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IGMC में शुरू हुआ ट्रामा सेंटर, आपातकाल में मरीजों को मिलेंगी दिल्ली एम्स जैसी सुविधाएं

आईजीएमसी में ट्रामा सेंटर शुरू कर दिया गया है. यह आईजीएमसी के न्यू ओपीडी भवन से चलेगा. इसमें मरीजों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी.

आईजीएमसी ट्रामा सेंटर
आईजीएमसी ट्रामा सेंटर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 7:32 PM IST

शिमला: आईजीएमसी अस्पताल में अब इमरजेंसी विभाग को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया है. ट्रॉमा सेंटर के साथ इमरजेंसी विभाग में सेवाएं शुरू कर दी गई. 9 अक्तूबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इमरजेंसी विभाग और ट्रॉमा सेंटर का शुभारंभ किया था. पुराने भवन में 18 वर्ष से कम आयु के लिए आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह ब्लॉक-बी, चौथी मंजिल पर बाल चिकित्सा विभाग में ही दी जाएंगी, जबकि दुर्घटना में घायल 18 साल के कम बच्चों को इमरजेंसी सेवा ट्रामा सेंटर में ही मिलेगी

डिप्टी एमएस डॉक्टर अमन ने कहा कि, 'केजुअल्टी विभाग को लेकर WHO की नई गाइडलाइन जारी की गई हैं ओर पहले केजुअल्टी विभाग होता था, लेकिन अब ये इंटीग्रेटेड इमरजेंसी ट्रामा केयर सेंटर होगा. इसमें आज से ही सेवाएं शुरू कर दी गई हैं. इमरजेंसी एवं ट्रामा ब्लॉक में मरीजों के लिए 110 बिस्तरों का प्रावधान किया गया है. इसके साथ साथ आपातकालीन ऑप्रेशन थियेटर, आईसीयू, बर्न वार्ड और स्पेशल वार्ड का भी इसी ब्लॉक में अलग से प्रावधान किया गया है. इस ब्लॉक में सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउन्ड और एक्स-रे सुविधाओं का प्रावधान किया गया है, जो कि मरीजों को आने वाले समय में लाभान्वित करेगा. 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी मरीजों को हर प्रकार की आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जाएंगी.'

आईजीएमसी ट्रामा सेंटर हुआ शुरू (ETV BHARAT)
ट्रामा सेंटर में होगी छोटे बच्चों की सर्जरी

आईजीएमसी के डिप्टी एमएस डॉक्टर अमन ने बताया कि, 'छोटे बच्चों की सर्जरी न्यू ओपीडी भवन ट्रामा सेंटर में होगी, जबकि अन्य बीमारियों से संबंधित चेकअप पहले की तरह पुराने भवन में ही होगा. ट्रामा सेंटर में बेहतर उपचार मिले इसके लिएं सभी चिकत्सक प्रयास करेंगे. किसी भी मरीज को कोई परेशानी ना हो इसकी व्यवस्था की गई है.'

स्पेशल स्टाफ की नियुक्ति

गौरतलब है कि आईजीएमसी का ट्रामा वार्ड 33 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित प्रदेश का पहला ट्रामा सेंटर है. एम्स दिल्ली के समान आधुनिक सुविधाओं से लैस इस ट्रामा सेंटर के बनने से प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं सुदृढ़ होंगी. आपात परिस्थितियों में मरीजों की बेहतर चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित होगी. यह मरीजों की देखभाल के लिए उन्नत मशीनरी और आधुनिक तकनीक युक्त बिस्तरों की सुविधा प्रदान करेगा. इस ट्रामा सेंटर में 30 समर्पित चिकित्सक, 80 नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और टैक्निशियन तैनात किए गए हैं, जो मरीजों की 24X7 घंटे स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करेंगे.

मरीजों को मिलेंगी ये सुविधाएं
आईजीएमसी के ट्रामा सेंटर में सभी सुविधाएं आधुनिक होंगी. इसमें अलग स्टाफ तैनात किया गया है. इसके अलावा यहां पर अलग-अलग मेजर माइनर ओटी चलेंगी. ऑक्सीजन कंट्रोल यूनिट, इमरजेंसी केयर यूनिट, वेंटिलेटर, ब्लड बैंक, सीटी स्कैन, एमआरआई, डिजिटल एक्स-रे, कॉलर डॉप्लर, माइक्रोबॉयोलॉजी लैब सहित सभी इमरजेंसी सुविधाएं मौजूद होंगी. इसके अलावा यहां पर कई बेड भी लगाए जाएंगे, जहां पर मरीजों को दाखिल किया जाएगा.

ट्रॉमा सेंटर में तीन शिफ्ट में होगा काम
ट्रामा सेंटर में तीन शिफ्ट में काम होगा. काम डिवाइड होने से न सिर्फ डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों पर काम का बोझ कम होगा, बल्कि उनके लिए काम करना और भी आसान हो जाएगा. मरीजों को सही समय पर पूरा इलाज मिलेगा. इसके अलावा इससे निजी अस्पतालों में ज्यादा लागत में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी समस्याओं का भी हल होगा, जिससे आम जनता को बेहतर और अच्छी हेल्थ सर्विस मिलेगी. गौर रहे कि शिमला में ट्रामा सेंटर बनाने का मामला पिछले करीब 10 साल से लटका हुआ था. नेशनल हेल्थ मिशन ने इसके लिए बजट मंजूर किया था, लेकिन इसके लिए शिमला में जगह ही चयनित नहीं हो पाई थी. पहले रिपन अस्पताल, इंडस अस्पताल सहित शहर के कुछ अन्य स्थानों पर ट्रामा सेंटर बनाने के लिए जगह चिन्हित की गई थी, लेकिन इसे अप्रूवल नहीं मिली. इसके बाद आईजीएमसी के न्यू ओपीडी में इसे बनाने की मंजूरी मिली.

ये हाेता है ट्रामा सेंटर
किसी भी अस्पताल में ट्रामा सेंटर एक प्रकार का आपातकालीन विभाग है. यहां केवल आपातकालीन मामलों की ही जांच होती है. ट्रामा सेंटर आपातकालीन मामलों के लिए पूरी सुविधा से लैस होते हैं. यहां नियुक्त किए गए स्टाफ की किसी अन्य विभाग में अतिरिक्त ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती. डॉक्टरों के अलावा अन्य स्टाफ की भी अलग नियुक्ति की जाती है. ट्रामा सेंटर तीन प्रकार के होते है, जिसमें लेवल-1, लेवल- 2 और लेवल-3 ट्रामा अस्पताल शामिल हैं. आईजीएमसी फिलहाल लेवल-1 का ट्रामा सेंटर चलाएगा.
ये भी पढ़ें: फेस्टिवल सीजन में खुशखबरी, डिपो से जितना मर्जी सस्ता सरसों तेल ले जाओ

शिमला: आईजीएमसी अस्पताल में अब इमरजेंसी विभाग को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया है. ट्रॉमा सेंटर के साथ इमरजेंसी विभाग में सेवाएं शुरू कर दी गई. 9 अक्तूबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इमरजेंसी विभाग और ट्रॉमा सेंटर का शुभारंभ किया था. पुराने भवन में 18 वर्ष से कम आयु के लिए आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह ब्लॉक-बी, चौथी मंजिल पर बाल चिकित्सा विभाग में ही दी जाएंगी, जबकि दुर्घटना में घायल 18 साल के कम बच्चों को इमरजेंसी सेवा ट्रामा सेंटर में ही मिलेगी

डिप्टी एमएस डॉक्टर अमन ने कहा कि, 'केजुअल्टी विभाग को लेकर WHO की नई गाइडलाइन जारी की गई हैं ओर पहले केजुअल्टी विभाग होता था, लेकिन अब ये इंटीग्रेटेड इमरजेंसी ट्रामा केयर सेंटर होगा. इसमें आज से ही सेवाएं शुरू कर दी गई हैं. इमरजेंसी एवं ट्रामा ब्लॉक में मरीजों के लिए 110 बिस्तरों का प्रावधान किया गया है. इसके साथ साथ आपातकालीन ऑप्रेशन थियेटर, आईसीयू, बर्न वार्ड और स्पेशल वार्ड का भी इसी ब्लॉक में अलग से प्रावधान किया गया है. इस ब्लॉक में सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउन्ड और एक्स-रे सुविधाओं का प्रावधान किया गया है, जो कि मरीजों को आने वाले समय में लाभान्वित करेगा. 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी मरीजों को हर प्रकार की आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जाएंगी.'

आईजीएमसी ट्रामा सेंटर हुआ शुरू (ETV BHARAT)
ट्रामा सेंटर में होगी छोटे बच्चों की सर्जरी

आईजीएमसी के डिप्टी एमएस डॉक्टर अमन ने बताया कि, 'छोटे बच्चों की सर्जरी न्यू ओपीडी भवन ट्रामा सेंटर में होगी, जबकि अन्य बीमारियों से संबंधित चेकअप पहले की तरह पुराने भवन में ही होगा. ट्रामा सेंटर में बेहतर उपचार मिले इसके लिएं सभी चिकत्सक प्रयास करेंगे. किसी भी मरीज को कोई परेशानी ना हो इसकी व्यवस्था की गई है.'

स्पेशल स्टाफ की नियुक्ति

गौरतलब है कि आईजीएमसी का ट्रामा वार्ड 33 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित प्रदेश का पहला ट्रामा सेंटर है. एम्स दिल्ली के समान आधुनिक सुविधाओं से लैस इस ट्रामा सेंटर के बनने से प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं सुदृढ़ होंगी. आपात परिस्थितियों में मरीजों की बेहतर चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित होगी. यह मरीजों की देखभाल के लिए उन्नत मशीनरी और आधुनिक तकनीक युक्त बिस्तरों की सुविधा प्रदान करेगा. इस ट्रामा सेंटर में 30 समर्पित चिकित्सक, 80 नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और टैक्निशियन तैनात किए गए हैं, जो मरीजों की 24X7 घंटे स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करेंगे.

मरीजों को मिलेंगी ये सुविधाएं
आईजीएमसी के ट्रामा सेंटर में सभी सुविधाएं आधुनिक होंगी. इसमें अलग स्टाफ तैनात किया गया है. इसके अलावा यहां पर अलग-अलग मेजर माइनर ओटी चलेंगी. ऑक्सीजन कंट्रोल यूनिट, इमरजेंसी केयर यूनिट, वेंटिलेटर, ब्लड बैंक, सीटी स्कैन, एमआरआई, डिजिटल एक्स-रे, कॉलर डॉप्लर, माइक्रोबॉयोलॉजी लैब सहित सभी इमरजेंसी सुविधाएं मौजूद होंगी. इसके अलावा यहां पर कई बेड भी लगाए जाएंगे, जहां पर मरीजों को दाखिल किया जाएगा.

ट्रॉमा सेंटर में तीन शिफ्ट में होगा काम
ट्रामा सेंटर में तीन शिफ्ट में काम होगा. काम डिवाइड होने से न सिर्फ डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों पर काम का बोझ कम होगा, बल्कि उनके लिए काम करना और भी आसान हो जाएगा. मरीजों को सही समय पर पूरा इलाज मिलेगा. इसके अलावा इससे निजी अस्पतालों में ज्यादा लागत में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी समस्याओं का भी हल होगा, जिससे आम जनता को बेहतर और अच्छी हेल्थ सर्विस मिलेगी. गौर रहे कि शिमला में ट्रामा सेंटर बनाने का मामला पिछले करीब 10 साल से लटका हुआ था. नेशनल हेल्थ मिशन ने इसके लिए बजट मंजूर किया था, लेकिन इसके लिए शिमला में जगह ही चयनित नहीं हो पाई थी. पहले रिपन अस्पताल, इंडस अस्पताल सहित शहर के कुछ अन्य स्थानों पर ट्रामा सेंटर बनाने के लिए जगह चिन्हित की गई थी, लेकिन इसे अप्रूवल नहीं मिली. इसके बाद आईजीएमसी के न्यू ओपीडी में इसे बनाने की मंजूरी मिली.

ये हाेता है ट्रामा सेंटर
किसी भी अस्पताल में ट्रामा सेंटर एक प्रकार का आपातकालीन विभाग है. यहां केवल आपातकालीन मामलों की ही जांच होती है. ट्रामा सेंटर आपातकालीन मामलों के लिए पूरी सुविधा से लैस होते हैं. यहां नियुक्त किए गए स्टाफ की किसी अन्य विभाग में अतिरिक्त ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती. डॉक्टरों के अलावा अन्य स्टाफ की भी अलग नियुक्ति की जाती है. ट्रामा सेंटर तीन प्रकार के होते है, जिसमें लेवल-1, लेवल- 2 और लेवल-3 ट्रामा अस्पताल शामिल हैं. आईजीएमसी फिलहाल लेवल-1 का ट्रामा सेंटर चलाएगा.
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