जयपुर: प्रदेश में करीब 23 हजार खदानों पर छाए संकट के बादलों के बीच नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रदेश और केंद्र की सरकारों को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि 23 हजार खदानों के बंद होने से प्रदेश के 15 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा. वे बोले- एक तरफ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 'राइजिंग राजस्थान' को लेकर विदेशी निवेश के लंबे-चौड़े दावे कर रहे हैं. दूसरी तरफ, प्रदेश में 23 हजार खदानों के बंद होने और 15 लाख लोगों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
टीकाराम जूली ने बयान जारी कर कहा, प्रदेश की खानों पर छाए संकट से केंद्र व राज्य की कथित डबल इंजन सरकार की पोल खुल गई है. प्रदेश में 23 हजार खदानें बंद होने से इनसे जुड़े 15 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा. इसके लिए राज्य और केंद्र की सरकारें जिम्मेदार हैं. 8 नवंबर से इन खानों पर काम बंद हो जाएगा. जिसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होंगे.
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ईसी की एनओसी के लिए 7 नवंबर अंतिम तिथि: जूली ने कहा कि प्रदेश की 23 हजार खानों के एनवायरमेंट क्लियरेंस की एनओसी जारी करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 नवंबर, 2024 आखिरी तारीख तय की है. लेकिन प्रदेश में राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी नहीं होने से यह काम अटक गया है. राज्य सरकार ने नई कमेटी के गठन के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन उसने अभी तक इस कमेटी के गठन की स्वीकृति नहीं दी है. एनजीटी ने भी अंतिम तिथि को 7 नवंबर से आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है.
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समन्वय नहीं तो कैसा डबल इंजन: जूली ने कहा कि अगर केंद्र व राज्य सरकार में इतने अहम मसले पर भी समन्वय नहीं है, तो फिर 'डबल इंजन सरकार' के क्या मायने हैं. यह शब्द लोगों को लुभाने के लिए भाजपा का सिर्फ एक जुमला भर है. जूली ने कहा कि प्रदेश में 35 हजार खानें हैं. माइनर मिनरल और क्वारी लाइसेंस धारकों की 23 हजार खानें बंद होने की नौबत आ गई है. इसके लिए राज्य सरकार की उदासीनता जिम्मेदार है.
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छह महीने पहले भी बने ऐसे हालात: उन्होंने कहा कि छह महीने पहले भी प्रदेश में यह स्थिति बनी थी, लेकिन तब यह अवधि आगे बढ़ गयी थी. इसके बाद पिछले छह महीने में राज्य सरकार की ओर से 12 हजार आवेदकों में से सिर्फ एक हजार आवेदकों को एनओसी जारी की गई और अक्टूबर महीने में राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी का कार्यकाल पूरा हो गया.
नई कमेटी की अधिसूचना तक नहीं: उन्होंने कहा, 12 हजार खान मालिक तो आवेदन करने से भी वंचित रहे और अब नई कमेटी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचना जारी नहीं कर रहा है. खनिज अर्थव्यवस्था प्रदेश के उद्योग एवं व्यापार जगत की धुरी है. एक तरफ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 'राइजिंग राजस्थान' को लेकर विदेशी निवेश के लंबे-चौड़े दावे कर रहे हैं. दूसरी तरफ प्रदेश में 23 हजार खानों के बंद होने और 15 लाख लोगों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
हितों की रक्षा के लिए आवाज नहीं उठा पाते सीएम: जूली ने कहा, अब सवाल उठता है कि या तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अधिकारी सही जानकारी नहीं देते कि प्रदेश में क्या चल रहा है. या फिर मुख्यमंत्री इतने कमजोर हैं कि वे राज्य के हितों की रक्षा करने के लिए केंद्र सरकार के सामने आवाज नहीं उठा पाते हैं. ईआरसीपी को लेकर हुए समझौते का भी मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता के सामने खुलासा करने में विफल रहे हैं और अब खानों की एनवायरमेंट क्लियरेंस के संवेदनशील मुद्दे पर मुख्यमंत्री की नाकामी एक बार फिर सामने आई है.