अजमेर : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एससी-एसटी वर्ग की नाराजगी भारत बंद के तौर पर पिछले दिनों देखने को मिली. वहीं, दूसरी ओर दलित वर्ग में शामिल वाल्मीकि समाज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. अजमेर में वाल्मीकि, सांसी और कंजर समाज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में शनिवार को रैली निकाली. समाज के लोगों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम एडीएम सिटी गजेंद्र फैसले का स्वागत कियासिंह राठौड़ को ज्ञापन सौंपा.
पूर्व पार्षद श्रवण टोनी ने बताया कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, जिसमें एसटी-एससी वर्ग में वंचित वर्ग को आरक्षण का लाभ देने के लिए आरक्षण में वर्गीकरण किए जाने का फैसला कोर्ट ने दिया. उन्होंने कहा कि एससी वर्ग में वाल्मीकि समाज, सांसी समाज और कंजर समाज को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. वाल्मीकि समाज की मांग है कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, तो इस फैसले को राजस्थान सरकार को भी जल्द लागू करना चाहिए. वाल्मीकि, सांसी और कंजर समाज के घरों से भी आईएएस, आरएएस, न्यायिक मजिस्ट्रेट, एमएलए, मंत्री आदि बनाना चाहिए.
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किरोड़ी लाल मीणा ने किया समर्थन : श्रवण टोनी ने कहा कि "भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा को मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि भरे मंच पर किरोड़ी लाल मीणा ने वंचित वर्ग के लिए पैरवी की है. उन्होंने साफ कहा था कि मेरे घर में कलेक्टर, एसपी, जज, डॉक्टर भी हैं. मीणा ने यह भी कहा था कि पड़ोसी के घर के लोगों को भी अवसर मिलना चाहिए. एसटी का नेता सच को सच कहने की हिम्मत रखता है. किरोड़ी लाल मीणा ने वंचित वर्ग की मांग पुरजोर तरीके से उठाई है, जबकि एससी वर्ग की कई जातियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ भारत बंद को सहयोग किया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे लोगों को पार्षद और एमएलए के चुनाव में घर में नहीं घुसने देंगे, जिसने हमें समर्थन किया है, हम उनका खुलकर समर्थन करेंगे.
सीएम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करें : सांसी समाज के जिलाध्यक्ष अमृत कुमार नारिया ने कहा कि एसटी-एससी वर्ग के आरक्षण का लाभ केवल पांच जातियां ही ले रही हैं. इस वर्ग में कई जाती आरक्षण से वंचित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में वंचित वर्ग को आरक्षण में वर्गीकरण करके लाभ देने की व्यवस्था की है. उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी हमारा आग्रह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राजस्थान में भी लागू किया जाए.