भरतपुर : क्या आपने कभी 67 लाख रुपए की ऐसी कलाकृति देखी है, जिसे चार्टर प्लेन के जरिए एक देश से दूसरे देश लाया गया हो ? भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कुछ ऐसा है, जो आपको हैरान कर देगा. चार्टर प्लेन से लाई गई 67 लाख रुपए की एक दुर्लभ क्रिस्टल प्रतिमा, जो असली साइबेरियन सारस जैसी दिखती है, पिछले करीब 19 साल से उद्यान की शान बनी हुई है.
यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपी है कला, संरक्षण और इतिहास की एक अनोखी कहानी. आखिर क्यों इस कृति को ऑस्ट्रिया से भरतपुर तक लाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए ? और क्या इसे इतना खास बनाता है कि पर्यटक इसकी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं ? आइये इस कृति की पूरी कहानी जानते हैं.
असली साइबेरियन सारस जैसी प्रतिमा : पर्यावरणविद और रिटायर्ड रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि घना के डॉ. सालिम अली इंटरप्रिटेशन सेंटर में स्थित 1.6 मीटर ऊंची सारस के जोड़े की प्रतिमा असली साइबेरियन सारस के आकार और संरचना की सटीक प्रतिकृति है. इसे इतनी बारीकी और कुशलता से बनाया गया है कि यह एकदम सारस के जैसा ही नजर आता है. क्रिस्टल से निर्मित यह अनमोल कृति उद्यान के प्रवेशद्वार पर स्थित सालिम अली इंटरप्रिटेशन सेंटर की शोभा बढ़ा रही है.
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कैसे पहुंची यह कृति भरतपुर ? : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि साइबेरियन सारस के जोड़े की यह प्रतिमा ऑस्ट्रिया के विश्वप्रसिद्ध क्रिस्टल निर्माता स्वारोवस्की द्वारा तैयार कराई गई थी. इसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सालिम अली इंटरप्रिटेशन सेंटर के लिए उपहार स्वरूप भेंट किया गया था. करीब 60 लाख रुपए की इस कृति को भरतपुर तक लाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे. निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इस प्रतिमा को चार्टर प्लेन के जरिए भारत लाया गया था, लेकिन कस्टम ड्यूटी और अन्य शुल्कों के कारण इसकी कुल कीमत 67 लाख रुपए तक पहुंच गई.
पर्यावरणविद भोलू अबरार बताते हैं कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को विश्व मंच पर पहचान दिलाने में डॉ. सालिम अली का योगदान अमूल्य है. यह प्रतिमा न केवल डॉ. सालिम अली की विरासत को सम्मान देती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और कला के प्रति हमारे समर्पण को भी दर्शाती है. स्वारोवस्की का यह योगदान हमारे लिए अनमोल है. स्वारोवस्की ने केवल यह प्रतिमा नहीं दी, बल्कि सालिम अली इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण भी करवाया. यह केंद्र पर्यटकों को पक्षियों और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने का एक जरिया है.