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आयुर्वेद विभाग के अफसरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक - Supreme Court - SUPREME COURT

Supreme Court ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को 62 साल तक काम करते रहने देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में आयुर्वेद विभाग के संबंधित अफसरों के खिलाफ आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई है.

Supreme Court
फाइल फोटो : सुप्रीम कोर्ट (ETV BHARAT Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 4, 2024, 4:50 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को 62 साल तक काम करते रहने देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में आयुर्वेद विभाग के संबंधित अफसरों के खिलाफ आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई है. वहीं, मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर 15 जुलाई को सुनवाई तय की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार व आयुर्वेद विभाग के अफसरों की एसएलपी पर दिए हैं.

एसएलपी में हाईकोर्ट की खंडपीठ के गत 28 फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें खंडपीठ ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को भी एलोपैथी डॉक्टर्स के समान 62 साल तक की उम्र तक कार्य करते रहने का निर्देश दिया था. इसके अलावा खंडपीठ के आदेश की पालना नहीं करने पर संबंधित अफसरों के खिलाफ 20 अप्रैल को लिए गए अवमानना के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान व शपथ पत्र के जरिए स्पष्टीकरण देने वाले को भी चुनौती दी है.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान में होने वाले लेनदेन के लिए राज्य के बाहर से खरीदा गया स्टांप पेपर मान्य नहीं - Supreme Court

मामले के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 28 फरवरी को आदेश जारी कर 60 साल की उम्र में रिटायर किए जा रहे आयुर्वेद डॉक्टर्स को राहत देते हुए उन्हें 62 साल तक काम करने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने आदेश का पालन करने की बजाय याचिकाकर्ता आयुर्वेद डॉक्टर्स को 60 साल में ही हटा दिया. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि उन्हें हटाना आदेश की अवमानना है, जिस पर खंडपीठ ने टोंक व प्रतापगढ़ के डिप्टी आयुर्वेद निदेशक सहित अन्य अफसरों के खिलाफ अवमानना का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए उन्हें हाजिर होकर यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. हाईकोर्ट की इस कार्रवाई को राज्य सरकार व अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को 62 साल तक काम करते रहने देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में आयुर्वेद विभाग के संबंधित अफसरों के खिलाफ आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई है. वहीं, मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर 15 जुलाई को सुनवाई तय की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार व आयुर्वेद विभाग के अफसरों की एसएलपी पर दिए हैं.

एसएलपी में हाईकोर्ट की खंडपीठ के गत 28 फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें खंडपीठ ने आयुर्वेद डॉक्टर्स को भी एलोपैथी डॉक्टर्स के समान 62 साल तक की उम्र तक कार्य करते रहने का निर्देश दिया था. इसके अलावा खंडपीठ के आदेश की पालना नहीं करने पर संबंधित अफसरों के खिलाफ 20 अप्रैल को लिए गए अवमानना के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान व शपथ पत्र के जरिए स्पष्टीकरण देने वाले को भी चुनौती दी है.

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मामले के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 28 फरवरी को आदेश जारी कर 60 साल की उम्र में रिटायर किए जा रहे आयुर्वेद डॉक्टर्स को राहत देते हुए उन्हें 62 साल तक काम करने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने आदेश का पालन करने की बजाय याचिकाकर्ता आयुर्वेद डॉक्टर्स को 60 साल में ही हटा दिया. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि उन्हें हटाना आदेश की अवमानना है, जिस पर खंडपीठ ने टोंक व प्रतापगढ़ के डिप्टी आयुर्वेद निदेशक सहित अन्य अफसरों के खिलाफ अवमानना का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए उन्हें हाजिर होकर यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. हाईकोर्ट की इस कार्रवाई को राज्य सरकार व अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

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