नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी नेता सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी. उन्हें इस मामले में मई, 2022 में गिरफ्तार किया गया था और वह मई 2023 से मेडिकल जमानत पर हैं. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया.
अदालत के सामने सत्येंद्र जैन के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल की तबीयत ठीक नहीं है. हालांकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें अब आत्मसमर्पण करना होगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सत्येंद्र जैन का और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व किया.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया था कि निदेशक पद छोड़ने के बाद भी जैन ने कंपनियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा और प्रविष्टियों के माध्यम से इन कंपनियों में चार करोड़ से अधिक की बेहिसाब नकदी प्राप्त हुई. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्येंद्र जैन ने वास्तव में अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से इन कंपनियों पर नियंत्रण रखा था और अदालत को निचली अदालतों के निष्कर्षों को खारिज करने के लिए आग्रह भी किया, जिसने जैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था. वहीं अभिषक सिंघवी ने अदालत से सभी सबूतों और परिस्थितियों की समग्र जांच करने का आग्रह किया.
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पिछले साल मई में शीर्ष अदालत ने सत्येंद्र जैन को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दे दी थी. इसके बाद कोर्ट ने कई बार अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाई. सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने मई 2022 में कथित रूप से उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने मामले में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 6 अप्रैल, 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. ईडी ने सत्येंद्र जैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज सीबीआई एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया था.
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