गोरखपुर : दिग्विजयनाथ पीजी काॅलेज गोरखपुर में कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पवन पांडेय ने कमाल का हाईटेक डिवास ईजाद किया है. यह डिवाइस न केवल हैकरों से आपके नेटवर्क की हिफाजत करेगी, बल्कि तमाम तरह के होने वाले साइबर अपराध पर भी लगाम लगाएगी. इस डिवाइस का नाम "नेटवर्क स्मार्ट डिवाइस" रखा गया है. इस टेक्नोलॉजी को मान्यता भी मिल गई है. उन्होंने इसे गवर्मेंट ऑफ यूके से पेटेंट भी करा लिया है. बिना उनकी अनुमति के न तो उनके मॉडल को कोई बना सकेगा और न ही उससे जुड़ी हुई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकेगा.
डॉ. पवन ने बताया कि हमारी 10 लोगों की टीम है. जिसमें चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से हरीश सैनी, ललित कुमार, अनूप आर्या, ज्योति और स्वाती रेहल, नितीश तायल, प्रभुजोत कौर के साथ पानीपत इंजीनियरिंग कॉलेज से डॉ. दिनेश और डॉ. दीपक हैं. जिनके साथ मिलकर इस डिवाइस को तैयार किया है. इस टीम को लीड उन्होंने किया, इसलिए इसका प्रदर्शन गोरखपुर से किया है. उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक मशीन लर्निंग का इसमें उपयोग किया गया है. डिवाइस का पूरा नाम "स्मार्ट डिवाज फार डिटेक्शन प्रिवेंटिंग नेटवर्क इनटूजन" रखा गया है. इसे बनाने में 6 महीने का समय लगा है. इसकी पूरी फाइल को डिस्क्रिप्शन के साथ तैयार करके गवर्नमेंट ऑफ यूके से पेटेंट करा दिया गया. इसे अब मैनुफैक्चरिंग करने वालों से बात कर तैयार करायेंगे. फिलहाल कास्ट ज्यादा आ रहा है. इस कारण अभी बातचीत होने के बाद करीब एक साल के अंदर इसे बाजार में लाने की तैयारी है. ज्यादा मात्रा में बनाने पर इस पर करीब 15 से 20 हजार रुपये का खर्च आएगा. यह पूरा वाईफाई बेस सिस्टम है जो करीब 100 मीटर के रेंज में काम करता है. यह रियल टाइम सिस्टम साइबर हैकिंग से अलर्ट करता है.
डॉ. पवन कुमार पांडेय जिस महाविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर हैं. उसके प्रबंधक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. गोरखपुर में इस सिस्टम को तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेणना लेने के बाद इस डिवास को उन्होने तैयार किया है. डाॅ. पांडेय ने बताया कि आने वाले समय में इसे अपग्रेड करने के बाद, जैमर के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा. यह अपने आसपास के सभी डिवाइसों को भी ब्लाॅक करने में यह कामयाब होगा. डाॅ. पांडेय के अनुसार पेटेंट होने के बाद निश्चित रूप से उनकी तकनीक अब अपनी तकनीक है. जिसे कोई चुरा नहीं सकता और यह डिवाइस निश्चित रूप से संचार के क्षेत्र में होने वाली हैकिंग की घटना को रोकने में कामयाब होगी.
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