आगरा: ताजमहल या तेजोमहालय विवाद की लघुवाद न्यायालय में बुधवार को सुनवाई हुई. लघुवाद न्यायालय में न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नकल मांगने वाले प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. क्योंकि, शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि दावे की नकल पहले उपलब्ध कराने की बात कोर्ट में रखी थी. बार-बार ऐसे प्रार्थना पत्र देकर एएसआई की ओर से मामले को टालने का काम किया जा रहा है. न्यायधीश ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को वादी बनाने जाने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की तारीख 12 नवंबर दी है. जबकि, पिछली तारीख पर वादी पक्ष योगी यूथ ब्रिगेड के अधिवक्ता ने अदालत में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के प्रार्थना पत्र पर अपनी आपत्ति दाखिल की थी.
वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया, कि पिछली तारीख पर न्यायालय में मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें लिखा था, कि वादी पक्ष के साथ ही इस मामले में एएसआई और भारत संघ मिले हैं. जो बेमतलब ही ताजमहल के मामले को तूल दे रहे हैं. जबकि, असल में ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इस पर हमने कोर्ट में आपत्ति दाखिल की. जिस पर आज सुनवाई होगी. इसके साथ ही यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया था.
ताजमहल की छवि हो रही खराब: मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा, कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा के कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. जिससे उनका चेहरा तो चमकता है. जिससे चाहे ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब क्यों ना हो. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं है. सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने बताया, कि अपने प्रार्थना पत्र में वादी बनाए जाने की कोर्ट में मांग की थी. जिसमें कहा था, जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है. आज मैं अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष रखूंगा.
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एएसआई ने की थी यह अपील: बता दें कि, सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने धारा 80 सीपीसी का नोटिस देकर सरकारी अधिकारी पर मुकदमा होने की जानकारी दी. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति बनी है. जिस पर भारत सरकार को भी इसमें प्रतिवादी बनाया जा रहा है.
वाद में वादी का दावा: वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद में दावा किया है, कि सन् 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है, जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.
मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है, कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.
आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है, कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा, कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है, इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सकते.