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रिश्वत मामले में निलंबित हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश को जमानत - Munesh Gurjar Got Bail

हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर को रिश्वत मामले में एसीबी कोर्ट से जमानत मिल गई है.

Suspended Heritage Mayor Munesh Gurjar
निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 5, 2024, 5:43 PM IST

Updated : Oct 5, 2024, 6:23 PM IST

जयपुर: नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत लेने से जुड़े मामले में हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर शनिवार को एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 में समर्पण किया. जहां अदालत ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लिया. हालांकि बाद में अदालत ने उसकी जमानत अर्जी को स्वीकार कर 25 हजार रुपए की दो जमानत व स्वयं के 50 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए.

मुनेश गुर्जर को एसीबी कोर्ट से मिली जमानत (ETV Bharat Jaipur)

अदालत मामले के सह-आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट पूर्व में स्वीकार कर चुका है. मुनेश पर लगाए गए आरोप इन आरोपियों से अलग नहीं है. इसके अलावा जांच एजेंसी की ओर से ऐसी कोई साक्ष्य अदालत में पेश नहीं की गई है, जिससे यह माना जा सके कि वह जमानत लेने के बाद गवाहों को प्रभावित करेगी या ट्रायल में बाधा डालेगी. इसके अलावा प्रकरण में चालान पेश किया जा चुका है. इसलिए आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है.

पढ़ें: हेरिटेज निगम की निलंबित मेयर मुनेश एसीबी कोर्ट में पेश - Munesh appeared in ACB court

जमानत अर्जी में अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि मामले में जांच पूरी होकर आरोप पत्र पेश हो चुका है. एसीबी ने मुनेश को अभिरक्षा में लेकर अनुसंधान करने की जरूरत नहीं समझी और ना ही उसे अभिरक्षा में लिया गया. उसके खिलाफ आरोप पत्र पेश होने की सूचना पर वह वकील के जरिए पेश हो गई थी. इसके अलावा प्रकरण के परिवादी सुधांशु सिंह का कोई काम निगम में लंबित नहीं था और जिन लोगों के पट्टे लंबित थे, उनकी ओर से एसीबी में शिकायत नहीं की गई.

पढ़ें: मेयर मुनेश गुर्जर को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर - Petition filed in High Court

परिवादी ने स्वयं निगम से पट्टे दिलाने का काम करना बताया है, जो कि अपने आप में अवैध है. निगम के नियमों में निजी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के पट्टे संबंधी कार्य कराने के लिए अधिकृत करने की व्यवस्था नहीं है. परिवादी लोगों को ब्लैकमेल कर राशि हड़पने का काम करता है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए. इसका विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के वकील पीसी भंडारी ने कहा कि मामले में मुनेश गुर्जर मुख्य आरोपी है. वह अपने पति व दलालों के जरिए रिश्वत लेकर पट्टे पर साइन करती थी. मुनेश ने अपने स्तर पर ही पट्टों को अपने घर मंगाने की व्यवस्था कर रखी थी.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाली - Rajasthan High Court

एसीबी कार्रवाई के दौरान भी वहां पट्टों से संबंधित 6 पत्रावलियां व 41 लाख रुपए से अधिक की राशि बरामद हुई थी. इसके अलावा उनके कार्यकाल में 7500 पट्टे जारी किए गए. प्रकरण के एक अन्य आरोपी अनिल कुमार के खिलाफ सीबीआई के भी तीन मामले हैं. एसीबी ने मामले में अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद भी मुनेश को गिरफ्तार नहीं किया. इससे साबित है कि वह प्रभावशाली है. ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जाना चाहिए. यदि ऐसा हुआ तो हर आरोपी आरोप पत्र दायर होने के बाद कोर्ट में पेश होकर जमानत ले लेगा. वहीं एसीबी की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि मामला देश की अर्थव्यवस्था से जुडा है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाए. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने मुनेश को जमानत का लाभ दिया है.

प्रतापसिंह पर लगाए आरोप: दूसरी ओर मुनेश ने अदालत कक्ष के बाहर बातचीत में कहा कि उसे राजनीतिक द्वेषता के कारण फंसाया गया है. जयपुर की जनता ने विधानसभा और लोकसभा में प्रताप सिंह को जवाब दे दिया है. मैं भी लोक सेवक हूं और वे भी लोक सेवक हैं, लोक सेवक को जनता जवाब देती है.

जयपुर: नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत लेने से जुड़े मामले में हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर शनिवार को एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 में समर्पण किया. जहां अदालत ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लिया. हालांकि बाद में अदालत ने उसकी जमानत अर्जी को स्वीकार कर 25 हजार रुपए की दो जमानत व स्वयं के 50 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए.

मुनेश गुर्जर को एसीबी कोर्ट से मिली जमानत (ETV Bharat Jaipur)

अदालत मामले के सह-आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट पूर्व में स्वीकार कर चुका है. मुनेश पर लगाए गए आरोप इन आरोपियों से अलग नहीं है. इसके अलावा जांच एजेंसी की ओर से ऐसी कोई साक्ष्य अदालत में पेश नहीं की गई है, जिससे यह माना जा सके कि वह जमानत लेने के बाद गवाहों को प्रभावित करेगी या ट्रायल में बाधा डालेगी. इसके अलावा प्रकरण में चालान पेश किया जा चुका है. इसलिए आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है.

पढ़ें: हेरिटेज निगम की निलंबित मेयर मुनेश एसीबी कोर्ट में पेश - Munesh appeared in ACB court

जमानत अर्जी में अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि मामले में जांच पूरी होकर आरोप पत्र पेश हो चुका है. एसीबी ने मुनेश को अभिरक्षा में लेकर अनुसंधान करने की जरूरत नहीं समझी और ना ही उसे अभिरक्षा में लिया गया. उसके खिलाफ आरोप पत्र पेश होने की सूचना पर वह वकील के जरिए पेश हो गई थी. इसके अलावा प्रकरण के परिवादी सुधांशु सिंह का कोई काम निगम में लंबित नहीं था और जिन लोगों के पट्टे लंबित थे, उनकी ओर से एसीबी में शिकायत नहीं की गई.

पढ़ें: मेयर मुनेश गुर्जर को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर - Petition filed in High Court

परिवादी ने स्वयं निगम से पट्टे दिलाने का काम करना बताया है, जो कि अपने आप में अवैध है. निगम के नियमों में निजी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के पट्टे संबंधी कार्य कराने के लिए अधिकृत करने की व्यवस्था नहीं है. परिवादी लोगों को ब्लैकमेल कर राशि हड़पने का काम करता है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए. इसका विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के वकील पीसी भंडारी ने कहा कि मामले में मुनेश गुर्जर मुख्य आरोपी है. वह अपने पति व दलालों के जरिए रिश्वत लेकर पट्टे पर साइन करती थी. मुनेश ने अपने स्तर पर ही पट्टों को अपने घर मंगाने की व्यवस्था कर रखी थी.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाली - Rajasthan High Court

एसीबी कार्रवाई के दौरान भी वहां पट्टों से संबंधित 6 पत्रावलियां व 41 लाख रुपए से अधिक की राशि बरामद हुई थी. इसके अलावा उनके कार्यकाल में 7500 पट्टे जारी किए गए. प्रकरण के एक अन्य आरोपी अनिल कुमार के खिलाफ सीबीआई के भी तीन मामले हैं. एसीबी ने मामले में अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद भी मुनेश को गिरफ्तार नहीं किया. इससे साबित है कि वह प्रभावशाली है. ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जाना चाहिए. यदि ऐसा हुआ तो हर आरोपी आरोप पत्र दायर होने के बाद कोर्ट में पेश होकर जमानत ले लेगा. वहीं एसीबी की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि मामला देश की अर्थव्यवस्था से जुडा है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाए. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने मुनेश को जमानत का लाभ दिया है.

प्रतापसिंह पर लगाए आरोप: दूसरी ओर मुनेश ने अदालत कक्ष के बाहर बातचीत में कहा कि उसे राजनीतिक द्वेषता के कारण फंसाया गया है. जयपुर की जनता ने विधानसभा और लोकसभा में प्रताप सिंह को जवाब दे दिया है. मैं भी लोक सेवक हूं और वे भी लोक सेवक हैं, लोक सेवक को जनता जवाब देती है.

Last Updated : Oct 5, 2024, 6:23 PM IST
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