शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्वाचन क्षेत्र नादौन में आयकर की रेड और मामले में ईडी की इन्वॉल्वमेंट से हिमाचल सहित दिल्ली में सियासी हलचल मच गई है. बताया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी ईडी के निशाने पर हैं. अवैध खनन को लेकर सीएम के करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है. अवैध खनन में करोड़ों के वारे-न्यारे करने से जुड़े दस्तावेज मिलने का दावा किया जा रहा है.
यदि आयकर की रेड के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज कर लिया तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सियासी विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे. ईडी ने धन शोधन को लेकर जांच की है. नादौन व कांगड़ा के स्टोन क्रशर के मालिक सीएम के करीबी हैं और कांग्रेस कमेटी में भी सदस्य हैं. ईडी को नकद लेन-देन के भी साक्ष्य मिले हैं. एक ही खाते में करीब आठ करोड़ से अधिक की अवैध नकदी जमा हुई है. यही नहीं, सीएम के इसी करीबी कारोबारी को कई सरकारी टेंडर भी मिले हैं. इन सब को लेकर भाजपा तीव्र विरोध की रणनीति बना रही है. उपचुनाव के परिणाम आने के बाद से ही हिमाचल में सियासी तूफान आना तय है. मामले में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी का नाम भी प्रमुखता से आ रहा है.
सुधीर शर्मा काफी समय से लगा रहे थे आरोप
कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में आए सुधीर शर्मा उपचुनाव के दौरान भी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर हमलावर थे. सुधीर शर्मा अब उपचुनाव चुनाव जीत चुके हैं और भाजपा से विधायक हैं. उपचुनाव के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुधीर शर्मा पर निरंतर तीखे वार किए थे और उन्हें बागियों का सरगना बताया था. सुधीर शर्मा ने भी सिलसिलेवार आरोप लगाते हुए दावा किया था कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. अब नए धमाके से हिमाचल की सियासत में हलचल मची हुई है. सुधीर शर्मा पहले भी सीएम के ओएसडी पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी के आरोप लगा चुके हैं.
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई छापेमारी में करोड़ों के घोटाले सामने आए हैं।
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) July 9, 2024
घोटालों के पीछे किसका हाथ... आप भी जानिए, बता रहे हैं विधायक श्री सुधीर शर्मा जी। pic.twitter.com/ivXI4QoYjL
सुधीर शर्मा ने मई महीने में बाकायदा वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि सीएम सुक्खू के भाई को लाभ पहुंचाने के लिए उनके नाम 29 हैक्टेयर जमीन लीज पर दी गई. उस दौरान सुधीर शर्मा ने सीएम सुक्खू को चैलेंज किया था कि यदि उनके पास चुनाव आयोग को सौंपे हल्फनामे से अधिक कुछ निकला तो उसे राज्य सरकार को दे देंगे. वहीं, सीएम सुक्खू को भी अपनी संपत्ति की जांच करवानी चाहिए. सुधीर ने आरोप लगाया था कि नादौन में एक संपत्ति महज ढाई लाख की थी, जिसे एचआरटीसी को 6.72 करोड़ रुपए में दिया गया. सुधीर शर्मा ने अब ईडी व आयकर की जांच के बाद आरोप लगाया है कि सीएम के संरक्षण में भ्रष्टाचार उजागर हुआ है. सुधीर ने आरोप लगाया है कि इस सरकार के छोटे से कार्यकाल में टेंडर मैनेज किए जा रहे हैं.
राज्यसभा चुनाव के समय से शुरू हुआ है सियासी दंगल
हिमाचल में कांग्रेस पार्टी अच्छे-खासे बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. कांग्रेस को 40, भाजपा को 25 व निर्दलीय तीन सीटें हासिल कर विधानसभा पहुंचे थे. राज्यसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के छह बागी विधायकों ने क्रॉस वोट की थी. तीन निर्दलीयों ने भी भाजपा के हर्ष महाजन को वोट दिया था. उसके बाद से हिमाचल में सियासी संग्राम जारी है. सीएम ने छह विधायकों यथा सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, आईडी लखनपाल, चैतन्य शर्मा व रवि ठाकुर को बिका हुआ करार दिया था. उपचुनाव में छह में से चार नेता हार गए. सुधीर शर्मा व आईडी लखनपाल जीत हासिल करने में कामयाब रहे. उपचुनाव प्रचार के दौरान से ही सीएम इन सभी पर बिके हुए होने का आरोप जड़ते रहे.
बदले में बागी नेताओं ने भी सीएम सुक्खू के करीबियों के भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप लगाए. इसी बीच, नादौन व ज्वालामुखी में आयकर व ईडी की रेड्स पड़ी. उस समय से ये हलचल है कि अब केंद्रीय एजेंसियां हरकत में आई हैं और कांग्रेस सरकार के लिए खराब समय शुरू हो चुका है. फिलहाल, अभी ईडी के आगामी एक्शन पर सभी की नजरें हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से हालांकि कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने बाकायदा वीडियो जारी कर सीएम व कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
क्या बड़े नेताओं तक पहुंचेगी आंच
ईडी व आयकर के एक्शन को लेकर हिमाचल के वरिष्ठतम मीडिया कर्मी बलदेव शर्मा लिखते हैं 'हमीरपुर में केंद्रीय एजेंसियों के छापे सुर्खियों में हैं. नादौन में 38 घंटे तक इन्कम टैक्स के अफसर कागज खंगालते रहे. फिर ज्वालामुखी के अधवाणी में रेड हुई. जिनके यहां रेड पड़ी वो होटल व खनन कार्य से जुड़े हैं. नादौन में जिस होटल पर छापामारी हुई है, वो होटल किसी समय राजा नादौन के स्वामित्व वाली जमीन थी. नादौन के शासक को ये जमीन अंग्रेज हुकूमत के समय मिली थी. लैंड सीलिंग एक्ट के लागू होने के बाद सरप्लस जमीन विलेज कॉमन लैंड की श्रेणी में आई. यदि ये होटल विलेज कॉमन लैंड पर बना निकला तो मुसीबत बढ़ेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी ऐसी जमीन को बेचने के खिलाफ सख्त आदेश पारित कर चुका है.' बलदेव शर्मा का कहना है कि जिस मामले में केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हो जाएं, उसकी आंच दूर-दूर तक जाती है. देखना है कि अब राज्य सरकार व सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं. भाजपा तो इस मामले को जोर-शोर से उठाने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है.
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