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देहरादून जू में महीनों से पर्दे में बंद हैं बाघ और गुलदार, दीदार को तरसे पर्यटक, जानिए क्या है वजह? - Dehradun Zoo

Tigers and leopards in Dehradun देहरादून जू में पिछले कई महीनो से बाघ और गुलदार हरे पर्दे के पीछे कैद हैं. खास बात ये है कि इन दोनों ही शिकारी वन्यजीवों की पर्यटकों के बीच खासी डिमांड है, लेकिन जू में मौजूद होने के बावजूद भी पर्यटक इनका दीदार नहीं कर पा रहे हैं. जानिए देहरादून जू में दो बाघ और दो गुलदार पिछले कई महीनों से हरे पर्दे के पीछे क्यों किए गए हैं कैद? पढ़िए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

DEHRADUN ZOO
देहरादून जू
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 24, 2024, 7:57 PM IST

Updated : Apr 24, 2024, 10:57 PM IST

देहरादून जू में महीनों से पर्दे में बंद हैं बाघ और गुलदार

देहरादून: हमेशा ही पर्यटकों के लिए वाइल्डलाइफ टूरिज्म के रूप में बाघ या शिकारी वन्यजीव सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहते हैं. बाकी चिड़ियाघर की तरह ही देहरादून जू यानी चिड़ियाघर में भी बाघ की डिमांड बेहद ज्यादा है. यही वजह है कि देहरादून जू में पहले गुलदार और फिर दो बाघ लाए गए, लेकिन हैरत की बात है कि जू में मौजूद होने के बाद भी यहां आने वाले पर्यटक इनका दीदार नहीं कर पा रहे हैं.

बाघ और गुलदार के दीदार की इजाजत नहीं: वैसे तो देहरादून चिड़ियाघर में पक्षियों की तमाम प्रजातियां हैं. साथ ही मछलियों से लेकर मगरमच्छ और कई तरह के सांप भी मौजूद हैं, लेकिन सभी की निगाहें सबसे ज्यादा बाघ को ही तलाशती है. इसके अलावा गुलदार जैसा वन्यजीव भी पर्यटकों के लिए पसंदीदा रहता है. हालांकि, ये दोनों ही वन्यजीव देहरादून चिड़ियाघर में मौजूद हैं, लेकिन पर्यटकों को उनके दीदार करने की इजाजत नहीं है.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू

शिकारी वन्यजीव और पर्यटकों के बीच हरा पर्दा: चौंकाने वाली बात ये है कि देहरादून चिड़ियाघर में जून 2023 में दो गुलदार रेस्क्यू करने के बाद यहां ले गए थे, जो तभी से चिड़ियाघर के बाड़े में मौजूद हैं, लेकिन उनके बाड़े को हरे पर्दे से कवर किया गया है. ताकि, कोई भी पर्यटक इन्हें ना देख सके और यह वन्य जीव भी पर्यटकों की मौजूदगी को ना देख पाए.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू में सैलानी

इसके बाद इसी साल फरवरी 2024 में चिड़ियाघर में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला से दो बाघ भी लाए गए, लेकिन इन बाघों को भी पर्यटकों के सामने प्रदर्शित करने का काम चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से नहीं किया गया. खास बात ये है कि पर्यटक भी इस बात की कमी चिड़ियाघर में महसूस करते हैं. उनका कहना है कि यदि चिड़ियाघर में गुलदार या बाघ जैसा वन्यजीव होता तो चिड़ियाघर की रौनक बढ़ जाती.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू में पर्यटक

क्यों डाला गया हरा पर्दा? दरअसल, चिड़ियाघर में वन्यजीव को रखने और उन्हें पर्यटकों के सामने प्रदर्शित करने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति लेनी होती है. फिलहाल, देहरादून चिड़ियाघर को गुलदार और बाघ दोनों ही वन्यजीव के लिए ऐसी अनुमति नहीं मिली है. इसलिए बिना अनुमति के चिड़ियाघर प्रशासन लोगों के देखने के लिए इन दोनों वन्यजीवों को खुले बाड़े रखने की इजाजत नहीं है. लिहाजा, वन्यजीव के बाड़ों को हरे पर्दे से ढक दिया गया है. जबकि, यहां ले गए बाघ चिड़ियाघर के उसे क्षेत्र में रखे गए हैं, जहां पर्यटकों को जाने की इजाजत नहीं है.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
बाघ और गुलदार के बाड़े के आगे लगा हरा पर्दा

करीब 10 महीने से अनुमति का इंतजार: देहरादून चिड़ियाघर में हर दिन हजारों लोग वन्यजीवों का दीदार करने के लिए आते हैं, लेकिन गुलदार और बाघ जैसे शिकारी वन्यजीव को देखने या दीदार करने के लिए उनकी आंखें फिलहाल तरस रही है. हालांकि, सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति के लिए संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है. उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही अनुमति भी मिल सकती है, लेकिन जिस तरह गुलदार को लेकर पिछले करीब 10 महीने से अनुमति का इंतजार है, उससे पर्यटकों को भी निराशा हो रही है. उधर, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला से लाए गए दो बाघ को यहां लाने का भी मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है.

"देहरादून जू घूमने आने वाले लोग बाघ और गुलदार का दीदार करना चाहते हैं. इसके बारे में लोग उनसे पूछताछ करते हैं. यदि बाघ को लेकर अनुमति मिलती है तो उन्हें पूरा विश्वास है कि चिड़ियाघर में आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. जिससे चिड़ियाघर का भी राजस्व इसी अनुपात में दोगुना हो जाएगा." - विनोद कुमार लिंगवाल, प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी, देहरादून चिड़ियाघर

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देहरादून जू में महीनों से पर्दे में बंद हैं बाघ और गुलदार

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बाघ और गुलदार के दीदार की इजाजत नहीं: वैसे तो देहरादून चिड़ियाघर में पक्षियों की तमाम प्रजातियां हैं. साथ ही मछलियों से लेकर मगरमच्छ और कई तरह के सांप भी मौजूद हैं, लेकिन सभी की निगाहें सबसे ज्यादा बाघ को ही तलाशती है. इसके अलावा गुलदार जैसा वन्यजीव भी पर्यटकों के लिए पसंदीदा रहता है. हालांकि, ये दोनों ही वन्यजीव देहरादून चिड़ियाघर में मौजूद हैं, लेकिन पर्यटकों को उनके दीदार करने की इजाजत नहीं है.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू

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TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू में सैलानी

इसके बाद इसी साल फरवरी 2024 में चिड़ियाघर में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला से दो बाघ भी लाए गए, लेकिन इन बाघों को भी पर्यटकों के सामने प्रदर्शित करने का काम चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से नहीं किया गया. खास बात ये है कि पर्यटक भी इस बात की कमी चिड़ियाघर में महसूस करते हैं. उनका कहना है कि यदि चिड़ियाघर में गुलदार या बाघ जैसा वन्यजीव होता तो चिड़ियाघर की रौनक बढ़ जाती.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
देहरादून जू में पर्यटक

क्यों डाला गया हरा पर्दा? दरअसल, चिड़ियाघर में वन्यजीव को रखने और उन्हें पर्यटकों के सामने प्रदर्शित करने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति लेनी होती है. फिलहाल, देहरादून चिड़ियाघर को गुलदार और बाघ दोनों ही वन्यजीव के लिए ऐसी अनुमति नहीं मिली है. इसलिए बिना अनुमति के चिड़ियाघर प्रशासन लोगों के देखने के लिए इन दोनों वन्यजीवों को खुले बाड़े रखने की इजाजत नहीं है. लिहाजा, वन्यजीव के बाड़ों को हरे पर्दे से ढक दिया गया है. जबकि, यहां ले गए बाघ चिड़ियाघर के उसे क्षेत्र में रखे गए हैं, जहां पर्यटकों को जाने की इजाजत नहीं है.

TIGERS AND LEOPARDS IN DEHRADUN ZOO
बाघ और गुलदार के बाड़े के आगे लगा हरा पर्दा

करीब 10 महीने से अनुमति का इंतजार: देहरादून चिड़ियाघर में हर दिन हजारों लोग वन्यजीवों का दीदार करने के लिए आते हैं, लेकिन गुलदार और बाघ जैसे शिकारी वन्यजीव को देखने या दीदार करने के लिए उनकी आंखें फिलहाल तरस रही है. हालांकि, सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति के लिए संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है. उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही अनुमति भी मिल सकती है, लेकिन जिस तरह गुलदार को लेकर पिछले करीब 10 महीने से अनुमति का इंतजार है, उससे पर्यटकों को भी निराशा हो रही है. उधर, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला से लाए गए दो बाघ को यहां लाने का भी मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है.

"देहरादून जू घूमने आने वाले लोग बाघ और गुलदार का दीदार करना चाहते हैं. इसके बारे में लोग उनसे पूछताछ करते हैं. यदि बाघ को लेकर अनुमति मिलती है तो उन्हें पूरा विश्वास है कि चिड़ियाघर में आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. जिससे चिड़ियाघर का भी राजस्व इसी अनुपात में दोगुना हो जाएगा." - विनोद कुमार लिंगवाल, प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी, देहरादून चिड़ियाघर

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Last Updated : Apr 24, 2024, 10:57 PM IST
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