कानपुर : समस्याएं जीवन का हिस्सा हैं. सफल न हो पाने के लिए हालात को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. बहाने बनाने के बजाय समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए. लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता के हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है. कामयाबी संघर्ष और समर्पण मांगती है. बिना इसके जीवन में कुछ भी कर पाना मुमकिन नहीं है. बुलंद हौसलों से हर मुसीबत को मात दी जा सकती है.
ये कहना है पहले प्रयास में CA की परीक्षा में कानपुर टॉप करने वाले 23 वर्षीय उज्ज्वल का. रविवार को उन्होंने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उज्जवल के पिता भी CA की बनना चाहते थे. इसके लिए ही वह बदायूं से कानपुर आए थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका. अब बेटे ने माता-पिता के सपने को साकार कर दिया है. 27 दिसंबर को आए रिजल्ट ने पूरे परिवार को खुशी से झूमने का मौका दे दिया.
मैंने पिता के सपने को पूर कर दिया : ईटीवी भारत से बातचीत में शहर के शिवाला के रहने वाले उज्ज्वल ने बताया कि उन्होंने 600 में से 396 अंक लाकर शहर में टॉप किया है. द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट्स ऑफ इंडिया(ICAI) ने सीए फाइनल के परिणाम को जारी किया है. उन्होंने बताया कि CA बनने की राह में सबसे बड़ा चैलेंज यही होता है कि आपको इस दुनिया से बिल्कुल अलग रहना पड़ता है.आपको अपनी सोशल लाइफ से दूरी बनानी पड़ती है. दिनचर्या केवल पढ़ाई के आसपास ही घूमने लगती है. मैंने भी इस सफलता को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की. मेरा लक्ष्य था कि मुझे अपने पापा के सपने को पूरा करना है. इंटरमीडिएट के परीक्षा के बाद से ही मैंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी. पूरा विश्वास था कि अगर मैं अच्छे से पढ़ाई करूंगा तो CA जरूर क्लियर कर लूंगा.
ये मेरा लाइफ टाइम अचीवमेंट : उज्ज्वल ने बताया कि, आर्टिकल शिफ्ट में एग्जाम के लिए छुट्टी मिलती है. इस समय कमरे में बंद होकर 10 से 12 घंटे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करनी होती है. इस दौरान मैंने अपने दिमाग पर पारिवारिक परिस्थितियों को कभी हावी नहीं होने दिया. खुद को दुनिया से अलग करके एक कमरे में कैद कर लिया. मेरे मन में हमेशा एक ही सवाल था कि मुझे अपना CA क्लियर करना है और इसे पहले प्रयास में ही क्लियर करना है. जिस दिन रिजल्ट आना था, उस दिन मेरा जन्मदिन था. मैं अपना रिजल्ट माता-पिता के साथ देखना चाहता था. इसलिए रिजल्ट वाले दिन मैं अपने घर में ही था. जिले के टॉप करना मेरे लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसा है. इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया सकता है.
10वीं और 12वीं में भी मनवाया था प्रतिभा का लोहा : उज्ज्वल ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पढ़ाई का काफी शौक था. साल 2018 में हाईस्कूल की परीक्षा गौरी हरी सिंघानिया स्कूल से पास की. हाई स्कूल में उन्होंने 95% नंबर हासिल किए. वहीं इंटरमीडिएट की परीक्षा साल 2020 में उन्होंने पास की. उन्होंने इस परीक्षा में 97.6% अंक हासिल किए. वहीं कानपुर शहर के ही डीएवी कॉलेज से उन्होंने बीकॉम की परीक्षा पास की. उनका कहना है, कि किसी को भी एक बंद कमरे में बैठकर पढ़ना अच्छा नहीं लगता है पर अगर आपको सफलता पानी है तो सही दिशा में कदम जरूर बढ़ाना चाहिए.
अपनी इस सफलता को हासिल करने के लिए रोजाना 10 से 11 घंटे तक पढ़ाई की है. 2 से 3 साल तक ऑब करेंगे. इसके बाद दोस्तों के साथ मिलकर प्रैक्टिस करेंगे. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया. कहा कि मां ने तो उन्हें हमेशा सपोर्ट किया और किसी भी समस्या को उन्होंने उनके सामने नहीं आने दिया.
पिता बोले-बेटे ने मेरे सपने को पूरा कर दिया : उज्ज्वल के पिता अजय अग्रवाल ने बताया कि वह साल 1996 में बदायूं से कानपुर आए थे. उनका सपना था कि वह आकर सीए की तैयारी करेंगे, लेकिन किसी कारणवश उन्हें अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ना पड़ा. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. इसके बाद उन्होंने कपड़े का कारोबार शुरू किया. कानपुर में हुए अग्निकांड के बाद से दिक्कतें और बढ़ गई. इसमें उनका काफी नुकसान हो गया था. इसके बाद मैंने बेटे उज्ज्वल को पढ़ाना शुरू किया. बेटे ने इस मुकाम को हासिल कर लिया है तो लग रहा कि मेरा भी सपना पूरा हो गया है. मेरा बेटा शुरू से ही पढ़ने में काफी होनहार था. फर्स्ट क्लास से ही इसका परफॉर्मेंस काफी बेहतर थी.
मां की आंखों में छलके खुशी के आंसू : उज्ज्वल की मां मनीषा अग्रवाल ने नम आंखों से कहा कि मुझे आज अपने बेटे पर काफी गर्व महसूस हो रहा है. बेटे ने सिर ऊंचा कर दिया. उसने हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह मुझसे अपनी सारी बातें शेयर की. उज्ज्वल का स्वभाव हमेशा से ही खुशमिजाज रहा है. मैंने वह दौर भी देखा है जब आर्थिक तंगी के कारण खुद मुझे में काम करना पड़ा. उस समय मेरी बहन और भांजी ने मदद की. बेटे का रिजल्ट आया तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, जिन लोगों ने कठिन परिस्थितियों में हमसे दूरियां बना ली थी, वह भी आज हमसे बातें करने लगे हैं.
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