Madhukamini benefits : ज्योतिषाचार्य पं. सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि मधुकामिनी एक ऐसा फूल है, जिसे स्वर्ग का फूल माना जाता है. इस फूल को वास्तु, सुख-शांति, प्रेम जीवन व पति-पत्नी के रिश्ते के लिए वरदान माना गया है. माना जाता है कि अपराजिता और पारीजात फूल की तरह यह फूल भी देवलोक से आया हुआ माना जाता है, ज्योतिष आचार्य की मानें तो ये फूल वहां होता है, जहां देवी देवताओं का वास होता है. ऐसे में अपराजिता की तरह अगर दशहरा के दिन मधुकामिनी फूल से कुछ उपाय किए जाएं, तो जीवन में भाग्य के द्वार खुल जाते हैं, धन की कमी नहीं होती है, और भगवान का आशीर्वाद हमेशा के लिए बना रहता है.
क्या है मधुकामिनी का फूल?
मधुकामिनी फूल का साइंटिफिक नाम मुराया पैनीकुलेटम है. ये पवित्र पेड़ अगर घर में लग जाए तो 4 से 5 सालों तक लगातार इससे सफेद मनमोहक पुष्प निकलते हैं. वास्तु शास्त्र में भी इस फूल का खासा महत्व है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक मधुकामिनी को घर के अंदर या बाहर लगाने से घर में खुशियां कम नहीं होतीं. इसमें से एक सुगंध निकलती है, जो ऑरेंज यानी नारंगी की तरह होती है. इसी वजह से इसे ऑरेंज जैसमीन भी कहा जाता है. इस फूल की सुगंध से मानसिक तनाव और डिप्रेशन दूर होने का भी दावा किया जाता है.
पति-पत्नी के रिश्ते को मजूबत करता है मधुकामिनी फूल
मान्यता है कि स्वर्ग से आए इस फूल में पति-पत्नी के रिश्तों को मजबूत बनाने की ताकत है. ये ताजे फूल बेडरूम में रखने से पति-पत्नी के झगड़े कम होते हैं और आपस में आकर्षण भी बढ़ता है. अपराजिता फूल की तरह इस फूल से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मधुकामिनी फूल से जुड़े रोचक तथ्य
- आयुर्वेद के मुताबिक मधुकामिनी के 2 पत्तों को उबाल कर पीने से श्वास रोग में तेजी से राहत मिलती है और गला भी साफ होता है.
- मधुकामिनी के फूलों को बेडरूम में रखने से दाम्पत्य जीवन खुशियों से भर जाता है.
- मधुकामिनी के पौधे को देवलोक से जोड़ा जाता है, ऐसे में आम के पत्तों की तरह इसे भी विवाह मण्डपों में प्रयोग किया जाता है.
- तमिल भाषा में मधुकामिनी को वेंगराए, तेलगु में नागागोलुंग, कन्नड़ में काडु कारिबेयु, मराठी में कुंती और मणिपुरी में कामिनी कुसुम कहा जाता है.
दशहरा में अपराजिता के साथ करें ये उपाय
मधुकामिनी फूल की तरह अपराजिता फूल का भी विशेष महत्व है. यह भी देवलोक से आया फूल माना जाता है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि अपराजिता फूल इंद्र की बगिया का फूल है. ऐसे में इस फूल से कई तरह के लाभ लिए जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं.
- अगर अपराजिता का पौधा मिल जाए देखने को ही मिल जाए और उसका फूल भगवान को चढ़ने मिल जाए तो 100 यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है, विशेषकर दशहरा के दिन अपराजिता के फूल के साथ ये उपाय करने से बहुत ही पुण्य लाभ मिलता है.
- अपराजिता का फूल लगाने से वो जगह सभी देवी देवताओं का निवास स्थल बन जाती है, जिस तरह से तुलसी का पौधा धार्मिक महत्व का होता है, ठीक उसी तरह से अपराजिता का पौधा होता है.
- अगर दशहरा के दिन अपराजिता के फूल को किसी घर में रख दिया जाए, तो उस घर में देवी-देवता भी आते हैं, साथ में सप्त ऋषि भी आकर निवास करते हैं, और वो घर धन-धान्य से पूर्ण रहता है.
- दशहरा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान अगर अपराजिता का फूल माता लक्ष्मी को अर्पित कर दिया जाए, और इसके बाद इन फूलों को अपनी तिजोरी में रख दें तो तो वहां कभी धन की कमी नहीं होती है, और वो घर धन-धान्य से भर जाता है.
- दशहरा के दिन अगर देवलोक से आए इस फूल को चंद्रमा को अर्पित कर दिया जाए तो चंद्र देव भी प्रसन्न होते हैं और सुख शांति की वर्षा करते हैं.
- दशहरा के दिन एक और उपाय किया जा सकता है अगर आप स्नान कर रहे हैं और उस पानी में अगर आप 3, पांच, या सात या 11 अपराजिता के फूल मिला देते हैं और उस पानी से स्नान करते हैं तो आपके भाग्य में वृद्धि होगी आपका समय सुधरेगा और पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होगा.
- दशहरा के दिन मां दुर्गा और भगवान शिव को अपराजिता का फूल अर्पित करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है.