चित्तौडग़ढ़. फोर्ट अपेक्स एडवाइजरी कमिटी की बैठक के दूसरे ही दिन जिला कलेक्टर आलोक रंजन मंगलवार को अचानक चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर पहुंचे और विभिन्न ऐतिहासिक स्मारकों का निरीक्षण कर सुविधाओं और पार्किंग व्यवस्थाओं का जायजा लिया. जैसे ही वे टिकट विंडो पर पहुंचे, विंडो के बाहर नाजायज तरीके से गाइड का काम करने वाले लोगों में खलबली मच गई. बेतरतीब पार्किंग और गन्दगी को लेकर कलेक्टर ने नाराजगी जताई.
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए उन्होंने गाइड के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने के साथ सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर दिया. पार्किंग व्यवस्था में भी सुधार के निर्देश दिए. टिकट चेक करने के साथ पर्यटकों से सुविधाओं को लेकर चर्चा की. बाद में सामने ही स्थित व्यू प्वाइंट से शहर का नजारा देखा और रोपवे की संभावनाओं को टटोला. बाद में टीम के साथ विजय स्तंभ पहुंचे और वहां पर्यटकों से उनके सामने आने वाली समस्याओं को जाना.
जिला कलेक्टर के दौरे के दौरान उनका मुख्य फोकस पार्किंग पर रहा. सभी प्रमुख स्मारकों के आसपास ही पार्किंग के लिए अच्छी सुविधा होने के बावजूद वाहन इधर-उधर पड़े नजर आए. पुरातत्व विभाग और पुलिस चौकी को इसे गंभीरता से लेने के दिशा-निर्देश दिए गए. विजिट के बाद कलेक्टर ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग यहां की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार स्तंभ है. दुर्गा हमारा गौरव है. ऐसे में बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाओं के साथ पार्किंग को बेहतर बनाने की जरूरत है. उसी को लेकर हमने मौका मुआयना किया. पुरातत्व विभाग अपने स्तर पर जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, उनका निदान कर पर्यटकों को बेहतर सुविधा दे सकता है.
यहां की सबसे बड़ी समस्या पार्किंग और ट्रैफिक की है. कई बार जाम लग जाता है और पर्यटक फंसे रह जाते हैं. ऐसे में ई-रिक्शा और साइकिल का उपयोग बेहतर साबित हो सकता है और हम उसकी संभावनाओं को तलाश रहे हैं. इसके अलावा रोपवे भी एक अच्छा विकल्प है. इसकी कार्य योजना तैयार करवाई जाएगी. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुविधाओं में विस्तार के साथ पार्किंग व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार करवाई जाएगी.