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नारायण सेवा संस्थान का 41वां दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह हुआ संपन्न, अपने साजन संग विदा हुई 51 बेटियां

Disabled Mass Marriage Ceremony, उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान की ओर से रविवार को आयोजित 41वें दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में 51 जोड़ों ने सात फेरे लिए.

Disabled Mass Marriage Ceremony
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 11, 2024, 6:18 PM IST

दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह

उदयपुर. नारायण सेवा संस्थान की ओर से रविवार को आयोजित 41वें दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में 51 जोड़ों ने सात फेरे लिए. इनमें 25 जोड़े विकलांग थे, जबकि 26 जोड़े ऐसे थे जो बैशाखी या किसी अन्य सहारे के जरिए विवाद मंडप तक पहुंचे थे. वहीं, ज्यादातर वर-वधू ऐसे रहे जो संस्थान से आर्टिफिशियल लिंब और आत्मनिर्भरता का कोर्स किए थे. साथ ही शादी से पहले सभी ने अपने अनुभव साझा किए. इस विवाह समारोह में कई बड़ी हस्तियां शिरकत की, जिसमें मुख्य रूप से अमेरिका से आए सोहन चड्ढा, इंग्लैंड से भरतभाई सोलंकी, दिल्ली से कुसुम गुप्ता सहित अन्य अतिथियों की मौजूदगी में लेकसिटी के हाड़ा सभागार में सामूहिक विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस दौरान वर-वधू पक्ष के नाते-रिश्तेदारों के साथ ही मित्रजन समेत भारी संख्या में संस्था से जुड़े लोग शामिल हुए.

संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश 'मानव' सह संस्थापिका कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल ने गणपति पूजन के बाद प्रातः 11 बजे शुभ मुहूर्त में दूल्हों का क्रमवार तोरण की रस्म का निर्वहन किया. इसके बाद भव्य मंडप में संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल व निदेशक वंदना अग्रवाल के सहयोग से वरमाला कार्यक्रम कराया गया. इसके बाद मुख्य आचार्य के निर्देशन में 51 पंडितों ने अलग-अलग अग्नि कुंडों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पाणिग्रहण संस्कार संपन्न कराया. वहीं, इस अवसर पर प्रत्येक वेदी पर वर-वधू के माता-पिता, कन्यादानी व साधक-साधिकाएं मौजूद रहे.

Disabled Mass Marriage Ceremony
51 दिव्यांग जोड़े ने लिए सात फेरे

इसे भी पढ़ें - निर्धन और दिव्यांगों का निशुल्क सामुहिक विवाह, धूमधाम से शहर में निकली बिंदोली

संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अतिथियों व वर-वधुओं के परिजनों का स्वागत करते हुए कहा कि जब जीवन की दशा और दिशा बदलने वाला कोई सुनहरा सपना होता है तो उसकी खुशी को बयां करना आसान नहीं होता है. वही मंजर आज दिख रहा है. उन्होंने बताया कि संस्थान पिछले 40 सालों से विभिन्न राज्यों के 2300 से अधिक जोड़ों की गृहस्थी बसाने में योगदान दे चुका है. विवाह विधि संपन्न होने के बाद नवविवाहित जोड़ों को संस्थान व अतिथियों की ओर से आवश्यक सामान और उपहारों के साथ ही आभूषण प्रदान किए गए. इसमें मंगलसूत्र, चूड़ी, लोंग, कर्णफूल, अंगूठी, रजत पायल, बिछिया आदि शामिल थे.

दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह

उदयपुर. नारायण सेवा संस्थान की ओर से रविवार को आयोजित 41वें दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में 51 जोड़ों ने सात फेरे लिए. इनमें 25 जोड़े विकलांग थे, जबकि 26 जोड़े ऐसे थे जो बैशाखी या किसी अन्य सहारे के जरिए विवाद मंडप तक पहुंचे थे. वहीं, ज्यादातर वर-वधू ऐसे रहे जो संस्थान से आर्टिफिशियल लिंब और आत्मनिर्भरता का कोर्स किए थे. साथ ही शादी से पहले सभी ने अपने अनुभव साझा किए. इस विवाह समारोह में कई बड़ी हस्तियां शिरकत की, जिसमें मुख्य रूप से अमेरिका से आए सोहन चड्ढा, इंग्लैंड से भरतभाई सोलंकी, दिल्ली से कुसुम गुप्ता सहित अन्य अतिथियों की मौजूदगी में लेकसिटी के हाड़ा सभागार में सामूहिक विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस दौरान वर-वधू पक्ष के नाते-रिश्तेदारों के साथ ही मित्रजन समेत भारी संख्या में संस्था से जुड़े लोग शामिल हुए.

संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश 'मानव' सह संस्थापिका कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल ने गणपति पूजन के बाद प्रातः 11 बजे शुभ मुहूर्त में दूल्हों का क्रमवार तोरण की रस्म का निर्वहन किया. इसके बाद भव्य मंडप में संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल व निदेशक वंदना अग्रवाल के सहयोग से वरमाला कार्यक्रम कराया गया. इसके बाद मुख्य आचार्य के निर्देशन में 51 पंडितों ने अलग-अलग अग्नि कुंडों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पाणिग्रहण संस्कार संपन्न कराया. वहीं, इस अवसर पर प्रत्येक वेदी पर वर-वधू के माता-पिता, कन्यादानी व साधक-साधिकाएं मौजूद रहे.

Disabled Mass Marriage Ceremony
51 दिव्यांग जोड़े ने लिए सात फेरे

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संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अतिथियों व वर-वधुओं के परिजनों का स्वागत करते हुए कहा कि जब जीवन की दशा और दिशा बदलने वाला कोई सुनहरा सपना होता है तो उसकी खुशी को बयां करना आसान नहीं होता है. वही मंजर आज दिख रहा है. उन्होंने बताया कि संस्थान पिछले 40 सालों से विभिन्न राज्यों के 2300 से अधिक जोड़ों की गृहस्थी बसाने में योगदान दे चुका है. विवाह विधि संपन्न होने के बाद नवविवाहित जोड़ों को संस्थान व अतिथियों की ओर से आवश्यक सामान और उपहारों के साथ ही आभूषण प्रदान किए गए. इसमें मंगलसूत्र, चूड़ी, लोंग, कर्णफूल, अंगूठी, रजत पायल, बिछिया आदि शामिल थे.

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