वाराणसी: संभल के बाद बनारस में भी एक मंदिर मिलने के बाद यहां पर सनातन रक्षक दल लगातार पूजा पाठ शुरू करने की मांग कर रहा है. हालांकि प्रशासन ने 4 से 5 दिन का वक्त मांगा है. वहीं, सनातन रक्षक दल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर तत्काल पूजा शुरू करने की मांग की है.
हिंदू रक्षादल का कहना है कि यह पूरा इलाका पहले काशी के हरिकेश वन में विद्यमान देवी देवताओं के रक्षक राजा मदनपाल के द्वारा स्थापित है, जिसे मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. इसलिए इस इलाके को महत्व और परंपराओं के अनुसार ध्यान में रखते हुए विकसित करते हुए पूजा पाठ तत्काल शुरू की जाए.
1927 तक बंगाली परिवार रहते थेः सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा कानूनी दस्तावेजों से लेकर पौराणिक दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हुए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अजय शर्मा ने ने दावा किया 1927 से पहले तक मदनपुरा का पूरा इलाका बंगाली परिवार से भरा पूरा था. लेकिन धीरे-धीरे यहां पर लोग घर बेचकर कर जाने लगे और वर्ग विशेष के लोग रहने लगे. इसके बाद यह पुराना मकान भी बेच दिया गया. उन्होंने बताया कि कानूनी दस्तावेज में 1931 में राजा महेंद्र रंजन राय और राधिका रंजन राय का मकान नंबर 33/ 273, 274 जो बाद में मकान नंबर परिवर्तन के बाद डी 31/65 जिसके बड़े हिस्से को तत्कालीन हाजी ताज मोहम्मद को बेचा गया. यह रजिस्ट्री 1927 से 1935 के बीच हुई. तभी से यह मकान और मंदिर हिंदुओं के हाथ से चला गया और यहां पर पूजा पाठ बंद हो गई.
राजा मदन मोहन ने विकसित किया था इलाकाः अजय शर्मा ने बताया कि इस पूरे इलाके को काशी के गोल चबूतरा मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. मदनपुरा नाम पड़ने के पीछे भी एक बड़ी वजह है. राजा मदन मोहन जी ने मदन पॉल के नाम से भी जाना जाता था. उन्हीं ने इस पूरे इलाके को विकसित किया और सनातन धर्म से जुड़े तमाम मंदिरों की स्थापना और उसका रखरखाव शुरू किया. लेकिन बाद में लोग यहां से धीरे-धीरे हट गए और यह पूरा क्षेत्र साड़ी कारोबार से जुड़ते हुए वर्ग विशेष के लोगों के हाथ में जाता चला गया. सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अगर जांच शुरू की जाए तो इस इलाके के हर घर में एक मंदिर निकलेगा. यहां तक की जो मंदिर के बंद होने की बात कही जा रही है, उसी घर में 7 चौक अलग-अलग हैं. जिनमें से चौथे चौक के अंदर सिद्धेश्वरी काली और महादेव का एक और मंदिर है, जो बंद पड़ा हुआ है. यहां पर भी पूजा पाठ नहीं होती है.
अजय शर्मा ने पत्र में लिखा है... 'प्राचीनकाल में काशी के हरिकेश-वन में विद्यमान देवी-देवताओं के रक्षार्थ राजा मदनपाल जी ने काशी के प्रथम मुहल्ला को विकसित किया था, जिसे आज मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. गोलचबूतरा, मदनपुरा स्थान में अवस्थित देवलिंग और देवतीर्थ के वर्णन में काशीखण्ड ४ अध्याय 97 में कहा गया है कि |
दस्तावेजों का तलाशा जा रहाः डीपी काशी जोन गौरव बंसवाल का कहना है कि मंदिर पुराना है, इसको खोजा नहीं गया है. गेट पर ताला बंद है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि ताला बंद किसने किया है. प्रशासनिक टीम मौका मुआयना कर चुकी है, दस्तावेजों को तलाशा जा रहा है. इसकी जांच जारी है. जांच के बाद ही किसी चीज को स्पष्ट किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण शांति व्यवस्था कायम रहे, इसलिए वहां पर पुलिस फोर्स लगाई गई है. सारी प्रक्रिया प्रशासनिक आधार पर ही होनी चाहिए यह महत्वपूर्ण है.