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टीकमगढ़ में वीरेन्द्र खटीक के जीत के रथ को क्या रोक पाएगी कांग्रेस, अब तक जीत चुके लगातार 7 चुनाव - Virendra Khatik Vs Pankaj Ahirwar

एमपी के चुनावी रण में टीकमगढ़ लोकसभा सीट से चौथी बार केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक उतरें हैं. वीरेंद्र खटीक का यह आठवां चुनाव है. उन्होंने चार चुनाव सागर सीट से लड़े और जीत भी हासिल की. इस बार वीरेंद्र खटीक को टक्कर देने कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. देखना होगा वीरेंद्र खटीक जीत का सिलसिला जारी रखेंगे या कांग्रेस मारेगी बाजी.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 13, 2024, 10:16 PM IST

Updated : Apr 13, 2024, 10:54 PM IST

VIRENDRA KHATIK VS PANKAJ AHIRWAR
टीकमगढ़ में वीरेन्द्र खटीक के जीत के रथ को क्या रोक पाएगी कांग्रेस, अब तक जीत चुके लगातार 7 चुनाव
कांग्रेस का केंद्रीय मंत्री पर निशाना

सागर। केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो वीरेन्द्र कुमार को बुंदेलखंड के अपराजेय योद्धा के तौर पर जाना जाता है. दरअसल, वीरेन्द्र कुमार ने 1996 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और अब तक जीत का सिलसिला लगातार जारी रखा. खास बात ये है कि पहले उन्होंने चार लोकसभा चुनाव सागर लोकसभा से लडे़ और चारों में जीत हासिल की. जब सागर लोकसभा अनारक्षित हो गयी और टीकमगढ़ लोकसभा आरक्षित हो गयी, तो वीरेन्द्र कुमार ने सागर संसदीय सीट छोडकर टीकमगढ़ से चुनाव लड़ा और पिछले तीन चुनावों से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार इस बार आठवीं बार चुनाव मैदान में हैं और अपनी लगातार आठवीं जीत के प्रति आश्वस्त हैं. वहीं दूसरी तरफ से कांग्रेस ने स्थानीय युवा को मैदान में उतारा है. चर्चा है कि स्थानीय बनाम बाहरी के आधार पर कांग्रेस के उम्मीदवार पंकज अहिरवार केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं, लेकिन सरल और सहज स्वभाव के वीरेन्द्र कुमार को हराना इतना आसान नजर नहीं आता है.

क्यों कहा जाता है बुंदेलखंड का अपराजेय योद्धा

टीकमगढ़ सांसद और केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो वीरेन्द्र कुमार ने अपना पहला चुनाव 1996 में सागर लोकसभा से लड़ा था और जीत हासिल की थी. 1996 के बाद वीरेन्द्र कुमार ने 1998,1999 और 2004 में सागर संसदीय सीट से चुनाव जीते. इसके बाद सागर संसदीय सीट जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, 2008 के परिसीमन में अनारक्षित हो गयी. बुंदेलखंड की कुल चार सीटों में सागर अनारक्षित होने के बाद टीकमगढ़ संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गयी. वीरेन्द्र कुमार को सागर सीट छोड़कर टीकमगढ़ पलायन करना पड़ा और 2009 में उन्होंने पहली बार टीकमगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. टीकमगढ़ में भी उनकी जीत का सिलसिला सागर की तरह जारी रहा और 2009 के बाद 2014 और 2019 में भी उन्हें टीकमगढ़ से जीत हासिल हुई.

कांग्रेस विधायक और सपा का साथ मिले तो तगड़ी चुनौती

कांग्रेस ने टीकमगढ़ से युवा चेहरा पंकज अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि पंकज अहिरवार के लिए स्थानीय होना फायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन टीकमगढ] संसदीय क्षेत्र के तीन कांग्रेस विधायक और यूपी से लगी इस सीट पर समाजवादी पार्टी मदद करें, तो पंकज अहिरवार वीरेन्द्र कुमार को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. टीकमगढ़ संसदीय सीट में टीकमगढ़ और खरगापुर और निवाड़ी की पृथ्वीपुर सीट से कांग्रेस विधायकों ने जीत हासिल की है. वहीं दूसरी तरफ टीकमगढ़ से यूपी का इलाका लगा हुआ है और सपा की खजुराहो सीट से प्रत्याशी घोषित हुई, मीरा यादव निवाड़ी से चुनाव जीत चुकी है. भले ही खजुराहो से उनका परचा निरस्त हो गया हो, लेकिन अगर वो गठबंधन के तहत टीकमगढ़ में कांग्रेस को सपोर्ट करती हैं, तो पंकज अहिरवार तगड़ी चुनौती वीरेन्द्र कुमार को दे सकते हैं.

क्या हैं कांग्रेस के मुद्दे

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र चौधरी कहते हैं कि 'वीरेंद्र खटीक जो आज मंत्री और सांसद हैं और बुंदेलखंड की जनता ने उन्हें जिन अपेक्षाओं और उम्मीद से चुना था. सागर और टीकमगढ़ के लोगों ने सांसद बना कर दिल्ली भेजा था. आज उन सब विषयों पर चर्चा करने की जरूरत है. सामाजिक न्याय मंत्री रहने के बाद देश और बुंदेलखंड में सामाजिक न्याय की व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. गैर बराबरी को खत्म करने के लिए सामाजिक उत्थान के कोई प्रयास सामाजिक न्याय मंत्री रहते हुए वीरेंद्र खटीक ने नहीं किए हैं. उन्होंने सात बार सांसद चुने जाने के बाद बुंदेलखंड के लिए कोई काम नहीं किया है.'

यहां पढ़ें...

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कांग्रेस नेता ने कहा कि 'बुंदेलखंड के लिए उनके नाम पर कोई उपलब्धि नहीं है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड को मिलाकर बुंदेलखंड कॉरिडोर बनाना था, लेकिन 40 हजार करोड़ के पैकेज में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड को फूटी कौड़ी नहीं मिली है. ऐसे निकम्मेपन के कारण जनता इनको फिर नहीं चुनेगी. कई काम ऐसे हैं, जो मंत्री रहते सागर, टीकमगढ़ और बुंदेलखंड के लिए कर सकते थे, लेकिन इन्होंने नहीं किया. उनकी पार्टी के लोग संविधान को बदलने और खत्म करने की बात कर रहे हैं, लेकिन लगातार आरक्षित सीट से चुने जाने और मंत्री बनने के बाद भी वीरेंद्र खटीक चुप्पी साधे हुए हैं. वंचितों और दलितों के उत्थान को ध्यान रखते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को खत्म करने की साजिश की जा रही है.

कांग्रेस का केंद्रीय मंत्री पर निशाना

सागर। केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो वीरेन्द्र कुमार को बुंदेलखंड के अपराजेय योद्धा के तौर पर जाना जाता है. दरअसल, वीरेन्द्र कुमार ने 1996 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और अब तक जीत का सिलसिला लगातार जारी रखा. खास बात ये है कि पहले उन्होंने चार लोकसभा चुनाव सागर लोकसभा से लडे़ और चारों में जीत हासिल की. जब सागर लोकसभा अनारक्षित हो गयी और टीकमगढ़ लोकसभा आरक्षित हो गयी, तो वीरेन्द्र कुमार ने सागर संसदीय सीट छोडकर टीकमगढ़ से चुनाव लड़ा और पिछले तीन चुनावों से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार इस बार आठवीं बार चुनाव मैदान में हैं और अपनी लगातार आठवीं जीत के प्रति आश्वस्त हैं. वहीं दूसरी तरफ से कांग्रेस ने स्थानीय युवा को मैदान में उतारा है. चर्चा है कि स्थानीय बनाम बाहरी के आधार पर कांग्रेस के उम्मीदवार पंकज अहिरवार केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं, लेकिन सरल और सहज स्वभाव के वीरेन्द्र कुमार को हराना इतना आसान नजर नहीं आता है.

क्यों कहा जाता है बुंदेलखंड का अपराजेय योद्धा

टीकमगढ़ सांसद और केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो वीरेन्द्र कुमार ने अपना पहला चुनाव 1996 में सागर लोकसभा से लड़ा था और जीत हासिल की थी. 1996 के बाद वीरेन्द्र कुमार ने 1998,1999 और 2004 में सागर संसदीय सीट से चुनाव जीते. इसके बाद सागर संसदीय सीट जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, 2008 के परिसीमन में अनारक्षित हो गयी. बुंदेलखंड की कुल चार सीटों में सागर अनारक्षित होने के बाद टीकमगढ़ संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गयी. वीरेन्द्र कुमार को सागर सीट छोड़कर टीकमगढ़ पलायन करना पड़ा और 2009 में उन्होंने पहली बार टीकमगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. टीकमगढ़ में भी उनकी जीत का सिलसिला सागर की तरह जारी रहा और 2009 के बाद 2014 और 2019 में भी उन्हें टीकमगढ़ से जीत हासिल हुई.

कांग्रेस विधायक और सपा का साथ मिले तो तगड़ी चुनौती

कांग्रेस ने टीकमगढ़ से युवा चेहरा पंकज अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि पंकज अहिरवार के लिए स्थानीय होना फायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन टीकमगढ] संसदीय क्षेत्र के तीन कांग्रेस विधायक और यूपी से लगी इस सीट पर समाजवादी पार्टी मदद करें, तो पंकज अहिरवार वीरेन्द्र कुमार को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. टीकमगढ़ संसदीय सीट में टीकमगढ़ और खरगापुर और निवाड़ी की पृथ्वीपुर सीट से कांग्रेस विधायकों ने जीत हासिल की है. वहीं दूसरी तरफ टीकमगढ़ से यूपी का इलाका लगा हुआ है और सपा की खजुराहो सीट से प्रत्याशी घोषित हुई, मीरा यादव निवाड़ी से चुनाव जीत चुकी है. भले ही खजुराहो से उनका परचा निरस्त हो गया हो, लेकिन अगर वो गठबंधन के तहत टीकमगढ़ में कांग्रेस को सपोर्ट करती हैं, तो पंकज अहिरवार तगड़ी चुनौती वीरेन्द्र कुमार को दे सकते हैं.

क्या हैं कांग्रेस के मुद्दे

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र चौधरी कहते हैं कि 'वीरेंद्र खटीक जो आज मंत्री और सांसद हैं और बुंदेलखंड की जनता ने उन्हें जिन अपेक्षाओं और उम्मीद से चुना था. सागर और टीकमगढ़ के लोगों ने सांसद बना कर दिल्ली भेजा था. आज उन सब विषयों पर चर्चा करने की जरूरत है. सामाजिक न्याय मंत्री रहने के बाद देश और बुंदेलखंड में सामाजिक न्याय की व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. गैर बराबरी को खत्म करने के लिए सामाजिक उत्थान के कोई प्रयास सामाजिक न्याय मंत्री रहते हुए वीरेंद्र खटीक ने नहीं किए हैं. उन्होंने सात बार सांसद चुने जाने के बाद बुंदेलखंड के लिए कोई काम नहीं किया है.'

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कांग्रेस नेता ने कहा कि 'बुंदेलखंड के लिए उनके नाम पर कोई उपलब्धि नहीं है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड को मिलाकर बुंदेलखंड कॉरिडोर बनाना था, लेकिन 40 हजार करोड़ के पैकेज में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड को फूटी कौड़ी नहीं मिली है. ऐसे निकम्मेपन के कारण जनता इनको फिर नहीं चुनेगी. कई काम ऐसे हैं, जो मंत्री रहते सागर, टीकमगढ़ और बुंदेलखंड के लिए कर सकते थे, लेकिन इन्होंने नहीं किया. उनकी पार्टी के लोग संविधान को बदलने और खत्म करने की बात कर रहे हैं, लेकिन लगातार आरक्षित सीट से चुने जाने और मंत्री बनने के बाद भी वीरेंद्र खटीक चुप्पी साधे हुए हैं. वंचितों और दलितों के उत्थान को ध्यान रखते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को खत्म करने की साजिश की जा रही है.

Last Updated : Apr 13, 2024, 10:54 PM IST
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