पटना : बिहार में जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है. एक दर्जन जिलों में जूट की खेती होती है जिसमें कटिहार टॉप पर है. जूट की परंपरागत खेती से किसानों को उतना लाभ नहीं मिल पाता है, इसलिए कटिहार के दो किसानों ने जूट के पत्तों से चाय पत्ती बनाने का तरीका निकाला है.
जूट से चाय बनाने का नया स्टार्टअप : इस काम में कृषि विभाग की संस्था आत्मा सहयोग दे रही है. किसानों को आईसीएआर कोलकाता में प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है. अब किसान जूट से चाय बना रहे हैं. अभी छोटे स्केल पर चाय का निर्माण कर रहे हैं. लेकिन जल्द ही मशीनों के माध्यम से बड़े स्तर पर उत्पादन की तैयारी है. जूट से चाय बनाने का कटिहार के किसान का नया स्टार्टअप है. किसान के तरफ से नेचुरल जूट लीफ ड्रिंक के नाम से स्टार्टअप शुरू किया जा रहा है.
जूट किसानों की बदलेगी तकदीर : कटिहार के किसान रविशंकर श्रवण के पास 6 बिगहा की खेती है. इसमें से चार बिगहा पर जtट का उत्पादन करते रहे हैं. बहुत ज्यादा लाभ नहीं होता है इसलिए उन्होंने जtट के अन्य विकल्पों पर विचार किया. उसमें सबसे नया प्रयोग जूट से चाय बनाना है. रवि शंकर ने इसके लिए कृषि विभाग की संस्था 'आत्मा' से संपर्क किया और आत्मा के माध्यम से कोलकाता आईसीएआर में जाकर इसके लिए ट्रेनिंग ली.
जूट की चाय जायकेदार : कटिहार में लौटने के बाद चाय बनाने हैं का काम शुरू किया . अभी चार पांच महीने पहले ही इस पर काम शुरू हुआ है. स्थानीय स्तर पर किसान चाय उपलब्ध करा रहे हैं. कटिहार के लोगों में जूट से बने चाय जिसे जूट लाइफ ड्रिंक भी कहा जाता है, को लेकर काफी दिलचस्पी है.
''अभी तो हम लोग बहुत छोटे पैमाने पर इसका निर्माण कर रहे हैं, क्योंकि सारी प्रक्रिया हाथों से ही हो रही है. लेकिन जल्दी हम लोग मशीन लगाने वाले हैं. जिससे निर्माण से लेकर पैकेजिंग तक का काम आसान हो जाएगा. क्वालिटी में भी काफी सुधार आएगा.''- रवि शंकर, किसान
नेचुरल जूट लीफ ड्रिंक : किशन रवि शंकर ने कहा कि हम लोग 'नेचुरल जूट लीफ ड्रिंक' के नाम से स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं. इसकी आगे की प्रक्रिया के लिए हम लोगों ने आवेदन किया है. किसान रविशंकर के अनुसार अभी टी बैग ₹5 में हम लोग बेच रहे हैं. 5 ग्राम के आसपास चाय रहता है. प्रतिदिन ₹1000 का इनकम अभी हो जा रहा है.
जूट की चाय से कमाई : रवि शंकर का कहना है अभी जूट की खेती से प्रति क्विंटल ₹4500 ही इनकम होता है. लेकिन जूट से बने चाय से 40 से 50 हजार इनकम प्रति क्विंटल हो सकता है. किशन रवि शंकर ने चाय बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पहले हम लोग जूट की पत्ती को इकट्ठा करते हैं और उसे अच्छे से धोने के बाद सुखाते हैं. पत्ती को सूखने में कुछ समय लग सकता है. अभी सारा प्रोसेस हाथ से करना पड़ता है.
''सूखाने के बाद उसको छांट कर इकट्ठा करते हैं और फिर पैकेजिंग करते हैं. पूरी प्रक्रिया में कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है. लेकिन हम लोग जिस प्रकार से जूट की पत्ती से चाय तैयार कर रहे हैं. आईसीएआर कोलकाता के वैज्ञानिक भी यहां आकर देख चुके हैं और उन्होंने तारीफ भी की है.''- रवि शंकर, किसान
जूट टी का बड़ा स्कोप : कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के डिप्टी डायरेक्टर शशिकांत झा का कहना है जूट से बने चाय का बहुत स्कोप है, क्योंकि इससे किसानों की समृद्धि बढ़ेगी . जूट की खेती से किसानों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलता है. हम लोग वैल्यू एडिशन करने में लगे हुए हैं. किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दिलवा रहे हैं. विभाग से जो भी मदद हो सकता है, वह सब दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.
''बिहार के एक दर्जन जिलों में जूट की खेती होती है. 25 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है. कटिहार में सबसे अधिक खेती होती है. इसलिए यहां इसके वैल्यू एडिशन करने में हम लोग लगे हुये हैं. जूट के कई सामान पहले से बनाए जा रहे हैं. जिसकी भी लोगों के बीच काफी डिमांड है. लेकिन चाय नया उत्पाद है. यह ड्रिंक लोगों के बीच चर्चा में भी है. कृषि विभाग किसानों की हर संभव मदद करने में लगा है.''- शशिकांत झा, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण
स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद : आईसीएआर कोलकाता के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर देव प्रसाद रॉय के अनुसार जूट से बने चाय स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभप्रद है. जूट की पत्ती में एंटीऑक्सीडेंट होता है. जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसमें कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं. इसके साथ ही मधुमेह और बीपी में भी यह कारगर है. इससे कैंसर के रोकथाम में भी मदद मिल सकती है.
''जूट की पत्ती के प्रोसेसिंग के बाद न केवल चाय के रूप में बल्कि कई अन्य खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग किया जा सकता है. जो काफी लाभप्रद हो सकती है. अभी तो शुरुआत है इस पर कई काम करना होगा. हम लोग पूरी तरह से मदद कर रहे हैं . इससे किसानों का इनकम कई गुना बढ़ जाएगा.''- देव प्रसाद राय, वैज्ञानिक, ICAR
चाय पीने वाले लोग कर रहे हैं तारीफ : कटिहार के लोगों में इस चाय को लेकर उत्सुकता भी है और जिज्ञासा भी और लोग इसका सेवन भी कर रहे हैं. कटिहार के निवासी अनीश कुमार का कहना है ''यह स्वाद में काफी अच्छा है और जब से जानकारी मिली है कि स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है. कब से इसका लगातार हम लोग सेवन कर रहे हैं. अभी लोगों को इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए इसका प्रचार प्रसार करना होगा.''
जूट की खेती में क्रांतिकारी बदलाव : पहले जमाने में जूट से रस्सी और बोरा ही तैयार किया जाता था. लेकिन अब इसके कई उत्पाद तैयार हो रहे हैं, जिसकी काफी डिमांड है. चाय के उत्पादन से इस क्षेत्र के किसानों की तस्वीर बदल सकती है.
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