लखनऊ: सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत रहे तदर्थ शिक्षकों ने सेवाएं समाप्त किए जाने और मानदेय व्यवस्था में कार्य किए जाने के निर्देश के खिलाफ शुक्रवार को भाजपा कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया. गुरुवार को इन शिक्षकों ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के शिविर कार्यालय के बाहर धरना दिया था. शुक्रवार को शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय चौराहे से भाजपा कार्यालय तक विरोध मार्च भी निकाला.
प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि पूर्ण अहर्ता होने के बाद भी 25 से 30 वर्षों तक कार्यरत संपूर्ण उपलब्धियां को प्राप्त करने वाले शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करके उन्हें मानदेय दिया जा रहा है. पूर्ववर्ती सरकारों ने संविदाकर्मियों को नियमित करते हुए संपूर्ण उपलब्धियां को देने का कार्य किया. शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें न मानी गईं तो समाजवादी पार्टी जॉइन करके 2027 में भाजपा को हरा देंगे.
शिक्षकों ने कहा कि 2254 तदर्थ शिक्षक जल्द समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की सदस्यता लेकर 2027 में इंडिया गठबंधन की सरकार बनाएंगे. तदर्थ शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह का कहना है कि वर्तमान में यूपी के विद्यालयों में 17 हजार पद पहले से ही रिक्त हैं. इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने 2254 तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. इसी बीच मार्च 2024 में लगभग 6 हजार अध्यापक सेवानिवृत हो गए. ऐसे में यूपी में शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है.
प्रदेश संगठन मंत्री प्रभात त्रिपाठी ने सभी तदर्थ शिक्षकों से अपील है कि एक भी तदर्थ शिक्षक मानदेय की नियुक्ति न ले. जब तक सरकार हमें हमारे पदों के सापेक्ष आमेलित अथवा समायोजित नहीं करती है. तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा. एक भी तदर्थ शिक्षक अपने धैर्य को खोने नहीं देगा. 8 जुलाई 2024 के शासनादेश में सरकार स्वयं स्वीकार किया है कि विद्यालयों पढ़ाने के लिए अध्यापक नहीं है और एक वर्ष तक वह अध्यापक भी नहीं भेज पाएगी.
इसीलिए हम सभी तदर्थ शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति मानदेय पर करना रही है. प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल सिंह राणा ने कहा कि प्रदेश के सभी तदर्थ शिक्षकों का भारतीय जनता पार्टी से मोह भंग हो चुका है.
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