नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली की वित्त मंत्री अतिशी द्वारा आज विधानसभा में प्रस्तुत इकोनॉमिक सर्वे एक सामान्य आर्थिक रिपोर्ट है, जिसमे कुछ भी अनोखा नहीं है. खेदपूर्ण है कि वित्त मंत्री ने इकोनॉमिक सर्वे प्रस्तुत करने की आड़ में भी ओछी राजनीतिक बयानबाजी की, झूठे दावे किये.
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली की वित्त मंत्री का कोविड काल के बाद अर्थव्यवस्था में तेज़ी का दावा खोखला है. क्योंकि कोविड काल के बाद सारे देश की अर्थव्यवस्था ने गत वर्ष से ही रफ्तार पकड़ ली थी, खासकर महानगरों में. वित्त मंत्री के दावे कि दिल्ली में देश की मात्र 1.5 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन जीडीपी में इसका 4 प्रतिशत योगदान है. इसमें दिल्ली सरकार का कोई योगदान नही है. दिल्ली एक व्यापारिक वितरण केन्द्र है और यहां अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी हैं. और व्यापारियों एवं उद्यमियों के श्रम के कारण दिल्ली का जीडीपी औसत शहरों से अधिक है.
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वित्त मंत्री अतिशी का दावा कि दिल्ली में महंगाई एवं बेरोज़गारी दर कम है. अपनी सरकार की झूठी वाहवाही है. वित्त मंत्री बताएं दिल्ली में किस आवश्यक खाद्यान्न के दाम पड़ोसी राज्यों से कम है ? समग्र अर्थव्यवस्था में महंगाई दर पूरे देश में एक जैसी रहती है. अतिशी का यह दावा कि फ्री बिजली, पानी, बस टिकट से दिल्ली में महंगाई दर कम है, हास्यास्पद है. दिल्ली की एक बड़ी गरीब आबादी किराए के मकानों में रहती है. जिन तक ना फ्री बिजली का लाभ पहुंचता है, ना फ्री पानी का. जहां तक फ्री बस टिकट की बात है वह स्कीम भी अब एक बड़ा स्कैम बन गई है जिसके अंतर्गत खासकर क्लस्टर बसों में पुरुषों तक को महिला पिंक टिकट जारी किये जाते हैं.
निगम को बकाया वेतन को लेकर हाई कोर्ट से फटकार, बीजेपी ने कसा तंज
दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों का वेतन और बकाये का भुगतान नहीं करने पर एमसीडी को दिल्ली हाई कोर्ट की चेतावनी पर दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि एमसीडी में "आप" के सत्ता में रहने के एक साल बाद आर्थिक गड़बड़ी और बदतर हो गई है.
शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में एमसीडी कर्मचारियों को 2 महीने के बैकलॉग के साथ वेतन में देरी हो रही है. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि आज दिल्ली हाई कोर्ट में शिक्षकों के वेतन और लंबित बकाया से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने कहा कि हम प्रति वर्ष केवल 15 करोड़ रुपये का भुगतान कर सकते हैं. जिसका मतलब है कि शिक्षकों को ही आज तक का बकाया देने के लिए एमसीडी को 10 साल से अधिक का समय लग सकता है. एमसीडी को अपने 70000 से अधिक कर्मचारियों के वेतन, ग्रेच्युटी और पेंशन लाभों का बकाया लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का फंड देना है.
दिल्ली सरकार को तीसरे, चौथे और पांचवें दिल्ली वित्त आयोग के अनुसार दिल्ली नगर निगम को लगभग 25000 करोड़ रुपये देने हैं. इसके अलावा एमसीडी को 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान अपने ठेकेदारों और अन्य विक्रेताओं को करना बाकी है. दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि समय आ गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार एमसीडी के लंबित फंड को जारी करे या 28 मार्च 2024 को अगली सुनवाई पर एमसीडी को भंग करने के लिए केंद्र सरकार को दिल्ली उच्च न्यायालय की सिफारिश के लिए तैयार रहे.
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