वाराणसी: राहुल गांधी की तरफ से अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल उठाए जाने और दिए गए बयान को लेकर संत समाज नाराज है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने राहुल गांधी को इस मामले में सोच समझ कर बोलने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ऐसे बयान देकर श्री राम से जुड़े लाखों करोड़ों अनुयायियों और उनके भक्तों पर गहरी चोट पहुंचा रहे हैं.
बता दें कि राहुल गांधी ने हरियाणा की एक जनसभा में कहा है कि अयोध्या में बीजेपी इसलिए हारी, क्योंकि राम मंदिर के नाम पर वह लोग वोट लेना चाहते थे. लेकिन मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में एक मजदूर, किसान बढ़ई नहीं दिखाई दिया. बल्कि बीजेपी ने अडानी, अंबानी अमिताभ बच्चन को बुलवाकर प्राण प्रतिष्ठा में नाच गाना चलवाया. प्रेस वाले हाय-हाय कर रहे थे, यह बीजेपी की ही सच्चाई है.
राहुल गांधी के इस बयान पर स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के द्वारा श्री राम जन्मभूमि को लेकर उद्घाटन समारोह प्राण प्रतिष्ठा को लेकर दिया गया बयान आपत्तिजनक निंदनीय और गैर जिम्मेदाराना है. राहुल गांधी को फुर्सत हो तो अज्ञानता से ऊपर उठकर देखें. प्राण प्रतिष्ठा में देश भर से सनातन हिंदू धर्म से जुड़े 159 संप्रदायों में से से 59 सिर्फ आदिवासी बनवासी और अन्य धर्माचार्य पधारे थे. समाज का कोई ऐसा तबका नहीं था जो नहीं पहुंचा था. कलाकार भी अपने गीत सुनाने के लिए पहुंचे थे. नाचने गाने के लिए नहीं पहुंचे थे.
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मजदूर को ही नहीं डोम राजा तक को निमंत्रण भेजा गया था. पीएम मोदी वहां मजदूरों से अलग से मिले थे. विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन पर भी प्रधानमंत्री ने मजदूरों के साथ ही भोजन किया था. इसलिए अपनी इस अज्ञानता का परिचय उन धूर्त लोगों के बीच ही देते रहिए जिनकी सनातन धर्म में कोई आस्था नहीं है.
वहीं, अफजाल अंसारी के द्वारा गांजे की खपत पर कुंभ को लेकर दिये गए बयान पर स्वामी ने कहा कि यह बहुत निंदनीय है. अफजाल अंसारी अपने आपको हलाल और हलाला तक ही सीमित रखें. संतों के थाली में क्या पड़ रहा है और कुंभ हमारी परंपरा है, हमारा ऐश्वर्या है और संतों का अपना तपस्या का जीवन है. इसलिए आप अगर यह कह रहे हैं कि हमारी थाली में क्या आया, जब गोमांस को लेकर विवाद हुआ तो आपकी थाली में क्या था. हम यह नहीं देखे तो हमारी थाली में क्या आ रहा है तो आपको यह अधिकार नहीं है कि आप यह देखें. नेतागीरी खूब की लेकिन हिंदू साधू संतों के बारे में बोलते समय अपनी हद और अपनी सीमा न लांघिये नहीं तो दिक्कत हो जाएगी.