अलवर : तापमान में बदलाव के साथ ही अब सरिस्का टाइगर रिजर्व में प्रवासी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. इसी के चलते यहां आने वाले पर्यटकों को अब बाघ, पैंथर, हाइना के साथ विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी भी दिखाई देंगे. वर्तमान में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर प्रवासी पक्षी सरिस्का का रुख करने लगे हैं. वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में इनकी संख्या में और बढ़ोतरी होगी. वहीं, 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक सरिस्का टाइगर रिजर्व में सफारी करने वाले पर्यटकों की संख्या भी अच्छी रहती है. इस पर्यटन सीजन भी बाघों की साइटिंग होने से पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
सरिस्का टाइगर रिजर्व के डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि सर्दियों की शुरुआत होते ही पूरे भारत में प्रवासी पक्षी (माइग्रेंट बर्ड्स) आना शुरू हो जाते हैं, लेकिन सरिस्का में अच्छी व पर्याप्त मात्रा में पानी होने के चलते प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि सरिस्का के करनाका बास, क्रासका, कांकवाड़ी फोर्ट के पास के क्षेत्र शहीद कई अन्य जगहों पर प्रवासी पक्षियों को देखा जाता है. उन्होंने इन क्षेत्रों पर रूडी सेल डक, बार हेडेड कीज सहित कुछ अन्य प्रजाति के पक्षी देखें हैं. सरिस्का में प्रवासी पक्षियों के आने की शुरुआत हो गई है. हालांकि, अभी तक प्रवासी पक्षियों की संख्या कम है, लेकिन आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ेगी. इस साल जिले में अच्छी बारिश होने के चलते डीएफओ ने उम्मीद जताई कि बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी इस बार सरिस्का पहुंचेंगे, जिससे यह बर्ड सीजन अच्छा जाएगा.
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डीएफओ ने बताया कि सरिस्का में आने वाली प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर सरिस्का में पहुंचते हैं. इसमें रूस, कजाकिस्तान, उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी यूरोप सहित अन्य देशों से पक्षी प्रवास पर सरिस्का टाइगर रिजर्व पहुंचते हैं. इनका प्रवास का समय नवंबर माह के अंत से मार्च के दूसरे सप्ताह तक रहता है. वहीं, इस दौरान सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों को यह प्रवासी पक्षी खूब लुभाते हैं.
बार हेडेड गूज ने मोड़ा मुंह, कम हुई संख्या : बड़ी संख्या में सरिस्का टाइगर रिजर्व के जंगल में दिखने वाला प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज ने अधिक तापमान के चलते इस बार सरिस्का से मुंह मोड़ लिया. बीते साल तक दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक यह पक्षी अच्छी संख्या में जंगलों में दिखाई पड़ता था, लेकिन इस साल इनकी संख्या गिनी चुनी है. वन्यजीव विशेषज्ञ व सरिस्का से जुड़े लोगों का मानना है कि नवंबर-दिसंबर के शुरुआती सप्ताह तक अधिक तापमान के चलते इस साल बार हेडेड गूज की संख्या कम है. यह पक्षी -30 डिग्री से कम तापमान पर जीवन जीने वाल पक्षी हैं, जो कि मंगोलिया, रशिया, थाईलैंड से यहां आते हैं.