पटना: कहावत है गांव की मिट्टी में वह सुगंध होती है, जो बाहर रहने वालों को भी अपनी ओर वापस आकर्षित कर लेता है. यह कहावत मधुबनी जिले के जरैल गांव निवासी मनीष आनंद पर बिल्कुल सटीक बैठता है. दुनिया के एक दर्जन देशों में नौकरी कर चुके और लाखों की सैलरी पाने वाले मनीष आनंद ने अपनी हाई प्रोफाइल जिंदगी छोड़कर गांव में रहकर कुछ नया करने का फैसला किया.
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म: मधुबनी के जरैल गांव के रहने वाले मनीष आनंद का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके परिवार के पास खेती का दो बीघा जमीन था. उनके दादाजी अपनी शादी के 8 साल बाद ही परिवार को छोड़कर सन्यासी बनने का फैसला लिये. परिवार छोड़कर अयोध्या में मंदिर में जाकर अध्यात्म की तरफ अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनके पिताजी का जीवन बहुत ही तकलीफ में बीता था लेकिन मेहनत करके उन्होंने रिजर्व बैंक में नौकरी पाई. नौकरी होने के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ सुधरी.
मनीष की शिक्षा-दीक्षा: मनीष आनंद का जन्म 1975 में मधुबनी के जरैल गांव में हुआ था. मनीष आनंद तीन भाई में मंझले भाई हैं. मनीष आनंद की प्रारंभिक शिक्षा पटना के कदमकुआं स्थित पाटलिपुत्र स्कूल से हुई.1989 इसलिए में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1991 में पटना कॉलेज से उन्होंने इंटर की परीक्षा पास की. 1994 में पटना कॉलेज से ही बीएससी की परीक्षा पास की.
पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट: ग्रेजुएशन की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में ही उनके पिता का ट्रांसफर दिल्ली हो गया. इसके बाद मनीष आनंद के पिताजी सभी परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट कर गए. दिल्ली में उन्होंने कंप्यूटर में मास्टर की डिग्री हासिल की. इसके अलावा उन्होंने MBA की डिग्री भी हासिल की.
केंद्रीय विद्यालय में हुई नौकरी: पढ़ाई में मेधावी मनीष आनंद की पहली नौकरी 1996 ई में केंद्रीय विद्यालय आर के पुरम में हुई. 2 साल नौकरी करने के बाद उनको सरकारी नौकरी में मन नहीं लगा. उन्होंने 1998 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर इंग्लैंड की कंपनी पिलकिंग्सन स्पेशल ग्लास लिमिटेड में नौकरी करने का फैसला किया. यह कंपनी चश्मा का ग्लास, लेंस, सीडी का मास्टर ग्लास, एक्स-रे मशीन का ग्लास बनाने का काम करता था.
2002 में कंपनी के कंट्री हेड बने: लारा म्यूजिक टी-सीरीज एवं मोजरवेयर के साथ कंपनी का टाइप हुआ इस टाइप में मनीष आनंद की अहम भूमिका रही और कंपनी ने उन्हें कंट्री हेड बनाने का फैसला लिया. उनका सालाना पैकेज 40 लाख रुपए था. इसके बाद कंपनी ने उन्हें अपने दूसरे यूनिट में काम करने का मौका दिया. बड़े-बड़े बिल्डिंग में बिल्डिंग ग्लास कि उसे समय सबसे बड़ी कंपनीपिलकिंग्सन एशिया ग्लास लिमिटेड ही थी. इस कंपनी में वह इंडिया के साथ-साथ दुबई और सिंगापुर का काम भी देखने लगे. देश के बड़े रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ, हाफिज कॉन्ट्रेक्टर के साथ कंपनी का टाइप हुआ और कंपनी का टर्नओवर देश में बहुत ज्यादा होने लगा. 2008 तक उन्होंने इस कंपनी में काम किया.
लगभग 1 दर्जन देशों में काम करने का मौका: मनीष आनंद को एशिया की सार्क देशों के अलावे इंग्लैंड अमेरिका ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और पोलैंड में भी काम करने का मौका मिला. कई देशों में काम करने के बाद मनीष आनंद ने नौकरी छोड़ने का अचानक फैसला कर लिया. 2008 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अपना व्यापार करने की प्लानिंग की. 40 लाख सालाना सैलरी को छोड़कर अपना व्यापार करने के फैसले पर परिवार वाले खुश नहीं थे. क्योंकि व्यापार में यदि सफल नहीं हुई तो फिर पूरा बना बनाया करियर खत्म होने की संभावना थी.
गांव की तरफ अचानक झुकाव: 2008 में मनीष आनंद मधुबनी स्थित अपने गांव आए थे. अपने दादाजी के समाधि स्थल पर एक कुटी बनाने की कल्पना उनके मन में थी. इस कुटी बनाने के क्रम में उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया. वह अपने गांव में रहकर मिथिला के लिए कुछ अलग करने की सोचने लगे. कुटी के बगल में ही तालाब में मखाना की खेती होती थी. उन्होंने 3 साल तक गांव में रहकर तालाब में मखाना की खेती की ताकि इसके व्यापार में क्या-क्या परेशानी और क्या-क्या करना होता है वह समझ सके.
2010 में पहली कंपनी की शुरुआत: 3 वर्षों तक मखाना के धंधे की बारीकी सीखने के बाद उन्होंने "मिथिला कंज्यूमर गुट्स प्राइवेट लिमिटेड" नाम से कंपनी की शुरुआत की. 20 लाख रुपए की अपनी पूंजी की लागत से उन्होंने पहली कंपनी खड़ी की. जिसमें मखाना से जुड़े हुए प्रोडक्ट का मैन्युफैक्चरिंग शुरू हुआ. देश बड़े रिटेल सेक्टर की कंपनियों में इनके प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने लगी.
कौन-कौन से प्रोडक्ट उपलब्ध?: रिलायंस बाजार, डी मार्ट, बिग बॉस्केट में उनके मखाने के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं."मिथिला कंज्यूमर गुट्स प्राइवेट लिमिटेड" में मखाना के 10 प्रोडक्ट लोगों के लिए उपलब्ध है. जिसमें मखाना, मखाना खीर पाउडर, मखाना शेक, रोस्टेड मखाना मीठा एवं नमकीन फ्लेवर में, मखाना ब्रेड लोगों के लिए उपलब्ध है.
2017 में दूसरी कंपनी की शुरुआत: मखाने के व्यापार के बाद उन्होंने 2017 में "मिथिला नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड" के नाम से दूसरी कंपनी की शुरुआत की. मधुबनी जिले के अरेर गांव में उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी में अनेक ऐसे प्रोडक्ट शुरू किए गए जो डेली यूज़ में काम आते हैं. मसाला के 22 आइटम, सोयाबीन, सरसों का तेल, अचार के एक दर्जन आइटम उपलब्ध है. मनीष आनंद ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि दोनों कंपनियों के 20 प्रोडक्ट में लगभग 150 के करीब खाने-पीने के प्रोडक्ट उनकी कंपनी तैयार करती है.
पूरे देश में मखाने की डिमांड: मनीष आनंद ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनके मखाने की प्रोडक्ट की मांग अनेक राज्यों से आ रही है. जितने भी बड़े रिटेल सेक्टर की बड़ी कंपनियां है उनके स्टोर में उनका प्रोडक्ट आज लोगों के लिए उपलब्ध है. देश के सभी राज्यों में आज उनके मखाना का प्रोडक्ट पहुंच चुका है और बहुत जल्द वह विदेशी भी अपना माल भेजना शुरू करेंगे.
''कोरोना काल में मिथिलांचल की घरों में बनने वाले जो छोटे-छोटे आइटम थे इसका प्रयोग लोग उसी अवधि में करने लगे. लोग घर से बाहर निकलने से डरते थे, इसीलिए मिथिलांचल की जो परंपरागत खाद्य सामग्री बनाई जाती थी उसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग घरों में होने लगा था. यही कारण है कि मिथिला नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में वैसे सामग्रियों के निर्माण का फैसला लिया जो हर घर में उपयोग किया जाता है.''- मनीष आनंद, उद्यमी
अपना ऑनलाइन मार्केटिंग साइट शुरू: मनीष आनंद ने बताया कि रिटेल सेक्टर की बड़ी कंपनियों के अलावा उन्होंने अपना मार्केटिंग साइट मिथिला नेचुरलस डॉट कॉम की शुरुआत की. इस साइट के जरिए वह अपने ग्राहकों से सीधा संपर्क स्थापित करके उन्हें अपना प्रोडक्ट उनके घर तक भेजते हैं. 2024 के अंत तक मिथिला नेचुरल के सभी प्रोडक्ट देश के सभी बड़े रिटेल सेक्टर की कंपनियों के स्टोर पर उपलब्ध हो जाएंगे.
200 लोगों को दिया रोजगार: मनीष आनंद बताया कि मिथिलांचल में उद्योग के नाम पर सिर्फ खाद्य से जुड़े हुए मामले पर ही काम किया जा सकता था. इसीलिए उन्होंने किसी से जुड़े हुए दो कंपनियों की शुरुआत की. उन्होंने एक सपना देखा था कि बाढ़ प्रभावित और उद्योग रूप से पिछड़े हुए मिथिलांचल में उद्योग के माध्यम से यदि वह वहां के स्थानीय लोगों को कोई रोजगार उपलब्ध करवा सकते हैं तो वह उनकी सबसे बड़ी पूंजी होगी. आज उन्हें इस बात की खुशी है कि "मिथिला कंज्यूमर गुट्स प्राइवेट लिमिटेड" और 'मिथिला नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड" दोनों कंपनियों में 200 से अधिक वर्कर आज काम कर रहे हैं.
वेतन मद में 25 लाख खर्च: मनीष आनंद की दोनों कंपनियों में 150 स्थाई कर्मचारी एवं 50 डेली वेजेस मजदूर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिमाह करीब 25 लख रुपए वे अपने कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करते हैं. मनीष आनंद ने बताया कि सबसे खुशी की बात यह है कि उनकी कंपनियों में बहुत सी घरेलू महिलाएं आकर काम करती है. जिस मिथिला में पहले बहुत ज्यादा पर्दा प्रथा था महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी वहां आज दर्जनों की संख्या में उनके कंपनी में महिलाएं काम कर रही है और अपने परिवार के तरक्की में अपना योगदान दे रही है.
कंपनी का टर्नओवर 32 करोड़: मनीष आनंद ने बताया कि 20 लाख की लागत से उन्होंने अपने कंपनी की शुरुआत की थी आज उसे कंपनी का सालाना टर्नओवर 32 करोड़ से अधिक हो गया है. मनीष आनंद ने बताया कि उनके जीवन का अगला लक्ष्य की अगले 10 वर्षों में "ब्रांड मिथिला" का विस्तार पूरे देश में हो 1000 करोड़ की कंपनी बने. मिथिला का प्रोडक्ट देश के हर कोने में आसानी से उपलब्ध हो. देश के सभी बड़े शहरों में मिथिला नेचुरल का स्टोर लोगों के लिए उपलब्ध करवाना उनकी अब अगली प्राथमिकता होगी.
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