भरतपुर. कैंसर जैसी घातक बीमारी का नाम सुनते ही पसीने छूट जाते हैं, लेकिन भरतपुर के सुचित खंडेलवाल ने ना केवल कैंसर को मात दी, बल्कि योग की बदौलत कैंसर के दुष्प्रभावों पर भी जीत हासिल की. सुचित ने मुंह के कैंसर का ऑपरेशन होने के बाद नियमित योग से रेडिएशन और ऑपरेशन के साइड इफेक्ट को भी मात दे दी. हर दिन करीब 30 अलग अलग योगासन कर अब सुचित सामान्य जीवन जी रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जानते हैं योग से निरोग होने की कहानी...
11 साल पहले हुआ था मुंह का कैंसर: शहर के सुचित खंडेलवाल ने बताया कि वर्ष 2013 में उन्हें मुंह का कैंसर हुआ था. जयपुर में कैंसर का ऑपरेशन कराया, लेकिन ऑपरेशन के बाद शरीर में कई साइड इफेक्ट नजर आए. ऑपरेशन के बाद मुंह पूरी तरह खुल नहीं रहा था. बाएं हाथ और पैर भी पूरी तरह से नहीं चल (मूवमेंट) पा रहे थे. रेडिएशन के भी कई दुष्प्रभाव स्वास्थ्य पर दिख रहे थे.
योग ने बनाया निरोग: सुचित खंडेलवाल ने बताया कि कैंसर ऑपरेशन के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सक ने नियमित योग और व्यायाम करने का सुझाव दिया. सुचित ने धीरे-धीरे घर पर ही सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, कपाल भाती जैसे योगासन करने लगे. वे प्रतिदिन 1 घंटे घर पर योग करते. इसका परिणाम यह हुआ कि डेढ़ माह के अंदर ही योगासन की बदौलत सुचित का मुंह खुल गया. हाथ पैर में मूवमेंट भी अच्छी तरह होने लगा. यहां तक कि रेडिएशन के सारे दुष्प्रभाव दूर हो गए.
सुचित ने बताया कि वो बीते करीब 11 साल से नियमित योग कर रहे हैं. हर दिन करीब 35 से 40 प्रकार के योगासन करते हैं. यही वजह है कि अब सुचित कैंसर और उसके दुष्प्रभाव को मात देकर स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. सुचित का कहना है कि बच्चे और हर उम्र के लोगों को फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए. साथ ही आजकल अनाज और सब्जियों में भी यूरिया व अन्य कीटनाशकों का इस्तेमाल हो रहा है, जो कि बहुत ही घातक है. इसलिए रसायनिक अनाज व सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए. क्योंकि कैंसर जैसी घातक बीमारी की सबसे बड़ी वजह रासायनिक खाना है. आधा घंटे से एक घंटे का समय निकालकर योग करें तो हर बीमारी से बचा जा सकता है.