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काशी में भगवान पुरी का पान खाकर करते हैं शहर का भ्रमण; जानिए क्या है जगन्नाथी पान की कहानी - Story of Jagannathi Paan

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 9:25 AM IST

Updated : Jul 5, 2024, 11:56 AM IST

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पुरी का जगन्नाथी पान बेहद पसंद है. यही कारण है कि शहर में रथयात्रा निकालने के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पान अर्पण करने की परंपरा है. Story of Jagannathi Paan

काशी में बिकता है पुरी का विशेष पान.
काशी में बिकता है पुरी का विशेष पान. (Photo Credit-Etv Bharat)

पुरी के जगन्नाथी पान पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)

वाराणसी : बात बनारस की हो तो पान का जिक्र सबसे पहले आता है. पान महादेव को भी अति प्रिय माना गया है. यही वजह है कि काशी में हर शुभ काम के पहले भगवान को पान अर्पण करने और खाने की परंपरा है. इन्हीं परंपराओं के बीच बनारस में पुरी के जगन्नाथी पान की भी अपनी अलग कहानी है. यह पान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है.

जानिए, जगन्नाथी पान की खासियत.
जानिए, जगन्नाथी पान की खासियत. (Photo Credit-Etv Bharat)

काशी के पहले लक्खे मेले में शुमार रथ यात्रा मेले में भगवान जगन्नाथ को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नानखटाई व जगन्नाथी पान भोग लगाने की परंपरा है. मान्यता है कि पान अर्पित करने से भक्त को सुख, सौभाग्य और प्रगति की प्राप्ति होती है. भगवान जगन्नाथ को अर्पित होने वाला पान बेहद खास होता है और इसे खास तरीके से तैयार किया जाता है.

भगवान जगन्नाथ को पान अर्पण करने की पुरानी परंपरा है.
भगवान जगन्नाथ को पान अर्पण करने की पुरानी परंपरा है. (Photo Credit-Etv Bharat)

पूरी से आता है जगन्नाथी पान: तांबूल विक्रेता बताते हैं कि भगवान जगन्नाथ को जगन्नाथी पान चढ़ता है जो पुरी (उड़ीसा) से ही आाता है. जगन्नाथ पुरी से ही यह पान बनारस में आया है. वाराणसी में जब भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती हैं तो अमृत तुल्य तांबूल (पान) उनको सबसे पहले भोग लगाया जाता है. उसके बाद अन्य व्यंजनों का भोग लगता है.

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र मीठा पान खाते हैं और बहन सुभद्रा को सादा मीठा पान दिया जाता है. इसमें कत्था, नारियल, चूना, गुलाब की पंखुड़ी, गुलकंद, मधुरस, मीठी सुपारी का प्रयोग किया जाता है. भोग चखने के बाद तीनों लोग रथ पर बैठकर जनता को दर्शन देते हैं और शहर भ्रमण करते हैं.

भगवान भोले और विष्णु का अति प्रिय है पान: मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को भी पान अति प्रिय है और पान का पहला बीज भगवान शिव और माता पार्वती ने हिमालय के पहाड़ पर लगाया था. जिस वजह से पान के पत्ते को पवित्र के रूप में देखा जाता है. इसे हर पूजा में देवताओं पर अर्पित किया जाता है.

वाराणसी में काशीपुराधिपति के दरबार में भी हर दिन विशेष तांबूल का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को भगवान जगन्नाथ माना जाता है और कहा जाता है कि भगवान विष्णु को पान बेहद प्रिय था और यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ को भी पान अर्पित किया जाता है और पूरे साल भक्त इस रथ यात्रा मेले का इंतजार करते हैं.

तीन ट्रक जगन्नाथी पान की हर सप्ताह है खपत, जानिए पान की खासियत: पान कारोबारी बताते हैं कि जगन्नाथी पान का संबंध बनारस से सैकड़ों साल पुराना है. यह पान रथ यात्रा मेले के समय बनारस में बिकना शुरू हुआ था. प्रभु को पान का भोग लगाने की परंपरा है.

बनारस में 12 महीनों जगन्नाथी पान मिलता है. पान की खासियत यह है कि यह समय के साथ पूरी तरह सफेद हो जाता है और जल्दी खराब नहीं होता. इसका स्वाद बेहद अलग होता है. हर सप्ताह बनारस में दो से तीन ट्रक जगन्नाथ पान की खपत है. रथ यात्रा के मेले में यह खपत बढ़ जाती है.

यह भी पढ़ें : साल 1992 में बंदूक की सुरक्षा के बीच रामलला खाते थे बनारसी मगही पान, अब प्राण प्रतिष्ठा पर पनवाड़ी को मिला बड़ा ऑर्डर

यह भी पढ़ें : युवाओं के दूसरे शौक से बनारसी पान को लग रहा चूना, कारोबारियों को लाखों का नुकसान

पुरी के जगन्नाथी पान पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)

वाराणसी : बात बनारस की हो तो पान का जिक्र सबसे पहले आता है. पान महादेव को भी अति प्रिय माना गया है. यही वजह है कि काशी में हर शुभ काम के पहले भगवान को पान अर्पण करने और खाने की परंपरा है. इन्हीं परंपराओं के बीच बनारस में पुरी के जगन्नाथी पान की भी अपनी अलग कहानी है. यह पान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है.

जानिए, जगन्नाथी पान की खासियत.
जानिए, जगन्नाथी पान की खासियत. (Photo Credit-Etv Bharat)

काशी के पहले लक्खे मेले में शुमार रथ यात्रा मेले में भगवान जगन्नाथ को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नानखटाई व जगन्नाथी पान भोग लगाने की परंपरा है. मान्यता है कि पान अर्पित करने से भक्त को सुख, सौभाग्य और प्रगति की प्राप्ति होती है. भगवान जगन्नाथ को अर्पित होने वाला पान बेहद खास होता है और इसे खास तरीके से तैयार किया जाता है.

भगवान जगन्नाथ को पान अर्पण करने की पुरानी परंपरा है.
भगवान जगन्नाथ को पान अर्पण करने की पुरानी परंपरा है. (Photo Credit-Etv Bharat)

पूरी से आता है जगन्नाथी पान: तांबूल विक्रेता बताते हैं कि भगवान जगन्नाथ को जगन्नाथी पान चढ़ता है जो पुरी (उड़ीसा) से ही आाता है. जगन्नाथ पुरी से ही यह पान बनारस में आया है. वाराणसी में जब भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती हैं तो अमृत तुल्य तांबूल (पान) उनको सबसे पहले भोग लगाया जाता है. उसके बाद अन्य व्यंजनों का भोग लगता है.

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र मीठा पान खाते हैं और बहन सुभद्रा को सादा मीठा पान दिया जाता है. इसमें कत्था, नारियल, चूना, गुलाब की पंखुड़ी, गुलकंद, मधुरस, मीठी सुपारी का प्रयोग किया जाता है. भोग चखने के बाद तीनों लोग रथ पर बैठकर जनता को दर्शन देते हैं और शहर भ्रमण करते हैं.

भगवान भोले और विष्णु का अति प्रिय है पान: मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को भी पान अति प्रिय है और पान का पहला बीज भगवान शिव और माता पार्वती ने हिमालय के पहाड़ पर लगाया था. जिस वजह से पान के पत्ते को पवित्र के रूप में देखा जाता है. इसे हर पूजा में देवताओं पर अर्पित किया जाता है.

वाराणसी में काशीपुराधिपति के दरबार में भी हर दिन विशेष तांबूल का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को भगवान जगन्नाथ माना जाता है और कहा जाता है कि भगवान विष्णु को पान बेहद प्रिय था और यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ को भी पान अर्पित किया जाता है और पूरे साल भक्त इस रथ यात्रा मेले का इंतजार करते हैं.

तीन ट्रक जगन्नाथी पान की हर सप्ताह है खपत, जानिए पान की खासियत: पान कारोबारी बताते हैं कि जगन्नाथी पान का संबंध बनारस से सैकड़ों साल पुराना है. यह पान रथ यात्रा मेले के समय बनारस में बिकना शुरू हुआ था. प्रभु को पान का भोग लगाने की परंपरा है.

बनारस में 12 महीनों जगन्नाथी पान मिलता है. पान की खासियत यह है कि यह समय के साथ पूरी तरह सफेद हो जाता है और जल्दी खराब नहीं होता. इसका स्वाद बेहद अलग होता है. हर सप्ताह बनारस में दो से तीन ट्रक जगन्नाथ पान की खपत है. रथ यात्रा के मेले में यह खपत बढ़ जाती है.

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Last Updated : Jul 5, 2024, 11:56 AM IST
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