श्रीनगर: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) उत्तराखंड के स्थाई परिसर का निर्माण कार्य बीते 10 दिन से सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों ने रोका हुआ है. ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण एक सप्ताह से निर्माण कार्य ठप पड़ा है. सुमाड़ी गांव के पास एनआईटी स्थाई परिसर का शिलन्यास कांग्रेस और भाजपा शासनकाल में अगल अलग दो बार हो चुका है. अब एनआईटी के स्थाई परिसर निर्माण कार्य यहां से कुछ दूर चमराड़ा गांव में शुरू हुआ. जिसके बाद सुमाड़ी गांव के ग्रामीण निर्माण कार्य के विरोध ने उतर आए हैं. बीते एक सप्ताह से निर्माण कार्य को रोका गया है.
ग्रामीणों की मांग है कि जिस स्थल पर एनआईटी का शिलान्यास किया गया है वहीं निर्माणकार्य की नीव वहीं पड़नी चाहिए. सुमाड़ी गांव के ग्रामीण 84 हेक्टर भूमि एनआईटी को दान में दे चुके हैं. एनआईटी के नाम भूमि की रजिस्ट्री भी हो चुकी है. भूमि चिन्हित होने के बाद यहां 772 पेड़ एनआईटी निर्माण के लिए काटे गए. अब एनआईटी का निर्माण अन्य जगह पर शुरू किया गया है. ग्रामीणों का आरोप है की एनआईटी प्रशासन अब दावा कर रहा है की एनआईटी का निर्माण अन उपयुक्त भूमि पर नहीं होगा.
ग्रामीणों का आरोप है की एनआईटी का निर्माण अगर उनकी भूमि पर नहीं किया जाना है तो उनकी भूमि को चिन्हित करने के बाद यहां 772 पेड़ क्यों काटे गए. सुमाड़ी के ग्रामीणों की मांग है कि एनआईटी का प्रवेश द्वार उनकी भूमि पर ही बनाया जाना चाहिए. जब तक एनआईटी का कार्य उनकी भूमि पर शुरू नहीं किया जाता वे एनआईटी निर्माण कार्य शुरू नही होने देंगे.वहीं पूरे मामले पर गढ़वाल कमिश्नर ने कहा ग्रामीणों के हक हकूकों का ख्याल रखकर ही एनआईटी का निर्माणकार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा जल्द ही एनआईटी विवाद को सुलझा लिया जाएगा.