जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को 62 साल तक काम करते रहने देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में आयुर्वेद विभाग के संबंधित अफसरों के खिलाफ आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई है. वहीं, मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर 15 जुलाई को सुनवाई तय की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार व आयुर्वेद विभाग के अफसरों की एसएलपी पर दिए हैं.
एसएलपी में हाईकोर्ट की खंडपीठ के गत 28 फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें खंडपीठ ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को भी एलोपैथी डॉक्टर्स के समान 62 साल तक की उम्र तक कार्य करते रहने का निर्देश दिया था. इसके अलावा खंडपीठ के आदेश की पालना नहीं करने पर संबंधित अफसरों के खिलाफ 20 अप्रैल को लिए गए अवमानना के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान व शपथ पत्र के जरिए स्पष्टीकरण देने वाले को भी चुनौती दी है.
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मामले के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 28 फरवरी को आदेश जारी कर 60 साल की उम्र में रिटायर किए जा रहे आयुर्वेद डॉक्टर्स को राहत देते हुए उन्हें 62 साल तक काम करने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने आदेश का पालन करने की बजाय याचिकाकर्ता आयुर्वेद डॉक्टर्स को 60 साल में ही हटा दिया. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि उन्हें हटाना आदेश की अवमानना है, जिस पर खंडपीठ ने टोंक व प्रतापगढ़ के डिप्टी आयुर्वेद निदेशक सहित अन्य अफसरों के खिलाफ अवमानना का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए उन्हें हाजिर होकर यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. हाईकोर्ट की इस कार्रवाई को राज्य सरकार व अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.