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स्टील उद्योगों को लगा बिजली का झटका, सरकार से लगाई गुहार, कहा-दाम कम नहीं हुए तो बंद हो जाएगा कारोबार - increase in electricity rates

छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में हुई बढ़ोत्तरी का असर अब बड़े कारोबारियों पर भी पड़ने लगा है. बढ़ी हुई बिजली कीमतों के खिलाफ अब स्टील उद्योग से जुड़े लोग लामबंद होने लगे हैं. सभी ने एक सुर में सरकार से गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अगर दाम कम नहीं हुए तो स्टील उद्योग बंद हो सकते हैं.

increase in electricity rates
साय सरकार से की दामों में कटौती की अपील (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 15, 2024, 9:54 PM IST

रायपुर: बिजली की दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ स्टील उद्योग से जुड़े लोग लामबद्ध हो गए हैं. स्टील उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने सरकार से बिजली के दामों में कटौती की अपील की है. उनका कहना है कि यदि बिजली के दामों में कटौती नहीं की गई तो स्टॉल उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा. स्टील कारोबारियों का ये भी कहना है कि स्टील उद्योग से जुड़ी अन्य समस्याओं को भी दूर किया जाए. सोमवार को छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सांसद बृजमोहन अग्रवाल से मुलाकात की.

बढ़ी हुई बिजली दरें वापस लेने की मांग: मुलाकात के दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने बिजली के बढ़ रहे दामों से स्टील उद्योग पर पड़ रहे प्रभाव की जानकारी बृजमोहन अग्रवाल को दी. संगठन से जुड़े लोगों ने उद्योग से संबंधित कई अन्य तरह की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा की. मुलाकात करने आए लोगों का कहना था कि सरकार उनकी दिक्कतों को जल्द दूर करे. छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि ''ओडिशा के बाद छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है.''

''राज्य में 650 से अधिक इस्पात उद्योग हैं. इस्पात और खनिज आधारित उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था की मुख्य रीढ़ हैं. हाल के दिनों में बिजली शुल्क में वृद्धि ने उद्योगों के सामने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. डर का माहौल पैदा कर दिया है. छत्तीसगढ़ में इस्पात उद्योग एक श्रृंखला के रूप में काम करता है. पहले स्पंज आयरन का उत्पादन होता है फिर बिलेट बनाया जाता है, और उसके बाद टीएमटी बार्स तैयार होता है. तैयार उत्पाद का इस्तेमाल हमारे राज्य में नहीं होता. 85% इस्पात राज्य के बाहर जाता है. हम ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. पूरे देश को सामान आपूर्ति करते हैं. अब जब बिजली दरें बढ़ गई हैं तो हम अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे और हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. अन्य राज्यों में हमारे राज्य की तुलना में शुल्क कम किया गया है. छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली और सस्ता इस्पात बनाने के लिए बिजली का उत्पादन होता है. इस वृद्धि के कारण कल कारखाने बंद होने का खतरा है. हम उम्मीद करते हैं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर राहत प्रदान करेगी. सरकार को मिलने वाला राजस्व बहुत अधिक है और इस बिजली शुल्क वृद्धि को वापस लेना सही होगा.'' - अनिल नचरानी,अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन


'उद्योगों को विस्तार की अनुमित मिले': बृजमोहन अग्रवाल से मिलने आए लोगों ने कहा कि ''हमारे उद्योगों को विस्तार की भी अनुमति नहीं दी जा रही है. हम चाहते हैं कि अधिकारियों के साथ बैठकर इस पर चर्चा होनी चाहिए. हमारी समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए. उद्योग प्रगति करे लोगों को रोजगार दे इसके लिए उद्योगों का विस्तार जरुरी है. उद्योग का जब विस्तार होगा तो राजस्व भी बढ़ेगा. हम चाहते हैं कि सीएमडीसी खदानों को भी शुरु करना चाहते हैं. इस पर अधिकारी हमारी बातों को सुनें और चर्चा करें.''


छत्तीसगढ़ के इस्पात उद्योग की समस्याएं

1. कच्चे माल की आपूर्तिः छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क और कोयला संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद केवल 50% आवश्यक कच्चा माल मिल रहा है. उत्पादन क्षमताओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है.

2. बिजली की लागतः छत्तीसगढ़ शीर्ष बिजली उत्पादक राज्यों में से एक है. यहां बिजली की कीमतें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से अधिक हैं. बिजली संयंत्र कोयला खदानों के पिटहेड पर स्थित हैं लिहाजा बिजली की लागत यहां कम होनी चाहिए. इस्पात उद्योग को बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है. उच्च लागत के चलते उद्योगों के संचालन पर भारी बोझ पड़ता है.

3. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से समर्थनः यह महत्वपूर्ण है कि NMDC, SECL और BSP जैसी PSUS स्थानीय इस्पात उद्योग को कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करके समर्थन मिले. ऐसा ही समर्थन बाकी उद्योगों को भी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मिले.

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बढ़ी हुई बिजली दरें वापस लेने की मांग: मुलाकात के दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने बिजली के बढ़ रहे दामों से स्टील उद्योग पर पड़ रहे प्रभाव की जानकारी बृजमोहन अग्रवाल को दी. संगठन से जुड़े लोगों ने उद्योग से संबंधित कई अन्य तरह की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा की. मुलाकात करने आए लोगों का कहना था कि सरकार उनकी दिक्कतों को जल्द दूर करे. छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि ''ओडिशा के बाद छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है.''

''राज्य में 650 से अधिक इस्पात उद्योग हैं. इस्पात और खनिज आधारित उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था की मुख्य रीढ़ हैं. हाल के दिनों में बिजली शुल्क में वृद्धि ने उद्योगों के सामने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. डर का माहौल पैदा कर दिया है. छत्तीसगढ़ में इस्पात उद्योग एक श्रृंखला के रूप में काम करता है. पहले स्पंज आयरन का उत्पादन होता है फिर बिलेट बनाया जाता है, और उसके बाद टीएमटी बार्स तैयार होता है. तैयार उत्पाद का इस्तेमाल हमारे राज्य में नहीं होता. 85% इस्पात राज्य के बाहर जाता है. हम ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. पूरे देश को सामान आपूर्ति करते हैं. अब जब बिजली दरें बढ़ गई हैं तो हम अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे और हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. अन्य राज्यों में हमारे राज्य की तुलना में शुल्क कम किया गया है. छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली और सस्ता इस्पात बनाने के लिए बिजली का उत्पादन होता है. इस वृद्धि के कारण कल कारखाने बंद होने का खतरा है. हम उम्मीद करते हैं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर राहत प्रदान करेगी. सरकार को मिलने वाला राजस्व बहुत अधिक है और इस बिजली शुल्क वृद्धि को वापस लेना सही होगा.'' - अनिल नचरानी,अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन


'उद्योगों को विस्तार की अनुमित मिले': बृजमोहन अग्रवाल से मिलने आए लोगों ने कहा कि ''हमारे उद्योगों को विस्तार की भी अनुमति नहीं दी जा रही है. हम चाहते हैं कि अधिकारियों के साथ बैठकर इस पर चर्चा होनी चाहिए. हमारी समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए. उद्योग प्रगति करे लोगों को रोजगार दे इसके लिए उद्योगों का विस्तार जरुरी है. उद्योग का जब विस्तार होगा तो राजस्व भी बढ़ेगा. हम चाहते हैं कि सीएमडीसी खदानों को भी शुरु करना चाहते हैं. इस पर अधिकारी हमारी बातों को सुनें और चर्चा करें.''


छत्तीसगढ़ के इस्पात उद्योग की समस्याएं

1. कच्चे माल की आपूर्तिः छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क और कोयला संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद केवल 50% आवश्यक कच्चा माल मिल रहा है. उत्पादन क्षमताओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है.

2. बिजली की लागतः छत्तीसगढ़ शीर्ष बिजली उत्पादक राज्यों में से एक है. यहां बिजली की कीमतें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से अधिक हैं. बिजली संयंत्र कोयला खदानों के पिटहेड पर स्थित हैं लिहाजा बिजली की लागत यहां कम होनी चाहिए. इस्पात उद्योग को बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है. उच्च लागत के चलते उद्योगों के संचालन पर भारी बोझ पड़ता है.

3. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से समर्थनः यह महत्वपूर्ण है कि NMDC, SECL और BSP जैसी PSUS स्थानीय इस्पात उद्योग को कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करके समर्थन मिले. ऐसा ही समर्थन बाकी उद्योगों को भी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मिले.

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