जयपुर. एनडीपीएस मामलों की विशेष अदालत ने नशीली दवाइयों का बिना लाइसेंस भंडारण और विक्रय करने से जुडे़ मामले में दवा विक्रेता रमेश केडिया और उसके बेटे अखिल केडिया को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों अभियुक्तों पर कुल चार लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, अदालत ने गोदाम मालिक को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. पीठासीन अधिकारी प्रमोद कुमार मलिक ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्तों ने बिना लाइसेंस भारी मात्रा में दवाइयों का भंडारण कर अपराध कारित किया है. ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.
विशेष लोक अभियोजक शंकर लाल ने अदालत को बताया कि एक फरवरी, 2020 को औषधि नियंत्रक अधिकारी को शहर में नशीली मादक दवाओं की तस्करी होने की सूचना मिली थी. इस पर टीम गठित कर देर शाम अभियुक्त के रिहायशी मकान में चल रहे गोदाम पर दबिश दी गई. जहां एनसीबी की टीम को 14,400 बोतल कोडीन फास्फेट, 5,98,685 ट्रामाडोल टैबलेट, 7,13,080 अल्प्राजोलम टैबलेट एवं 50 इंजेक्शन ट्रामाडोल 2 एमएल के मिले थे.
अभियुक्त के पास एनडीपीएस के अनुसार कोई लाइसेंस नहीं था, जबकि बिना लाइसेंस इन दवाओं का निर्माण, भण्डारण एवं विक्रय करना प्रतिबंधित है. इस पर ब्यूरो ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया. सुनवाई के दौरान भवन मालिक ने अदालत को बताया कि वह इन दवाओं के भंडारण में शामिल नहीं है. उसने सिर्फ अपनी संपत्ति को किराए पर दिया था. ऐसे में उसे दोषमुक्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पिता-पुत्र को दंडित करते हुए मकान मालिक को बरी किया है.