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जानिए बनारस के जिस मुस्लिम इलाके में मिला मंदिर, उस इलाके का क्या है हिन्दू कनेक्शन? - VARANASI TEMPLE HISTORY

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष ने ईटीवी भारत को मदनपुरा इलाके का बताया पूरा इतिहास और कब बिका मंदिर वाला मकान?

मदनपुर में स्थित पुराना मंदिर.
मदनपुर में स्थित पुराना मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

वाराणसी: संभल के बाद बनारस में भी एक मंदिर मिलने के बाद यहां पर सनातन रक्षक दल लगातार पूजा पाठ शुरू करने की मांग कर रहा है. हालांकि प्रशासन ने 4 से 5 दिन का वक्त मांगा है. वहीं, सनातन रक्षक दल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर तत्काल पूजा शुरू करने की मांग की है.

हिंदू रक्षादल का कहना है कि यह पूरा इलाका पहले काशी के हरिकेश वन में विद्यमान देवी देवताओं के रक्षक राजा मदनपाल के द्वारा स्थापित है, जिसे मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. इसलिए इस इलाके को महत्व और परंपराओं के अनुसार ध्यान में रखते हुए विकसित करते हुए पूजा पाठ तत्काल शुरू की जाए.

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

1927 तक बंगाली परिवार रहते थेः सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा कानूनी दस्तावेजों से लेकर पौराणिक दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हुए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अजय शर्मा ने ने दावा किया 1927 से पहले तक मदनपुरा का पूरा इलाका बंगाली परिवार से भरा पूरा था. लेकिन धीरे-धीरे यहां पर लोग घर बेचकर कर जाने लगे और वर्ग विशेष के लोग रहने लगे. इसके बाद यह पुराना मकान भी बेच दिया गया. उन्होंने बताया कि कानूनी दस्तावेज में 1931 में राजा महेंद्र रंजन राय और राधिका रंजन राय का मकान नंबर 33/ 273, 274 जो बाद में मकान नंबर परिवर्तन के बाद डी 31/65 जिसके बड़े हिस्से को तत्कालीन हाजी ताज मोहम्मद को बेचा गया. यह रजिस्ट्री 1927 से 1935 के बीच हुई. तभी से यह मकान और मंदिर हिंदुओं के हाथ से चला गया और यहां पर पूजा पाठ बंद हो गई.
राजा मदन मोहन ने विकसित किया था इलाकाः अजय शर्मा ने बताया कि इस पूरे इलाके को काशी के गोल चबूतरा मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. मदनपुरा नाम पड़ने के पीछे भी एक बड़ी वजह है. राजा मदन मोहन जी ने मदन पॉल के नाम से भी जाना जाता था. उन्हीं ने इस पूरे इलाके को विकसित किया और सनातन धर्म से जुड़े तमाम मंदिरों की स्थापना और उसका रखरखाव शुरू किया. लेकिन बाद में लोग यहां से धीरे-धीरे हट गए और यह पूरा क्षेत्र साड़ी कारोबार से जुड़ते हुए वर्ग विशेष के लोगों के हाथ में जाता चला गया. सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अगर जांच शुरू की जाए तो इस इलाके के हर घर में एक मंदिर निकलेगा. यहां तक की जो मंदिर के बंद होने की बात कही जा रही है, उसी घर में 7 चौक अलग-अलग हैं. जिनमें से चौथे चौक के अंदर सिद्धेश्वरी काली और महादेव का एक और मंदिर है, जो बंद पड़ा हुआ है. यहां पर भी पूजा पाठ नहीं होती है.

सनातन रक्षक दल ने डीएम को भेजा पत्र.
सनातन रक्षक दल ने डीएम को भेजा पत्र. (Photo Credit; ETV Bharat)
जिलाधिकारी को लिखा पत्रः अजय शर्मा का कहना है कि इससे जुड़े बहुत से पौराणिक तथ्य भी मैंने बाहर निकलवाए हैं. जिनमें यह स्पष्ट होता है कि यह इलाका सनातन धर्मियों के लिहाज से महत्वपूर्ण था. लोग यहां पर मंदिरों की स्थापना करने से लेकर इसकी देखरेख किया करते थे. लेकिन समय के साथ सब कुछ बदला और अब एक बार फिर से जब सारी चीज स्पष्ट है, तो यहां पूजा पाठ शुरू करने में देरी क्यों हो रही है. इसको लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है.

अजय शर्मा ने पत्र में लिखा है...

'प्राचीनकाल में काशी के हरिकेश-वन में विद्यमान देवी-देवताओं के रक्षार्थ राजा मदनपाल जी ने काशी के प्रथम मुहल्ला को विकसित किया था, जिसे आज मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. गोलचबूतरा, मदनपुरा स्थान में अवस्थित देवलिंग और देवतीर्थ के वर्णन में काशीखण्ड ४ अध्याय 97 में कहा गया है कि
तदग्निदिशि देवर्षिगणलिङ्गान्यनेकशः।
पुष्पदन्ताद्दक्षिणतः सिद्धीशः परसिद्धिदः॥
पञ्चोपचारपूजातः स्वप्ने सिद्धिं परां दिशेत् ।
इसका अर्थ ये हुआ कि पुष्पदन्तेश्वर से अग्निकोण पर देवता और ऋषिगण के स्थापित बहुतेरे लिंग विराजमान हैं. उक्त पुष्पदन्तेश्वर से दक्षिण परमसिद्धिप्रद सिद्धीश्वर हैं. यदि कोई उनकी पंचोपचार से पूजा करे, तो उसे वे स्वप्न में परमसिद्धि को बता देते हैं. वहीं, समीप में सिद्धतीर्थ कूप भी विद्यमान है (जिसे लोग गोल चबूतरा बोलते वह सिद्धकूप / सिद्धतीर्थ है). इसी स्थान समीप भवन में सिद्धकाली भी विराजमान हैं. जिसे आसपास के लोगों या पुराने हिन्दू बुजुर्गों द्वारा चांद बाबा के भवन में बताया जाता है. इसलिए पौराणिक और सरकारी दस्तावेजों के आधार पर वर्षों से बन्द और अर्चन पूजन से वंचित सिद्धीश्वर महादेव के मन्दिर में काशीवासियों को काशी विद्वत परिषद के विद्वानों सहयोग से अर्चन पूजन आरम्भ करवाने तथा इस क्षेत्र में अवस्थित अन्य पौराणिक स्थलों के उद्धार करवाने की अनुमति प्रदान करने की महती कृपा करें.'

दस्तावेजों का तलाशा जा रहाः डीपी काशी जोन गौरव बंसवाल का कहना है कि मंदिर पुराना है, इसको खोजा नहीं गया है. गेट पर ताला बंद है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि ताला बंद किसने किया है. प्रशासनिक टीम मौका मुआयना कर चुकी है, दस्तावेजों को तलाशा जा रहा है. इसकी जांच जारी है. जांच के बाद ही किसी चीज को स्पष्ट किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण शांति व्यवस्था कायम रहे, इसलिए वहां पर पुलिस फोर्स लगाई गई है. सारी प्रक्रिया प्रशासनिक आधार पर ही होनी चाहिए यह महत्वपूर्ण है.

इसे भी पढ़ें-काशी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में दशकों से बंद शिव मंदिर में पूजा अर्चना की उठी मांग, पुलिस तैनात

वाराणसी: संभल के बाद बनारस में भी एक मंदिर मिलने के बाद यहां पर सनातन रक्षक दल लगातार पूजा पाठ शुरू करने की मांग कर रहा है. हालांकि प्रशासन ने 4 से 5 दिन का वक्त मांगा है. वहीं, सनातन रक्षक दल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर तत्काल पूजा शुरू करने की मांग की है.

हिंदू रक्षादल का कहना है कि यह पूरा इलाका पहले काशी के हरिकेश वन में विद्यमान देवी देवताओं के रक्षक राजा मदनपाल के द्वारा स्थापित है, जिसे मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. इसलिए इस इलाके को महत्व और परंपराओं के अनुसार ध्यान में रखते हुए विकसित करते हुए पूजा पाठ तत्काल शुरू की जाए.

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

1927 तक बंगाली परिवार रहते थेः सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा कानूनी दस्तावेजों से लेकर पौराणिक दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हुए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अजय शर्मा ने ने दावा किया 1927 से पहले तक मदनपुरा का पूरा इलाका बंगाली परिवार से भरा पूरा था. लेकिन धीरे-धीरे यहां पर लोग घर बेचकर कर जाने लगे और वर्ग विशेष के लोग रहने लगे. इसके बाद यह पुराना मकान भी बेच दिया गया. उन्होंने बताया कि कानूनी दस्तावेज में 1931 में राजा महेंद्र रंजन राय और राधिका रंजन राय का मकान नंबर 33/ 273, 274 जो बाद में मकान नंबर परिवर्तन के बाद डी 31/65 जिसके बड़े हिस्से को तत्कालीन हाजी ताज मोहम्मद को बेचा गया. यह रजिस्ट्री 1927 से 1935 के बीच हुई. तभी से यह मकान और मंदिर हिंदुओं के हाथ से चला गया और यहां पर पूजा पाठ बंद हो गई.
राजा मदन मोहन ने विकसित किया था इलाकाः अजय शर्मा ने बताया कि इस पूरे इलाके को काशी के गोल चबूतरा मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. मदनपुरा नाम पड़ने के पीछे भी एक बड़ी वजह है. राजा मदन मोहन जी ने मदन पॉल के नाम से भी जाना जाता था. उन्हीं ने इस पूरे इलाके को विकसित किया और सनातन धर्म से जुड़े तमाम मंदिरों की स्थापना और उसका रखरखाव शुरू किया. लेकिन बाद में लोग यहां से धीरे-धीरे हट गए और यह पूरा क्षेत्र साड़ी कारोबार से जुड़ते हुए वर्ग विशेष के लोगों के हाथ में जाता चला गया. सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अगर जांच शुरू की जाए तो इस इलाके के हर घर में एक मंदिर निकलेगा. यहां तक की जो मंदिर के बंद होने की बात कही जा रही है, उसी घर में 7 चौक अलग-अलग हैं. जिनमें से चौथे चौक के अंदर सिद्धेश्वरी काली और महादेव का एक और मंदिर है, जो बंद पड़ा हुआ है. यहां पर भी पूजा पाठ नहीं होती है.

सनातन रक्षक दल ने डीएम को भेजा पत्र.
सनातन रक्षक दल ने डीएम को भेजा पत्र. (Photo Credit; ETV Bharat)
जिलाधिकारी को लिखा पत्रः अजय शर्मा का कहना है कि इससे जुड़े बहुत से पौराणिक तथ्य भी मैंने बाहर निकलवाए हैं. जिनमें यह स्पष्ट होता है कि यह इलाका सनातन धर्मियों के लिहाज से महत्वपूर्ण था. लोग यहां पर मंदिरों की स्थापना करने से लेकर इसकी देखरेख किया करते थे. लेकिन समय के साथ सब कुछ बदला और अब एक बार फिर से जब सारी चीज स्पष्ट है, तो यहां पूजा पाठ शुरू करने में देरी क्यों हो रही है. इसको लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है.

अजय शर्मा ने पत्र में लिखा है...

'प्राचीनकाल में काशी के हरिकेश-वन में विद्यमान देवी-देवताओं के रक्षार्थ राजा मदनपाल जी ने काशी के प्रथम मुहल्ला को विकसित किया था, जिसे आज मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. गोलचबूतरा, मदनपुरा स्थान में अवस्थित देवलिंग और देवतीर्थ के वर्णन में काशीखण्ड ४ अध्याय 97 में कहा गया है कि
तदग्निदिशि देवर्षिगणलिङ्गान्यनेकशः।
पुष्पदन्ताद्दक्षिणतः सिद्धीशः परसिद्धिदः॥
पञ्चोपचारपूजातः स्वप्ने सिद्धिं परां दिशेत् ।
इसका अर्थ ये हुआ कि पुष्पदन्तेश्वर से अग्निकोण पर देवता और ऋषिगण के स्थापित बहुतेरे लिंग विराजमान हैं. उक्त पुष्पदन्तेश्वर से दक्षिण परमसिद्धिप्रद सिद्धीश्वर हैं. यदि कोई उनकी पंचोपचार से पूजा करे, तो उसे वे स्वप्न में परमसिद्धि को बता देते हैं. वहीं, समीप में सिद्धतीर्थ कूप भी विद्यमान है (जिसे लोग गोल चबूतरा बोलते वह सिद्धकूप / सिद्धतीर्थ है). इसी स्थान समीप भवन में सिद्धकाली भी विराजमान हैं. जिसे आसपास के लोगों या पुराने हिन्दू बुजुर्गों द्वारा चांद बाबा के भवन में बताया जाता है. इसलिए पौराणिक और सरकारी दस्तावेजों के आधार पर वर्षों से बन्द और अर्चन पूजन से वंचित सिद्धीश्वर महादेव के मन्दिर में काशीवासियों को काशी विद्वत परिषद के विद्वानों सहयोग से अर्चन पूजन आरम्भ करवाने तथा इस क्षेत्र में अवस्थित अन्य पौराणिक स्थलों के उद्धार करवाने की अनुमति प्रदान करने की महती कृपा करें.'

दस्तावेजों का तलाशा जा रहाः डीपी काशी जोन गौरव बंसवाल का कहना है कि मंदिर पुराना है, इसको खोजा नहीं गया है. गेट पर ताला बंद है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि ताला बंद किसने किया है. प्रशासनिक टीम मौका मुआयना कर चुकी है, दस्तावेजों को तलाशा जा रहा है. इसकी जांच जारी है. जांच के बाद ही किसी चीज को स्पष्ट किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण शांति व्यवस्था कायम रहे, इसलिए वहां पर पुलिस फोर्स लगाई गई है. सारी प्रक्रिया प्रशासनिक आधार पर ही होनी चाहिए यह महत्वपूर्ण है.

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