अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार ने रिमोट एरिया और प्राकृतिक आपदाग्रस्त इलाकों में दवाइयों की आपूर्ति के लिए बेहतरीन उपाय खोज निकाला है. अब राज्य में आपदाओं और आपात परिस्थितियों में दूरदराज इलाकों में दवाइयां पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका ताजा उदाहरण आंध्र का गुंटूर जिले का कोलीपारा मंडल में देखने को मिला, जहां राज्य की इस पायलट प्रोजेक्ट को बड़ी सफलता मिली है.
बता दें कि, बड़े शहरों और कस्बों में मिलने वाली सभी दवाइयां छोटे शहरों में नहीं मिलती हैं. अगर मिल भी जाती हैं तो उन्हें स्टोर नहीं किया जा सकता. साथ ही, जरूरत पड़ने पर दवाइयों को लाने के लिए समय की कमी होती है. नतीजतन, मरीज की जान को खतरा होता है. इस स्थिति से निपटने के लिए ही राज्य सरकार ने ड्रोन की सहायता से दवाइयों को पहुंचाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया. इस प्रोजेक्ट को गुंटूर जिले में सफलता मिली है.
मुनंगी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 15 किमी दूर ड्रोगो ड्रोन द्वारा 10 किलो का टीका और दवा किट दूरी पर स्थित अन्नावरपुलंका आयुष्मान स्वास्थ्य केंद्र में भेजा गया. ड्रोन सड़क, रायपल्ले नहर और कृष्णा नदी बेसिन को पार करने के बाद 10 मिनट के भीतर लक्ष्य तक पहुंच गया. पीएचसी चिकित्सा अधिकारी सीएच लक्ष्मी सुधा, तहसीलदार सिद्धार्थ और एमपीडीओ विजया लक्ष्मी ने प्रक्रिया की निगरानी की. अब इससे संबंधित रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी.
विजयवाड़ा बाढ़ में खाद्य वितरण के लिए ड्रोन का उपयोग
हाल ही में, राज्य सरकार ने विजयवाड़ा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. इस प्रक्रिया में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए, पहली बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को ड्रोन द्वारा पानी, भोजन और दवा वितरित की गई.
इन ड्रोन का उपयोग रिमोट इलाकों में खाद्य आपूर्ति के लिए वैकल्पिक मार्गों के हिस्से के रूप में किया गया है, जहां नाव और हेलीकॉप्टर भी नहीं जा सकते हैं. कई इलाकों में पीड़ितों को ड्रोन द्वारा भोजन वितरण के परिणाम सामने आए हैं.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, मंत्री लोकेश ने कहा कि, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों को भोजन वितरित करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ड्रोन के माध्यम से राहत प्रयासों में तेजी आई है. लोकेश ने खुलासा किया कि यह पहली बार है जब बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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