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खुली जेल में अस्पताल का प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया तो सीएस को भी वहां रहने जाना पड़ सकता है : सुप्रीम कोर्ट - Supreme Court On Open Jail Land

जयपुर में खुली जेल की जमीन पर अस्पताल बनाए जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाती है तो सीएस भी वहां रहने का पहला अनुभव लेंगे.

Supreme Court On Open Jail Land
खुली जेल की जमीन पर अस्पताल का मामला (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 11, 2024, 10:43 PM IST

जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर स्थित देश की पहली खुली जेल की जमीन पर अस्पताल बनाए जाने के मुद्दे को गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाती है तो सीएस भी वहां रहने का पहला अनुभव लेंगे. जस्टिस बीआर गवई व केवी विश्नाथन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी प्रसून गोस्वामी की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

प्रार्थी पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज ने खंडपीठ को बताया कि अदालत ने 17 मई 2024 को आदेश जारी कर राजस्थान सरकार को कहा था कि ओपन जेल की जमीन को कम करने का प्रयास नहीं करें. वहीं, छह दशक से ओपन जेल के लिए काम आ रही इस जमीन को संरक्षित करें, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी जेडीए ने 30 जुलाई 2024 को इस जमीन पर सेटेलाइट अस्पताल के लिए जमीन आवंटन करना मंजूर कर दिया है. राज्य सरकार व जेडीए का ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के अदालती आदेश की अवमानना है. याचिकाकर्ता सेटेलाइट अस्पताल खोलने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसके लिए दूसरी जगह देखी जा सकती है.

इसे भी पढ़ें- उच्चतम न्यायालयों के आदेशों के बावजूद जयपुर की खुली जेल की जमीन का हस्‍तांरण, सामाजिक संगठन उतरे विरोध में - Land for hospital in Open Jail

वहीं, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया, जिस पर अदालत ने सीएस को हिदायत देते हुए सुनवाई टाल दी. इस संबंध में प्रदेश की जेलों में आधारभूत सुविधाओं से जुड़े मामले में न्याय मित्र अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने बताया कि ओपन जेल में हॉस्पिटल बनाए जाने का मुद्दा राजस्थान हाईकोर्ट में भी पेंडिंग चल रहा है और अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांग रखा है.

जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर स्थित देश की पहली खुली जेल की जमीन पर अस्पताल बनाए जाने के मुद्दे को गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाती है तो सीएस भी वहां रहने का पहला अनुभव लेंगे. जस्टिस बीआर गवई व केवी विश्नाथन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी प्रसून गोस्वामी की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

प्रार्थी पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज ने खंडपीठ को बताया कि अदालत ने 17 मई 2024 को आदेश जारी कर राजस्थान सरकार को कहा था कि ओपन जेल की जमीन को कम करने का प्रयास नहीं करें. वहीं, छह दशक से ओपन जेल के लिए काम आ रही इस जमीन को संरक्षित करें, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी जेडीए ने 30 जुलाई 2024 को इस जमीन पर सेटेलाइट अस्पताल के लिए जमीन आवंटन करना मंजूर कर दिया है. राज्य सरकार व जेडीए का ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के अदालती आदेश की अवमानना है. याचिकाकर्ता सेटेलाइट अस्पताल खोलने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसके लिए दूसरी जगह देखी जा सकती है.

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वहीं, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया, जिस पर अदालत ने सीएस को हिदायत देते हुए सुनवाई टाल दी. इस संबंध में प्रदेश की जेलों में आधारभूत सुविधाओं से जुड़े मामले में न्याय मित्र अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने बताया कि ओपन जेल में हॉस्पिटल बनाए जाने का मुद्दा राजस्थान हाईकोर्ट में भी पेंडिंग चल रहा है और अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांग रखा है.

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