बदायूं: सूर्यकुंड महादेव मंदिर को लेकर विवाद अभी थमा नहीं है. दरअसल, इसके बौद्ध विहार होने का दावा किया गया है. इसे लेकर पिछले कई दिनों से हिंदूवादी संगठन और बौद्ध अनुयायी आमने-सामने हैं. यहां चबूतरे से देव प्रतिमाएं और अन्य प्रतिमाएं हटाकर बौद्ध अनुयायियों ने सम्राट अशोक और आंबेडकर की तस्वीरें लगा दी थीं. अब फिर से प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. इस विवाद के बीच सपा से आंवला सांसद नीरज मौर्य भी यहां पहुंचे. दूसरी ओर हिंदू संगठनों का आरोप है कि जब प्रतिमाएं हटाई गईं तो प्रशासन ने वाजिब कार्रवाई नहीं की.
सूर्यकुंड महादेव मंदिर 86 बीघे जमीन पर है. बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि सपा सरकार ने 2012 में यहां का विकास कराया था. यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों का है. जबकि हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां हमेशा से शिव मंदिर है. विवाद के बाद बदायूं प्रशासन के प्रयास से कुछ शर्तो के साथ दोनों पक्षों में समझौता करा दिया गया था. रविवार को कई वीडियो वायरल हुआ, जिसमें चबूतरे से मंदिर के अवशेष के साथ प्रतिमाएं हटाते हुए कुछ लोग दिखाई दिए. चबूतरे पर आंबेडकर, सम्राट अशोक की तस्वीरें लगा दी गईं. इसके बाद संत समाज आगे आ गया. हिंदूवादी संगठन के लोग चबूतरे पर पहुंचे और दोबारा से जलाभिषेक कर पूजा अर्चना शुरू कर दी.
चबूतरे से प्रतिमाएं हटाने से संत समाज के लोग भड़क गए. कहा है कि षड़यंत्रवश मंदिर पर बौद्ध अनुयायियों का कब्जा कराया जा रहा है. मंदिर परिसर खाली नहीं हुआ तो लाखों संत बदायूं पहुंच कर कब्जा कर लेंगे.
अब यह विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में समाजवादी पार्टी के आंवला सांसद नीरज मौर्य और बदायूं जिला अध्यक्ष आशीष यादव भी सूर्यकुंड पहुंचे. इससे पहले पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, बदायूं सांसद आदित्य यादव, आंवला सांसद नीरज मौर्य और सांसद देवेश शाक्य ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू एवं अर्जुन राम मेघवाल को एक पत्र दिया था. पत्र में बताया गया कि बदायूं में सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल में भगवान बुद्ध की प्रतिमा को अराजक तत्वों द्वारा खण्डित करने का प्रयास किया गया है. उन असमाजिक तत्वों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही की मांग की गई. बता दें कि संघमित्रा मौर्य, हरीश शाक्य और पूर्व विधायक धर्मेंद्र शाक्य ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात भी की थी.