शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने नए महीने के पहले ही दिन एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इसकी प्रक्रिया पूरी कर अधिसूचना भी जारी कर दी गई. इसी महीने आजादी के पर्व का दिन भी है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 15 अगस्त के दिन सरकारी कर्मचारियों के लिए डीए की एक किश्त के भुगतान का ऐलान कर सकते हैं. यदि सरकार डीए की चार प्रतिशत की किश्त का ऐलान करती है तो उसके लिए 580 करोड़ रुपए सालाना का बोझ खजाने पर आएगा. हिमाचल के लिए दिसंबर 2024 तक की अवधि के लिए 6200 करोड़ रुपए की लोन लिमिट सैंक्शन है. दिसंबर से मार्च की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र सरकार अलग से सैंक्शन देती है.
फिलहाल, राज्य सरकार के वित्त विभाग ने दो किश्तों में एक हजार करोड़ रुपए के लोन को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. कुल एक हजार करोड़ रुपए के लोन के बाद राज्य सरकार तय लिमिट में से 4400 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. अब सितंबर महीने से लेकर दिसंबर 2024 तक का चार महीने का समय इन्हीं 1800 करोड़ रुपए के सहारे काटना होगा. ऐसी परिस्थितियों में लगता नहीं है कि राज्य सरकार कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का एरियर दे पाएगी. फिलहाल, एक हजार करोड़ रुपए के लोन से आशा बंधी है कि कम से कम डीए की एक किश्त सरकार दे सकती है.
इसी हफ्ते खजाने में आएगा पैसा
हिमाचल सरकार ने दो किश्तों में एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. ये दोनों किश्तें पांच-पांच सौ करोड़ रुपए की हैं. लोन का पैसा इसी हफ्ते के आखिर में खजाने में आ जाएगा. जुलाई महीने में भी सरकार ने पांच सौ करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. अब एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया गया है. इससे आशा है कि कर्मचारियों को डीए की एक किश्त पंद्रह अगस्त को घोषित कर दी जाए. मार्च महीने से शुरू हुए इस वित्त वर्ष में राज्य सरकार को दिसंबर 2024 तक केंद्र से 6200 करोड़ रुपए के कर्ज की लिमिट सैंक्शन हुई है. अब तक मार्च महीने से सरकार ने इस लिमिट में से 4400 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है. अब कुल 1800 करोड़ रुपए बचे हैं. इस समय सुख की सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती वेतन व पेंशन के बढ़ते भुगतान को लेकर है. हिमाचल पर कुल कर्ज 86 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. मार्च 2025 तक इसके 94 हजार करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं. नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार का वेतन व पेंशन का खर्च बढ़ गया है. अब हिमाचल सरकार को हर महीने इस मद में 2000 करोड़ रुपए के करीब खर्च करने पड़ रहे हैं.
छठे वेतन आयोग और ओपीएस का इंपैक्ट
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया है. संशोधित वेतनमान का एरियर देने के लिए ही राज्य को 9000 करोड़ से अधिक की रकम चाहिए. संशोधित वेतनमान व ओपीएस के कारण अब राज्य सरकार के खजाने पर सैलरी व पेंशन का बिल 59 प्रतिशत बढ़ा है. ये फाइनेंस कमीशन को दिए गए मेमोरेंडम में दर्ज है. कर्ज के सहारे चल रही हिमाचल सरकार अब लोन के लिए ओपन मार्केट व्यवस्था पर निर्भर है. वित्त वर्ष 2018-19 में बाजार से लिया गया लोन 44 फीसदी था. अब 2022-23 में ओपन मार्केट लोन 53 प्रतिशत हो गया है. अब देखना है कि सोलहवें वित्त आयोग से हिमाचल को किस तरह का रिस्पांस मिलता है. लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ने से हिमाचल में पेंशनर्स की संख्या भी बढ़ रही है. ओपीएस लागू होने के बाद से पेंशन के मद में खर्च भी बढ़ेगा. ऐसे में ये स्पष्ट है कि आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति और भी विकट हो जाएगी. साथ ही मुफ्त की रेवड़ियों यानी फ्रीबीज का कल्चर भी प्रभावी हो रहा है. महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह वाली योजना का इंपैक्ट भी खजाने को झेलना होगा.