चित्तौड़गढ़. बिजली विभाग के एक कर्मचारी की संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक तबीयत बिगड़ गई. उसे अस्पताल लाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. चिकित्सकों ने जहरीले पदार्थ से तबीयत बिगड़ना बताते हुए कोतवाली पुलिस को बुला लिया. मामला उस समय अटक गया, जब परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया. जबकि पुलिस पोस्टमार्टम कराने पर अड़ गई. इसके चलते दोपहर तक शव मुर्दाघर में ही पड़ा रहा. बाद में परिजन पोस्टमार्टम करने पर राजी हुए.
गांधीनगर सेक्टर 5 निवासी और विद्युत वितरण निगम की वाणिज्यिक शाखा में कार्यरत 38 वर्षीय चंद्रकांत पुत्र मोहनलाल राजोरा की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल लाया गया. परिवार के लोगों का कहना है कि चंद्रकांत को उल्टियां होने लगी और जी घबराने लगा. चिकित्सकों ने जांच के बाद जहरीले पदार्थ से तबीयत खराब होना मानते हुए गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कर लिया. जिसकी देर रात इलाज के दरमियान मृत्यु हो गई. मूलत रिंगस जयपुर के रहने वाले चंद्रकांत के परिवार के लोग भी शुक्रवार सुबह अस्पताल पहुंच गए.
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सूचना पर गांधीनगर चौकी प्रभारी, सहायक पुलिस उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह पुलिस जाप्ते के साथ पहुंचे. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने की बात कही, तो पत्नी ने साफ इनकार कर दिया. नतीजतन, दोपहर तक शव नहीं उठाया जा सका. पुलिसकर्मी मौके पर ही डटे रहे. श्रमिक नेता विमल जैन का कहना था कि परिवार के लोग पोस्टमार्टम नहीं करना चाहते. ऐसे में एक आवेदन पर शव रिलीज किया जा सकता है. जबकि सहायक पुलिस उप निरीक्षक का कहना था कि भर्ती फॉर्म में डॉक्टरों द्वारा पॉइजन केस लिखा हुआ है. इस कारण पोस्टमार्टम करना जरूरी है. करीब 3 बजे पत्नी सहित परिवार के लोग पोस्टमार्टम कराने पर सहमत हो गए.
पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही उसकी मौत के कारण सामने आ पाएंगे. पुलिस ने शव परिजनों के हवाले कर दिया. सहायक पुलिस उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह के अनुसार कानूनन पोस्टमार्टम कराना आवश्यक था. समझाइश के बाद परिजनों की सहमति पर शव का पोस्टमार्टम करा दिया गया. प्रारंभिक तौर पर डॉक्टर ने जहरीले पदार्थ के सेवन से मौत होने की बात कही है. मौत की वास्तविक वजह क्या थी? पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बताया जा सकेगा.
पिता की नौकरी पर मां लगी और मां के निधन पर बेटा: परिजनों से पता चला कि चंद्रकांत के पिता मोहनलाल राजोरा विद्युत वितरण निगम में ही कार्यरत थे. नौकरी के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई थी. उनके स्थान पर उनकी पत्नी संतोष देवी को मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी दी गई. लेकिन उनका भी कुछ समय बाद ऑन ड्यूटी निधन हो गया. उनके स्थान पर बेटे चंद्रकांत को निगम द्वारा मृतक आश्रित के तौर पर नियुक्ति दी गई थी. चंद्रकांत पिछले 5 साल से चित्तौड़गढ़ में ही कार्यरत था. उसके एक 5 साल की बच्ची और 3 साल का बेटा है.