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स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- मैं पाने के लिए कहीं नहीं गया, जहां भी गया वहां खोकर आया, अब कहीं जाने की जरूरत नहीं - Farrukhabad Swami Prasad Maurya - FARRUKHABAD SWAMI PRASAD MAURYA

राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने फर्रुखाबाद में कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि वे अपनी पार्टी के बैनर तले ही यह चुनाव लड़ेंगे.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई मुद्दों पर की बातचीत.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई मुद्दों पर की बातचीत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2024, 12:14 PM IST

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर साधा निशाना. (Video Credit; ETV Bharat)

फर्रुखाबाद : राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जिले में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों को लेकर मीडिया से खुलकर बातचीत की. भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की. इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी रणनीति साफ की.

भाजपा छोड़ने के सवाल पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती पर पिछड़ी जाति के साथ भेदभाव पर और सवर्ण को 18,000 पद देने पर मैंने भाजपा छोड़ दी थी. अब हाईकोर्ट ने नए सिरे से शिक्षकों की 69,000 की सूची बनाने के आदेश दिए हैं. सपा भी मैंने भेदभाव के कारण छोड़ी. मैं पाने के लिए कहीं नहीं गया मैं जहां भी गया वहां से खोकर आया.

सपा में रहते मैंने एमएलसी पद भी छोड़ दिया. अब मैंने राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन किया है. अब कहीं आने जाने की जरूरत नहीं बची है. अब इसी पार्टी से अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और पूरे प्रदेश में 403 सीटो पर चुनाव लड़ाएंगे. विपक्ष द्वारा जातिगत जनगणना की बात की जा रही है. संसद में राहुल गांधी की जाति पूछने पर विपक्ष भड़क गया, इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राहुल गांधी किस जाति के हैं सब जानते हैं. वह कोई रंगई बुधई परिवार के नहीं है.

वह राजीव गांधी के परिवार के आते हैं. इसलिए जाति पूछकर पार्लियामेंट में राहुल गांधी का मजाक बनाया गया. जिसकी जाति पहले से लिखी पड़ी है उसकी जाति पूछने का औचित्य क्या है. आज जो समाज अपेक्षित है और जिनके हकों और आरक्षण पर डकैती डाली जा रही है. भारी संख्या होने के बावजूद संख्या के मुताबिक सम्मान नहीं मिल रहा है. ऐसे लोगों की मांग है कि जातिगत जनगणना कर ली जाए. सबको भागीदारी की व्यवस्था कराई जाए. इसलिए जातिगत जनगणना महत्वपूर्ण है. जातिगत जनगणना किसी एक के लिए नहीं बल्कि सभी समाज की सहभागिता सुनश्चित करने के लिए है.

यह भी पढ़ें : भादो में मानसून का टॉप गियर: अगले 48 घंटों में 15 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, जानिए मौसम का हाल

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर साधा निशाना. (Video Credit; ETV Bharat)

फर्रुखाबाद : राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जिले में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों को लेकर मीडिया से खुलकर बातचीत की. भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की. इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी रणनीति साफ की.

भाजपा छोड़ने के सवाल पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती पर पिछड़ी जाति के साथ भेदभाव पर और सवर्ण को 18,000 पद देने पर मैंने भाजपा छोड़ दी थी. अब हाईकोर्ट ने नए सिरे से शिक्षकों की 69,000 की सूची बनाने के आदेश दिए हैं. सपा भी मैंने भेदभाव के कारण छोड़ी. मैं पाने के लिए कहीं नहीं गया मैं जहां भी गया वहां से खोकर आया.

सपा में रहते मैंने एमएलसी पद भी छोड़ दिया. अब मैंने राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन किया है. अब कहीं आने जाने की जरूरत नहीं बची है. अब इसी पार्टी से अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और पूरे प्रदेश में 403 सीटो पर चुनाव लड़ाएंगे. विपक्ष द्वारा जातिगत जनगणना की बात की जा रही है. संसद में राहुल गांधी की जाति पूछने पर विपक्ष भड़क गया, इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राहुल गांधी किस जाति के हैं सब जानते हैं. वह कोई रंगई बुधई परिवार के नहीं है.

वह राजीव गांधी के परिवार के आते हैं. इसलिए जाति पूछकर पार्लियामेंट में राहुल गांधी का मजाक बनाया गया. जिसकी जाति पहले से लिखी पड़ी है उसकी जाति पूछने का औचित्य क्या है. आज जो समाज अपेक्षित है और जिनके हकों और आरक्षण पर डकैती डाली जा रही है. भारी संख्या होने के बावजूद संख्या के मुताबिक सम्मान नहीं मिल रहा है. ऐसे लोगों की मांग है कि जातिगत जनगणना कर ली जाए. सबको भागीदारी की व्यवस्था कराई जाए. इसलिए जातिगत जनगणना महत्वपूर्ण है. जातिगत जनगणना किसी एक के लिए नहीं बल्कि सभी समाज की सहभागिता सुनश्चित करने के लिए है.

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