झांसी : जिले में एक दंपती ने दो कुत्ते पाले. दोनों का ख्याल बच्चों की तरह रखा, लेकिन आवारा कुत्तों के हमले में घायल एक की मौत हो गई. जिसके बाद दंपती ने कुत्ते का अंतिम संस्कार किया. डॉगी की अस्थियों को प्रयागराज में प्रवाहित किया. इसके बाद दंपती ने तेरहवीं संस्कार पूरे विधि विधान से किया. तेरहवीं भोज में रिश्तेदारों समेत एक हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. संजीव परिहार बताते हैं कि डाॅगी ने कई बार उन्हें सांप से बचाया.
इंसानी जिंदगी में धीरे-धीरे पशु-पक्षी इतने जुड़ जाते हैं कि मानो यह भी हमारी जिंदगी का एक हिस्सा हों. ऐसा ही एक किस्सा झांसी में सामने आया है. झांसी के रक्सा के सुजवाह गांव के रहने वाले संजीव परिहार पत्नी माला के साथ रहते हैं.
मालिक संजीव परिहार ने दुखी मन से बताया कि उन्होंने 13 साल पहले एक नर और मादा कुत्ते को लाकर अपने बच्चों की तरह पाला. उन्होंने एक का नाम 'बिट्टू' और दूसरे का नाम 'पायल' रखा. औलाद न होने पर हम दोनों पति पत्नी के लिए उनके दोनों डॉगी ही सब कुछ थे.
24 अक्टूबर को कुछ आवारा कुत्तों ने दोनों पर हमला कर दिया था, इसमें दोनों ही बुरी तरह से घायल हो गए थे. घायल अवस्था में दोनों को इलाज के लिए झांसी ले गए, लेकिन बिट्टू की मौत हो गई. जिसके बाद पायल समेत वह और उनकी पत्नी काफी सदमे में आ गए.
बिट्टू के चले जाने पर पायल दुखी है और पिछले पांच दिन से खाना पीना सब छोड़ रखा है. बिट्टू की मौत के बाद से घर में भी खाना नहीं बना है. उन्होंने बताया कि बिट्टू का अंतिम संस्कार भी इंसानों की तरह ही किया और अस्थियां विसर्जन के लिए प्रयागराज भी गए.
तेरह दिन पूरे होने पर रविवार को बिट्टू की तेरहवीं की गई. इस दौरान उन्होंने रिश्तेदारों सहित गांव के लोगों को भी निमंत्रण दिया. तेरहवीं भोज में करीब एक हजार से अधिक लोग शामिल हुए. बिट्टू को बच्चे की तरह ही पाला था. बिट्टू ने उनकी जान भी बचाई थी. उसके मरने से परिवार के सभी लोग दुखी हैं.