जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार व ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट लिमिटेड को राहत देते हुए एनजीटी के जनवरी 2024 के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बीसलपुर बांध की भराई क्षमता बढ़ाने व सफाई के लिए की जा रही डीसिल्टिंग व ड्रेजिंग को माइनिंग मानते हुए इस प्रक्रिया को रोक दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश इस प्रोजेक्ट का काम कर रहे एनजी गाधिया की अपील पर दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों को भी राहत मिली है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के चलते बीसलपुर बांध की भराव क्षमता बढ़ सकेगी.
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार व ईस्टर्न कैनाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व राज्य के एएजी शिवमंगल शर्मा ने पक्ष रखा. एएजी शर्मा ने बताया कि बीसलपुर बांध की भराव क्षमता बढ़ाने व इसकी सफाई कार्य के लिए डीसिल्टिंग व ड्रेजिंग का काम याचिकाकर्ता फर्म को वर्ष 2023 में दिया था. इस दौरान दिनेश बोथरा ने एनजीटी में याचिका दायर कर कहा कि बीसलपुर बांध से इस प्रक्रिया में माइनिंग हो रही है और इसके लिए पर्यावरण की मंजूरी जरूरी है. इसलिए इस प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए.
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आदेश पर रोक : एनजीटी ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2024 में डीसिल्टिंग व ड्रेजिंग पर रोक लगा दी. इसके खिलाफ बोलीदाता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा कि जांच कमेटी ने इसे माइनिंग एक्टिविटी नहीं माना है. वहीं, अभी मानसून आने वाला है और बांध से एक लाख मीट्रिक टन माल निकाला जाना है. यदि एनजीटी की रोक नहीं हटी, तो बांध में आने वाला पानी व्यर्थ बहेगा और इससे समीप के क्षेत्र को भी खतरा है. इसलिए एनजीटी के आदेश पर रोक लगाई जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी है.