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यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, आदेश का पालन न करने पर जताई नाराजगी - supreme court order

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कैदी की सजा माफी याचिका पर फैसला न लेने पर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव याचिका पर फैसला न लेने के लिए आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं.

यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 10:56 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कैदी की सजा माफी याचिका पर फैसला न लेने पर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव याचिका पर फैसला न लेने के लिए आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं. अदालत ने प्रमुख सचिव को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें मुख्यमंत्री के सचिवालय के कार्यालय के उन अधिकारियों के नाम बताए गए हों, जिन्होंने कैदी की रिहाई से संबंधित फाइल को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, 'यूपी हमारे आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहा है? हम आपको इस तरह नहीं छोड़ेंगे…'. मौखिक रूप से कहा कि यह दोषियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और अदालत इसे मंजूरी नहीं देगी.

पीठ ने कहा इससे पहले कि हम राज्य सरकार के उपयुक्त अधिकारियों को अवमानना ​​का नोटिस जारी करें, हम राजेश कुमार सिंह को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जिसमें शपथ के साथ बताया गया हो कि उन्होंने हमारे सामने मौखिक रूप से क्या कहा है.'

शीर्ष अदालत ने इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश सरकार को कैदी की माफी याचिका पर निर्णय लेने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था. जुलाई में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि राज्य सरकार ने कोई आदेश पारित नहीं किया है.

यह भी पढ़ें : सब इंस्पेक्टर की संदिग्ध मौत का मामला: हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कैदी की सजा माफी याचिका पर फैसला न लेने पर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव याचिका पर फैसला न लेने के लिए आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं. अदालत ने प्रमुख सचिव को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें मुख्यमंत्री के सचिवालय के कार्यालय के उन अधिकारियों के नाम बताए गए हों, जिन्होंने कैदी की रिहाई से संबंधित फाइल को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, 'यूपी हमारे आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहा है? हम आपको इस तरह नहीं छोड़ेंगे…'. मौखिक रूप से कहा कि यह दोषियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और अदालत इसे मंजूरी नहीं देगी.

पीठ ने कहा इससे पहले कि हम राज्य सरकार के उपयुक्त अधिकारियों को अवमानना ​​का नोटिस जारी करें, हम राजेश कुमार सिंह को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जिसमें शपथ के साथ बताया गया हो कि उन्होंने हमारे सामने मौखिक रूप से क्या कहा है.'

शीर्ष अदालत ने इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश सरकार को कैदी की माफी याचिका पर निर्णय लेने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था. जुलाई में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि राज्य सरकार ने कोई आदेश पारित नहीं किया है.

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