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बेऔलाद दंपती के लिए बच्चे जैसा था डॉगी; मौत पर रोए, तेरहवीं पर 1000 लोगों को भोज, संगम में अस्थियां प्रवाहित - Jhansi News

झांसी में आवारा कुत्तों के हमले में संजीव कुमार के दोनों डाॅगी हो गए थे घायल, इलाज के दौरान एक की मौत.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 40 minutes ago

पालतू कुत्ते की मौत के बाद की तेरहवीं.
पालतू कुत्ते की मौत के बाद की तेरहवीं. (Photo Credit; ETV Bharat)

झांसी : जिले में एक दंपती ने दो कुत्ते पाले. दोनों का ख्याल बच्चों की तरह रखा, लेकिन आवारा कुत्तों के हमले में घायल एक की मौत हो गई. जिसके बाद दंपती ने कुत्ते का अंतिम संस्कार किया. डॉगी की अस्थियों को प्रयागराज में प्रवाहित किया. इसके बाद दंपती ने तेरहवीं संस्कार पूरे विधि विधान से किया. तेरहवीं भोज में रिश्तेदारों समेत एक हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. संजीव परिहार बताते हैं कि डाॅगी ने कई बार उन्हें सांप से बचाया.

डाॅगी की मौत पर तेरहवीं भोज का आयोजन (Video credit: ETV Bharat)

इंसानी जिंदगी में धीरे-धीरे पशु-पक्षी इतने जुड़ जाते हैं कि मानो यह भी हमारी जिंदगी का एक हिस्सा हों. ऐसा ही एक किस्सा झांसी में सामने आया है. झांसी के रक्सा के सुजवाह गांव के रहने वाले संजीव परिहार पत्नी माला के साथ रहते हैं.

मालिक संजीव परिहार ने दुखी मन से बताया कि उन्होंने 13 साल पहले एक नर और मादा कुत्ते को लाकर अपने बच्चों की तरह पाला. उन्होंने एक का नाम 'बिट्टू' और दूसरे का नाम 'पायल' रखा. औलाद न होने पर हम दोनों पति पत्नी के लिए उनके दोनों डॉगी ही सब कुछ थे.

24 अक्टूबर को कुछ आवारा कुत्तों ने दोनों पर हमला कर दिया था, इसमें दोनों ही बुरी तरह से घायल हो गए थे. घायल अवस्था में दोनों को इलाज के लिए झांसी ले गए, लेकिन बिट्टू की मौत हो गई. जिसके बाद पायल समेत वह और उनकी पत्नी काफी सदमे में आ गए.

बिट्टू के चले जाने पर पायल दुखी है और पिछले पांच दिन से खाना पीना सब छोड़ रखा है. बिट्टू की मौत के बाद से घर में भी खाना नहीं बना है. उन्होंने बताया कि बिट्टू का अंतिम संस्कार भी इंसानों की तरह ही किया और अस्थियां विसर्जन के लिए प्रयागराज भी गए.

तेरह दिन पूरे होने पर रविवार को बिट्टू की तेरहवीं की गई. इस दौरान उन्होंने रिश्तेदारों सहित गांव के लोगों को भी निमंत्रण दिया. तेरहवीं भोज में करीब एक हजार से अधिक लोग शामिल हुए. बिट्टू को बच्चे की तरह ही पाला था. बिट्टू ने उनकी जान भी बचाई थी. उसके मरने से परिवार के सभी लोग दुखी हैं.

यह भी पढ़ें : कुत्ते की मौत पर मालिक ने किया श्राद्ध, 400 लोगों को कराया भोज, परिवार के सदस्य की तरह किया था अंतिम संस्कार - Dog Died In Kolhapur

यह भी पढ़ें : रेलवे ट्रैक पर पालतू कुत्ते को बचाने दौड़े, ट्रेन की चपेट में आने से वकील और डॉग की मौत - Lawyer dies trying to save dog

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डाॅगी की मौत पर तेरहवीं भोज का आयोजन (Video credit: ETV Bharat)

इंसानी जिंदगी में धीरे-धीरे पशु-पक्षी इतने जुड़ जाते हैं कि मानो यह भी हमारी जिंदगी का एक हिस्सा हों. ऐसा ही एक किस्सा झांसी में सामने आया है. झांसी के रक्सा के सुजवाह गांव के रहने वाले संजीव परिहार पत्नी माला के साथ रहते हैं.

मालिक संजीव परिहार ने दुखी मन से बताया कि उन्होंने 13 साल पहले एक नर और मादा कुत्ते को लाकर अपने बच्चों की तरह पाला. उन्होंने एक का नाम 'बिट्टू' और दूसरे का नाम 'पायल' रखा. औलाद न होने पर हम दोनों पति पत्नी के लिए उनके दोनों डॉगी ही सब कुछ थे.

24 अक्टूबर को कुछ आवारा कुत्तों ने दोनों पर हमला कर दिया था, इसमें दोनों ही बुरी तरह से घायल हो गए थे. घायल अवस्था में दोनों को इलाज के लिए झांसी ले गए, लेकिन बिट्टू की मौत हो गई. जिसके बाद पायल समेत वह और उनकी पत्नी काफी सदमे में आ गए.

बिट्टू के चले जाने पर पायल दुखी है और पिछले पांच दिन से खाना पीना सब छोड़ रखा है. बिट्टू की मौत के बाद से घर में भी खाना नहीं बना है. उन्होंने बताया कि बिट्टू का अंतिम संस्कार भी इंसानों की तरह ही किया और अस्थियां विसर्जन के लिए प्रयागराज भी गए.

तेरह दिन पूरे होने पर रविवार को बिट्टू की तेरहवीं की गई. इस दौरान उन्होंने रिश्तेदारों सहित गांव के लोगों को भी निमंत्रण दिया. तेरहवीं भोज में करीब एक हजार से अधिक लोग शामिल हुए. बिट्टू को बच्चे की तरह ही पाला था. बिट्टू ने उनकी जान भी बचाई थी. उसके मरने से परिवार के सभी लोग दुखी हैं.

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Last Updated : 40 minutes ago
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