ETV Bharat / state

यूपी के मेडिकल कॉलेजों को नहीं मिल रहे शिक्षक, क्वालिटी मेडिकल एजुकेशन सबसे बड़ी चुनौती बनी - Teachers Crisis in Medical colleges

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है. संविदा पर शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिये गये थे लेकिन इसके बावजूद शिक्षकों की कमी दूर नहीं हुई.

प्रदेश में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं,
प्रदेश में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, (फोटो क्रेडिट- ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 4:28 PM IST

लखनऊ: प्रदेश के अधिकांश सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों का अभाव है. शासन के निर्देश पर कॉलेजों को साक्षात्कार के जरिए संविदा पर शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. यही स्थिति रहीं, तो इन कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के अभाव में गुणवत्ता युक्त शिक्षा कैसे मिलेगी. वहीं, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी.

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा मानक अनुरूप शिक्षक पूरे न होने की दशा में बीते दिनों कॉलेजों पर जुर्माना लगाया जा चुका है. इसके बाद राज्य सरकार ने साक्षात्कार के जरिए, संविदा पर शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. लगभग एक माह बीतने को है, लेकिन कॉलेजों में शिक्षकों की संख्या नहीं पूरी हुई है. नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा कि सरकारी नौकरी में सख्त नियमों की वजह से कोई चिकित्सक नहीं आना चाह रहे हैं.

उन्होंने बताया कि निजी कॉलेजों में शिक्षकों को बेहतर वेतन के साथ सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. एक दूसरे प्रधानाचार्य का कहना है कि उनके शिक्षकों की संख्या तो पूरी हैं, मगर विभागवार शिक्षकों की कमी है. नॉन क्लीनिकल शिक्षक पर्याप्त हैं, वहीं न्यूरो सर्जरी, मेडिसिन, सर्जरी और अन्य कई विभाग में शिक्षक आ ही नहीं रहें हैं.

मालूम हो कि एनएमसी के नए मानक के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में हर विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट व दो असिस्टेंट प्रोफेसर होने चाहिए अर्थात कॉलेज में 17 प्रोफेसर और कुल 86 चिकित्सा शिक्षकों की जरूरत है. साथ ही 40 सीनियर रेजीडेंट होने चाहिए. वर्तमान में प्रदेश में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, इनमें राजकीय मेडिकल कॉलेजों के हालात खराब हैं.

ये भी पढ़ें- उन्नाव हादसा; बिना फिटनेस, इंश्योरेंस-रोड टैक्स के कैसे दौड़ रही थी बस, 16 RTO में क्यों नहीं हुई चेकिंग - Unnao Accident

लखनऊ: प्रदेश के अधिकांश सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों का अभाव है. शासन के निर्देश पर कॉलेजों को साक्षात्कार के जरिए संविदा पर शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. यही स्थिति रहीं, तो इन कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के अभाव में गुणवत्ता युक्त शिक्षा कैसे मिलेगी. वहीं, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी.

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा मानक अनुरूप शिक्षक पूरे न होने की दशा में बीते दिनों कॉलेजों पर जुर्माना लगाया जा चुका है. इसके बाद राज्य सरकार ने साक्षात्कार के जरिए, संविदा पर शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. लगभग एक माह बीतने को है, लेकिन कॉलेजों में शिक्षकों की संख्या नहीं पूरी हुई है. नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा कि सरकारी नौकरी में सख्त नियमों की वजह से कोई चिकित्सक नहीं आना चाह रहे हैं.

उन्होंने बताया कि निजी कॉलेजों में शिक्षकों को बेहतर वेतन के साथ सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. एक दूसरे प्रधानाचार्य का कहना है कि उनके शिक्षकों की संख्या तो पूरी हैं, मगर विभागवार शिक्षकों की कमी है. नॉन क्लीनिकल शिक्षक पर्याप्त हैं, वहीं न्यूरो सर्जरी, मेडिसिन, सर्जरी और अन्य कई विभाग में शिक्षक आ ही नहीं रहें हैं.

मालूम हो कि एनएमसी के नए मानक के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में हर विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट व दो असिस्टेंट प्रोफेसर होने चाहिए अर्थात कॉलेज में 17 प्रोफेसर और कुल 86 चिकित्सा शिक्षकों की जरूरत है. साथ ही 40 सीनियर रेजीडेंट होने चाहिए. वर्तमान में प्रदेश में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, इनमें राजकीय मेडिकल कॉलेजों के हालात खराब हैं.

ये भी पढ़ें- उन्नाव हादसा; बिना फिटनेस, इंश्योरेंस-रोड टैक्स के कैसे दौड़ रही थी बस, 16 RTO में क्यों नहीं हुई चेकिंग - Unnao Accident

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.