नई दिल्ली : सनातन धर्म में पौष महीने का बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास सूर्य देव का महीना कहलाता है. पौष मास में भगवान सूर्य देव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा मनाई जाती है. गुरुवार, 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी. साल 2024 की यह पहली पूर्णिमा है. पौष पूर्णिमा के दिन भगवान सूर्य को अर्ध्य देने और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, जनवरी में कड़ाके की ठंड होती है. ऐसे में पौष पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करना कड़ी तपस्या के समान बताया गया है. इस दिन गंगा स्नान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर जब वीरगति को प्राप्त हुए तो अपने सगे संबंधियों को सदगति दिलाने के लिए पौष पूर्णिमा से एक महीने तक कल्पवास किया था. पौष पूर्णिमा का व्रत करने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाओं और अड़चनों से मुक्ति मिलती हैं. बिगड़े काम बनते हैं. सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पौष पूर्णिमा का व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
पौष पूर्णिमा मुहूर्त |
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: बुधवार, 24 जनवरी 2024 रात 9:24 PM से आरंभ होगी |
पूर्णिमा तिथि समाप्त: गुरुवार, 25 जनवरी 2024 रात 11:23 PM पर समाप्त होगी |
उदयातिथि के अनुसार, पौष पूर्णिमा इस बार गुरुवार, 25 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी |
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पौष पूर्णिमा की पूजा विधि |
पौष पूर्णिमा के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करने से पहले व्रत का संकल्प लें |
पवित्र नदी में वरुण देव को प्रणाम कर स्नान करें |
स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें |
स्नान से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन की पूजा और नैवेद्य अर्पित करनी चाहिए |
जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा जरूर दें |
दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से देने चाहिए |
पौष पूर्णिमा के दिन देश भर में तीर्थ स्थलों पर स्नान और धार्मिक आयोजन होते हैं. पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले का आयोजन शुरू होता है. इस धार्मिक उत्सव में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर लेना चाहिए. क्योंकि पुरातन काल से नदियों में ही देवता गण प्रमुख अनुष्ठान करते थे. इसके बाद उनका संकल्प पूरा होता था.
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