जोधपुर: देश की पहली सरकारी डिजिटल नेशनल यूनिवर्सिटी का काम पूरा होने जा रहा है. केंद्र सरकार ने दो साल पहले इसकी घोषणा की थी. यूनिवर्सिटी के लिए पाठ्यक्रम बनाने का काम यूजीसी का शैक्षिक संचार संकाय 'सीईसी' कर रहा है. सीईसी ने अब तक स्नातक स्तर के आठ पाठ्यक्रम तैयार कर लिए हैं, जबकि तीन पर काम चल रहा है. यह काम पूरा होने के बाद केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय आगे काम करेगा.
जोधपुर आए सीईसी के निदेशक जगत भूषण नड्डा ने बताया कि जल्द ही तीन कोर्स तैयार होने के बाद इन्हें शिक्षा मंत्रालय को सुपुर्द कर दिया जाएगा. यूनिवर्सिटी का संचालन कौन करेगा, इसका निर्णय केंद्र सरकार करेगी. नड्डा ने बताया कि अब छात्रों के पास डिजिटल शिक्षा के सीमित विकल्प थे, लेकिन सरकार जिस डिजिटल यूनिवर्सिटी की परिकल्पना कर रही है, उससे छात्र पूरी डिग्री ले सकेंगे. फिलहाल, हमने स्नातक स्तर के लिए 11 कोर्स में से आठ तैयार कर दिए हैं. अभी अंग्रेजी, ज्योग्राफी व हिंदी विषय पर काम चल रहा है.छह माह में यह तैयार हो जाएंगे.इन 11 कोर्सेज में सभी तरह के पेपर समाहित होंगे. इसमें ग्रेजुएट डिग्री के लिए छात्र आवेदन कर सकेंगे.
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वर्ष 2022—23 के बजट में हुई थी घोषणा: बता दें कि केंद्र सरकार ने अपने बजट 2022-2023 में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी. इसका उदृदेश्य विश्वविद्यालय में छात्रों को विश्व स्तरीय गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा उपलब्ध कराना है. इन पाठ्यक्रमों को विभिन्न भारतीय भाषाओं और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के विभिन्न प्रारूपों में उपलब्ध कराया जाएगा.
राज्य सरकार कर रही प्रयास: राज्य सरकार इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और अन्य स्टेक होल्डर के साथ मिलकर काम कर रही है. इनमें से एक सीईसी भी है. सीईसी (CEC) की स्थापना यूजीसी के तहत टेलीविजन के साथ-साथ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा देने के लिए की गई थी. सीईसी ने इसके लिए देश में 21 विश्वविद्यालयों में अपने मीडिया केंद्र संचालित कर रहा है. सीईसी के पास 11 सरकारी टीवी चैनल है, जिसके माध्यम से पाठ्यक्रम से जुडे कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इन कार्यक्रमों व क्लासेज का निर्माण 21 केंद्रों के द्वारा होता है. इनमें एक केंद्र जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में भी है.