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नाग पंचमी के दिन यहां इंसान बन जाते हैं नाग, बैगाओं की टोली वापस लाती है रूप - Nag Panchami 2024

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 6, 2024, 6:05 PM IST

Tradition of humans becoming snakes आपने इच्छाधारी नाग नागिन के बारे में ढेरों कहानियां सुनी होंगी.लेकिन आज हम आपको ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं,जिसमें हर साल इंसान सांप में बदल जाता है. Nag Panchami 2024

Tradition of humans becoming snakes
नाग पंचमी के दिन यहां इंसान बन जाते हैं नाग (ETV Bharat Chhattisgarh)

जांजगीर चांपा : सांप हमारे सृष्टि की रचना के समय में हैं.चाहे कोई सा भी युग हो.सांपों के बिना युग की कल्पना नहीं की जा सकती है.मौजूदा समय में पूरे विश्व में सैंकड़ों प्रजातियों के सांप मौजूद हैं.लेकिन भारत की बात करें तो यहां का प्राचीन सांप नाग को ही माना जाता है. किवदंतियों में नाग को रुप बदलने का वरदान भी प्राप्त बताया गया है.कई जगहों पर ऐसी बातें भी सुनने को मिलती है कि सांप इंसान में बदल गया. नागपंचमी आने वाली है.लिहाजा हम आपको छत्तीसगढ़ के एक गांव की पुरानी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं.जहां इंसान सांप में बदल जाता है.

नाग पंचमी के दिन पुरानी पंरपरा : नाग पंचमी का त्यौहार देश भर मे अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, कहीं किसान सांप को दूध का प्रसाद खिलाते हैं. तो कहीं लोग खेती किसानी का काम रोक कर नाग देव की पूजा अर्चना करते हैं. नाग पंचमी के दिन अखाड़ा का भी आयोजन किया जाता है. लेकिन जांजगीर चांपा के एक गांव में नागपंचमी के दिन पुरानी पंरपरा निभाई जाती है.

नाग पंचमी के दिन यहां इंसान बन जाते हैं नाग (ETV Bharat Chhattisgarh)

नगमत का आयोजन : जांजगीर चांपा के ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी के अवसर पर खास आयोजन होता है.इस आयोजन को नगमत कहते हैं.इस दिन किसान अपने खेती किसानी के काम को पूरी तरह से रोक देते हैं.इस दौरान किसी भी तरह का औजार या लोहा धरती में नहीं गाड़ा जाता.किसान सुबह ही अपने खेतों में सांपों को दूध पिलाने के लिए निकल पड़ते हैं.


क्या होता है नगमत ?: नगमत एक तरह का आयोजन है.जिसमें पहले कीचड़ युक्त मैदान बनाया जाता है.फिर मांदर, झांझ की धुन पर बाजा बजाया जाता है. अग्नि में हवन और मंत्रोच्चार का दौर शुरु होता है.इसी के बाद वहां मौजूद कई लोग सांप जैसा व्यवहार करना शुरु कर देते हैं. लोग अपना सुध बुध खोकर सांप की तरह गीली मिट्टी में लोटने लगते हैं.जो लोग मिट्टी में लोटते हैं उन्हें वापस इंसानी रूप में लाने के लिए बैगाओं की टोली पूजा पाठ का दौर शुरु करती है. बैगाओं का मानना है कि इस क्रिया से वो अपनी शक्ति बढ़ाते हैं.

''हमारे गांव की पुरानी परंपरा है. नगमत में हवन करने के बाद मंत्रोच्चार करते ही नाग देवता इंसान के शरीर में आ जाते हैं.फिर वो इंसान सांप के जैसे ही हरकत करने लगता है. बाद में फिर बैगा लोग उसको मंत्रोच्चार करके नाग देवता की स्थापना करते हैं.इसके बाद इंसान के शरीर से देवता चले जाते हैं.''- संतोष केवट, ग्रामीण

लोगों में आ रही जागरुकता : गांव के लोगों की अवधारणा थी कि बैगा सांप को अपने मंत्र से नियंत्रित कर सकते हैं.उसे किसी भी परिस्थिति में घरों से बाहर निकाल सकते है. सांप के काटने के बाद भी बैगा उसका जहर निकाल सकते हैं.लेकिन अब ऐसा नहीं है.लोग बैगा के चक्कर से दूर सांप काटने के बाद अस्पताल में जाते हैं.घरों से सांप निकालने के लिए रेस्क्यू टीम को बुलाते हैं. जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ रहा है गांवों में भी सांपों और बैगाओं को लेकर पुरानी बातों से लोग किनारा कर रहे हैं.

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जांजगीर चांपा : सांप हमारे सृष्टि की रचना के समय में हैं.चाहे कोई सा भी युग हो.सांपों के बिना युग की कल्पना नहीं की जा सकती है.मौजूदा समय में पूरे विश्व में सैंकड़ों प्रजातियों के सांप मौजूद हैं.लेकिन भारत की बात करें तो यहां का प्राचीन सांप नाग को ही माना जाता है. किवदंतियों में नाग को रुप बदलने का वरदान भी प्राप्त बताया गया है.कई जगहों पर ऐसी बातें भी सुनने को मिलती है कि सांप इंसान में बदल गया. नागपंचमी आने वाली है.लिहाजा हम आपको छत्तीसगढ़ के एक गांव की पुरानी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं.जहां इंसान सांप में बदल जाता है.

नाग पंचमी के दिन पुरानी पंरपरा : नाग पंचमी का त्यौहार देश भर मे अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, कहीं किसान सांप को दूध का प्रसाद खिलाते हैं. तो कहीं लोग खेती किसानी का काम रोक कर नाग देव की पूजा अर्चना करते हैं. नाग पंचमी के दिन अखाड़ा का भी आयोजन किया जाता है. लेकिन जांजगीर चांपा के एक गांव में नागपंचमी के दिन पुरानी पंरपरा निभाई जाती है.

नाग पंचमी के दिन यहां इंसान बन जाते हैं नाग (ETV Bharat Chhattisgarh)

नगमत का आयोजन : जांजगीर चांपा के ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी के अवसर पर खास आयोजन होता है.इस आयोजन को नगमत कहते हैं.इस दिन किसान अपने खेती किसानी के काम को पूरी तरह से रोक देते हैं.इस दौरान किसी भी तरह का औजार या लोहा धरती में नहीं गाड़ा जाता.किसान सुबह ही अपने खेतों में सांपों को दूध पिलाने के लिए निकल पड़ते हैं.


क्या होता है नगमत ?: नगमत एक तरह का आयोजन है.जिसमें पहले कीचड़ युक्त मैदान बनाया जाता है.फिर मांदर, झांझ की धुन पर बाजा बजाया जाता है. अग्नि में हवन और मंत्रोच्चार का दौर शुरु होता है.इसी के बाद वहां मौजूद कई लोग सांप जैसा व्यवहार करना शुरु कर देते हैं. लोग अपना सुध बुध खोकर सांप की तरह गीली मिट्टी में लोटने लगते हैं.जो लोग मिट्टी में लोटते हैं उन्हें वापस इंसानी रूप में लाने के लिए बैगाओं की टोली पूजा पाठ का दौर शुरु करती है. बैगाओं का मानना है कि इस क्रिया से वो अपनी शक्ति बढ़ाते हैं.

''हमारे गांव की पुरानी परंपरा है. नगमत में हवन करने के बाद मंत्रोच्चार करते ही नाग देवता इंसान के शरीर में आ जाते हैं.फिर वो इंसान सांप के जैसे ही हरकत करने लगता है. बाद में फिर बैगा लोग उसको मंत्रोच्चार करके नाग देवता की स्थापना करते हैं.इसके बाद इंसान के शरीर से देवता चले जाते हैं.''- संतोष केवट, ग्रामीण

लोगों में आ रही जागरुकता : गांव के लोगों की अवधारणा थी कि बैगा सांप को अपने मंत्र से नियंत्रित कर सकते हैं.उसे किसी भी परिस्थिति में घरों से बाहर निकाल सकते है. सांप के काटने के बाद भी बैगा उसका जहर निकाल सकते हैं.लेकिन अब ऐसा नहीं है.लोग बैगा के चक्कर से दूर सांप काटने के बाद अस्पताल में जाते हैं.घरों से सांप निकालने के लिए रेस्क्यू टीम को बुलाते हैं. जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ रहा है गांवों में भी सांपों और बैगाओं को लेकर पुरानी बातों से लोग किनारा कर रहे हैं.

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