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पटना के सार्वजनिक शौचालयों की मैकेनिक मोड में हो रही सफाई, आधुनिक मशीनों से स्वच्छांगिणी महिलाएं कर रही काम - Public Toilets In Patna

Cleaning Public Toilets In Patna: पटना नगर निगम की तरफ से खास पहल की गई है, जिसके तहत स्वच्छांगिणी के तौर पर स्लम बस्ती में रहने वाली महिलाओं को रोजगार दिया गया है. अब यही स्वच्छांगिणी मशीन के जरिए मैकेनिक मोड में पटना की सफाई का जिम्मा संभाल रही हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 10, 2024, 2:50 PM IST

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च

पटना: पटना नगर निगम क्षेत्र में सार्वजनिक जगहों पर शौचालय की कमी को देखते हुए निगम ने कई सालों पहले हाईटेक शौचालयों का इंस्टालेशन कराया, लेकिन यह तमाम शौचालय मेंटेनेंस के अभाव में बंद पड़े हुए थे. मेंटेनेंस का मतलब स्वच्छता से है. शौचालय गंदे हो जाते थे और मजदूर अच्छे से साफ नहीं कर पाते थे. सभी शौचालय के पास गंदगी इतनी थी कि वह इस्तेमाल के लायक नहीं थी. सुविधा होते हुए भी लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते थे. वहीं अब तस्वीर बदल गई हैं और दीनदयाल अंत्योदय योजना नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन सेंचुरी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने यह तस्वीर बदल दी है.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च:अब शहर के सभी सार्वजनिक जगहों पर बने हाईटेक शौचालयों की सुबह शाम सफाई हो रही है और सभी साफ सुथरे और सुंदर दिख रहे हैं. दरअसल पटना नगर निगम ने बीते दिनों डे-एनयूएलएम की महिलाओं को प्रशिक्षित करके स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च किया है. 4 से 6 महिलाओं की 6 टीमें बनाई गई हैं. एक सुपरवाइजर रहती हैं और मैकेनिकल मोड में पानी के हाई प्रेशर से यह महिलाएं शहर के सभी शौचालयों की सफाई करती हैं.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च
स्वच्छांगिणी पार्ट 2 के तहत काम करती महिलाएं.

कैसे होती है सफाई?: सभी महिलाएं हाथों में ग्लव्स, पैर में घुटने तक का जूता और एक प्रॉपर ड्रेस में काम करती हैं. जिसके हाथों में पानी के हाई प्रेशर से क्लीनिंग की जिम्मेदारी होती है उसे फेस शिल्ड दिया जाता है. इसके बाद ग्लव्स पहनकर महिलाएं ब्लीचिंग पाउडर फिनाइल और अन्य क्लीनिंग के समान का उपयोग करते हुए शौचालय की ऊपर से नीचे तक और बाहर तक की पूरी सफाई करती हैं.

कुछ मिंटों में हो जाती है सफाई: पटना के विधानसभा क्षेत्र में स्थित सार्वजनिक शौचालय के पास सफाई कर रही स्वच्छांगिणी की टीम की सुपरवाइजर माधुरी कुमारी ने बताया कि शुरुआती दिनों में शौचालय बहुत अधिक गंदे थे और उसे समय साफ करने में थोड़ी कठिनाई हुई. लोग शौचालय का इस्तेमाल करके प्लस नहीं किए थे और सब जम चुका था. महिलाओं ने पूरी निष्ठा से साफ सफाई की व्यवस्था मुकम्मल की और अब प्रतिदिन सुबह शाम साफ सफाई होती है. सुबह शाम साफ सफाई होने से अधिक मेहनत नहीं करना पड़ता और सभी सार्वजनिक जगहों पर चार हाइटेक शौचायलयों का सेट है, जिसे महज 15 से 20 मिनट में साफ कर लिया जाता है.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च
कुछ इस तरह कर रही हैं सफाई.

"मशीन से हाई प्रेशर पानी निकलता है और क्लीनिंग के कई सारे सामान हैं जिससे अच्छे तरीके से पूरी सफाई हो जाती है. सुबह शाम साफ सफाई होती है तो लोग भी शौचालय को साफ रखने की कोशिश करते हैं और शौचालय में यत्र तत्र गंदगी नहीं फैलाते हैं. शौचालय के अंदर ऊपर से नीचे और बाहर भी पानी के फोर्स से अच्छे से साफ कर दिया जाता है और शौचालय दिनभर चमचमाता हुआ नजर आता है."-माधुरी कुमारी, सुपरवाइजर

अब आसानी से होती है सफाई: स्वच्छांगिणी सुशीला देवी ने बताया कि "शुरुआती दिनों में जब शौचालय बहुत दिनों से बंद पड़े हुए थे और गंदे हालत में थे. साफ करने में थोड़ा समय लगा लेकिन अब काफी कम समय में शौचालयों की सफाई हो जाती है. हाथ नहीं लगाना पड़ता है और हाइजीन मेंटेन रहता है. ग्लव्स पहने हुए रहती हैं और ग्लव्स पहन के ही फिनायल इस्तेमाल करने के साथ-साथ अन्य सफाई का सामान इस्तेमाल करती हैं. मशीनों का इस्तेमाल करते हुए सफाई करने में कोई घृणा महसूस नहीं होती है."

पढ़ें-'PM को करीब से देखने का सपना होगा पूरा', गणतंत्र दिवस समारोह के लिए चयन होने पर खुश हैं स्वच्छांगिणी

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च

पटना: पटना नगर निगम क्षेत्र में सार्वजनिक जगहों पर शौचालय की कमी को देखते हुए निगम ने कई सालों पहले हाईटेक शौचालयों का इंस्टालेशन कराया, लेकिन यह तमाम शौचालय मेंटेनेंस के अभाव में बंद पड़े हुए थे. मेंटेनेंस का मतलब स्वच्छता से है. शौचालय गंदे हो जाते थे और मजदूर अच्छे से साफ नहीं कर पाते थे. सभी शौचालय के पास गंदगी इतनी थी कि वह इस्तेमाल के लायक नहीं थी. सुविधा होते हुए भी लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते थे. वहीं अब तस्वीर बदल गई हैं और दीनदयाल अंत्योदय योजना नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन सेंचुरी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने यह तस्वीर बदल दी है.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च:अब शहर के सभी सार्वजनिक जगहों पर बने हाईटेक शौचालयों की सुबह शाम सफाई हो रही है और सभी साफ सुथरे और सुंदर दिख रहे हैं. दरअसल पटना नगर निगम ने बीते दिनों डे-एनयूएलएम की महिलाओं को प्रशिक्षित करके स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च किया है. 4 से 6 महिलाओं की 6 टीमें बनाई गई हैं. एक सुपरवाइजर रहती हैं और मैकेनिकल मोड में पानी के हाई प्रेशर से यह महिलाएं शहर के सभी शौचालयों की सफाई करती हैं.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च
स्वच्छांगिणी पार्ट 2 के तहत काम करती महिलाएं.

कैसे होती है सफाई?: सभी महिलाएं हाथों में ग्लव्स, पैर में घुटने तक का जूता और एक प्रॉपर ड्रेस में काम करती हैं. जिसके हाथों में पानी के हाई प्रेशर से क्लीनिंग की जिम्मेदारी होती है उसे फेस शिल्ड दिया जाता है. इसके बाद ग्लव्स पहनकर महिलाएं ब्लीचिंग पाउडर फिनाइल और अन्य क्लीनिंग के समान का उपयोग करते हुए शौचालय की ऊपर से नीचे तक और बाहर तक की पूरी सफाई करती हैं.

कुछ मिंटों में हो जाती है सफाई: पटना के विधानसभा क्षेत्र में स्थित सार्वजनिक शौचालय के पास सफाई कर रही स्वच्छांगिणी की टीम की सुपरवाइजर माधुरी कुमारी ने बताया कि शुरुआती दिनों में शौचालय बहुत अधिक गंदे थे और उसे समय साफ करने में थोड़ी कठिनाई हुई. लोग शौचालय का इस्तेमाल करके प्लस नहीं किए थे और सब जम चुका था. महिलाओं ने पूरी निष्ठा से साफ सफाई की व्यवस्था मुकम्मल की और अब प्रतिदिन सुबह शाम साफ सफाई होती है. सुबह शाम साफ सफाई होने से अधिक मेहनत नहीं करना पड़ता और सभी सार्वजनिक जगहों पर चार हाइटेक शौचायलयों का सेट है, जिसे महज 15 से 20 मिनट में साफ कर लिया जाता है.

स्वच्छांगिणी पार्ट 2 लॉन्च
कुछ इस तरह कर रही हैं सफाई.

"मशीन से हाई प्रेशर पानी निकलता है और क्लीनिंग के कई सारे सामान हैं जिससे अच्छे तरीके से पूरी सफाई हो जाती है. सुबह शाम साफ सफाई होती है तो लोग भी शौचालय को साफ रखने की कोशिश करते हैं और शौचालय में यत्र तत्र गंदगी नहीं फैलाते हैं. शौचालय के अंदर ऊपर से नीचे और बाहर भी पानी के फोर्स से अच्छे से साफ कर दिया जाता है और शौचालय दिनभर चमचमाता हुआ नजर आता है."-माधुरी कुमारी, सुपरवाइजर

अब आसानी से होती है सफाई: स्वच्छांगिणी सुशीला देवी ने बताया कि "शुरुआती दिनों में जब शौचालय बहुत दिनों से बंद पड़े हुए थे और गंदे हालत में थे. साफ करने में थोड़ा समय लगा लेकिन अब काफी कम समय में शौचालयों की सफाई हो जाती है. हाथ नहीं लगाना पड़ता है और हाइजीन मेंटेन रहता है. ग्लव्स पहने हुए रहती हैं और ग्लव्स पहन के ही फिनायल इस्तेमाल करने के साथ-साथ अन्य सफाई का सामान इस्तेमाल करती हैं. मशीनों का इस्तेमाल करते हुए सफाई करने में कोई घृणा महसूस नहीं होती है."

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