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थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को पैरोल, गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए मांगी थी रिहाई - RAJASTHAN HIGH COURT

अलवर के थानागाजी में सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी को 30 दिन का मिला पैरोल.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 20, 2024, 8:53 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी में पति के सामने महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी इंद्राज को 30 दिन के आकस्मिक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. अदालत ने अभियुक्त को कहा है कि वह पैरोल अवधि बीतने पर जेल प्रशासन के समक्ष सरेंडर करे. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश इंद्राज की ओर से अपनी पत्नी के जरिए दायर पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पैरोल नियम, 2021 में पत्नी की डिलीवरी के आधार पर कैदी की रिहाई का प्रावधान है. ऐसे में मानवीय आधार पर याचिकाकर्ता को आकस्मिक पैरोल का लाभ देना उचित है. याचिका में अधिवक्ता गोविंद प्रसाद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी गर्भवती है और चिकित्सकों ने उसके प्रसव की अनुमानित तिथि 21 दिसंबर बताई है. उसकी पत्नी की देखरेख करने वाला कोई नहीं है और उसे इस मौके पर पत्नी के साथ रहना चाहिए.

इसे भी पढ़ें - थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश

इसलिए उसने जेल प्रशासन के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश किया था, लेकिन जेल अधीक्षक ने गत 5 नवंबर को उसका प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि पैरोल नियम, 2021 के तहत उसे पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश चौधरी ने कहा कि नए नियमों के तहत कैदी को अपनी पत्नी की डिलीवरी के आधार पर पर पैरोल का लाभ नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त को तीस दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी में पति के सामने महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी इंद्राज को 30 दिन के आकस्मिक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. अदालत ने अभियुक्त को कहा है कि वह पैरोल अवधि बीतने पर जेल प्रशासन के समक्ष सरेंडर करे. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश इंद्राज की ओर से अपनी पत्नी के जरिए दायर पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पैरोल नियम, 2021 में पत्नी की डिलीवरी के आधार पर कैदी की रिहाई का प्रावधान है. ऐसे में मानवीय आधार पर याचिकाकर्ता को आकस्मिक पैरोल का लाभ देना उचित है. याचिका में अधिवक्ता गोविंद प्रसाद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी गर्भवती है और चिकित्सकों ने उसके प्रसव की अनुमानित तिथि 21 दिसंबर बताई है. उसकी पत्नी की देखरेख करने वाला कोई नहीं है और उसे इस मौके पर पत्नी के साथ रहना चाहिए.

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इसलिए उसने जेल प्रशासन के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश किया था, लेकिन जेल अधीक्षक ने गत 5 नवंबर को उसका प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि पैरोल नियम, 2021 के तहत उसे पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश चौधरी ने कहा कि नए नियमों के तहत कैदी को अपनी पत्नी की डिलीवरी के आधार पर पर पैरोल का लाभ नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त को तीस दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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