वहां सड़क का निर्माण करा दिया गया है. सड़क के बीच में सिमर और उससे दूर लगभग 30 मीटर दूर जामुन का पेड़ है. सिमर पेड़ पर लाल रंग से 398 नंबर और जामुन पेड़ पर लाल रंग से 399 नंबर लिखा हुआ है. इस सड़क का निर्माण कार्य केके बिल्डर्स द्वारा किया जा रहा है.
14 नवंबर 2022 को विधायक ने किया था सड़क का शिलान्यास
सड़क का शिलान्यास 14 नवंबर 2022 को विधायक अंबा प्रसाद ने किया था. 2023 में सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. इस सड़क का इस्तेमाल चिकोर, निम्मी, पाली, सांकी, सुद्दी, दाड़ीदाग, अरमादाग, कोड़ी, कडरु, जोबो, खपिया, बारीडीह सहित अन्य गांव के लोग करते हैं. जब यह सड़क का निर्माण पूरा हो जाएगा, तब इस इलाके के लोग रांची और रामगढ़ आने के लिए उपयोग करेंगे.
वन विभाग से नहीं मिली पेड़ काटने की अनुमति
आपको बता दें कि इस सड़क पर वन विभाग की ओर से पेड़ हटाने को लेकर सभी पेड़ों की नंबरिंग की गई है, लेकिन अभी पेड़ काटने की अनुमति नहीं मिली है. इस कारण मतकमा चौक से चूट्टूपालू तक बन रही सड़क के बीच चिन्हित पेड़ नहीं काटे गए हैं और न ही ग्रामीणों को जमीन का मुआवजा मिला है. इसके कारण 25 किलोमीटर की सड़क कार्य अवधि खत्म होने के बाद मात्र 6 से 7 किलोमीटर तक अस्थाई तौर पर ही बन पाई है.
सड़क निर्माण कंपनी के इंजीनियर ने कुछ कहने से किया इनकार
जब हमने इस पूरे मामले में सड़क निर्माण कार्य में लगी कंपनी के इंजीनियर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जो कहेंगे वरीय अधिकारी कहेंगे.
एनओसी मिलने के बाद पेड़ों की कटाई होगी
वहीं इस सड़क की गुणवत्ता की देखरेख करने वाले इंजीनियर से जब इस पूरे प्रकरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण या प्रोजेक्ट डिले हुआ है. पिछली बार इस निर्माणाधीन सड़क पर कई शिकायतें आई थी. जिसमें निर्माणाधीन सड़क पर स्कूली बच्चे और राहगीर चोटिल हो रहे थे. साथ ही दुर्घटनाएं हो रही थी. इस कारण बरसात से पहले सभी सड़कों को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है. बाद में जब एनओसी मिल जाएगा, तब पेड़ हटाकर फिर से नियमानुसार सड़क निर्माण कार्य और पिच का कार्य किया जाएगा.
सड़क निर्माण का कार्य अब तक अधर में लटका है
आपको बता दें कि इस सड़क पर काफी राजनीति भी हुई थी. इस सड़क निर्माण की योजना लाने का क्रेडिट लेने के लिए विधायक और सांसद के बीच होड़ मची थी. बावजूद इसके अब तक यह सड़क ग्रामीणों के लिए एक सपना ही नजर आ रहा है. क्योंकि समय अवधि खत्म हो गई है और अब यह एक्सटेंशन में जाएगा. वहीं जब तक वन विभाग की ओर से एनओसी और भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा नहीं होगा, तब तक यह 25 किलोमीटर की सड़क अधर में ही लटकी रहेगी.
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