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पंचायत चुनाव पर निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद, सरकार त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनाव के लिए तैयार

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकार तैयार है. पंचायती राज सचिव के बयान के बाद गेंद अब राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में है.

Panchayati Raj Secretary Chandresh Yadav
पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर संशय की स्थिति बनी हुई है. एक तरफ पंचायत प्रतिनिधि पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो वहीं सरकार का अब तक रवैया कार्यकाल न बढ़ाने का रहा है. हालांकि पंचायत प्रतिनिधियों के लगातार दबाव के बाद सरकार को इस पर विचार करना पड़ा है.लेकिन पंचायत में चुनाव से जुड़े नियम कार्यकाल बढ़ाए जाने के मामले में आड़े आ रहे हैं.

उत्तराखंड में इसी साल 27 नवंबर को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. मौजूदा स्थिति को लेकर ऐसा लगता नहीं है कि तय समय सीमा पर चुनाव कराए जा सकेंगे. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार से कार्यकाल बढ़ाने और उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनाव 13 वें जिले हरिद्वार के साथ ही 2027 में करवाने की मांग की थी. दरअसल उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाली पंचायत के चुनाव बाकी जिलों से अलग होते हैं. ऐसे में एक राज्य एक पंचायत चुनाव के तर्क के साथ पंचायत प्रतिनिधि 12 जिलों में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

पंचायत चुनाव पर निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद (Video-ETV Bharat)

उत्तराखंड में पंचायत से जुड़ा एक्ट पंचायतों के कार्यकाल में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता है. ऐसे में यदि एक राज्य एक पंचायत चुनाव की व्यवस्था करनी है तो हरिद्वार जिले की पंचायत के कार्यकाल को कम किया जा सकता है. लेकिन इस मांग को करने की बजाय पंचायत प्रतिनिधि अपने कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

हालांकि पंचायत प्रतिनिधियों के लगातार दबाव के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी और अधिकारियों को 20 अक्टूबर तक इस पर रिपोर्ट देने के लिए कहा था.इस मामले में पंचायती राज निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है. लेकिन शासन पंचायत प्रतिनिधियों के तर्क के आधार पर बाकी राज्यों में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने से जुड़ी व्यवस्था होने की बात पर अलग से रिपोर्ट तैयार करवा रहा है. पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने इसके लिए अपर सचिव युगल किशोर पंत को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है.

उधर एक्ट में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात के साथ शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ने जा रहा है. इसके अलावा पंचायती राज सचिव ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि क्योंकि एक्ट में इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए पहले से ही चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी और जब भी निर्वाचन आयोग समय सीमा तय करेगा सरकार चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है.

सरकार के पंचायत चुनाव को लेकर तैयार होने के इस बयान के साथ ही अब गेंद राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में आ गई है.ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव कराएगा या फिर इसमें लेटलतीफी की गुंजाइश होगी ये आयोग तय करेगा.
पढ़ें-परिसीमन के बाद बदल गया उत्तराखंड का जनरल नॉलेज! जानिए कब होंगे निकाय और पंचायत चुनाव

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर संशय की स्थिति बनी हुई है. एक तरफ पंचायत प्रतिनिधि पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो वहीं सरकार का अब तक रवैया कार्यकाल न बढ़ाने का रहा है. हालांकि पंचायत प्रतिनिधियों के लगातार दबाव के बाद सरकार को इस पर विचार करना पड़ा है.लेकिन पंचायत में चुनाव से जुड़े नियम कार्यकाल बढ़ाए जाने के मामले में आड़े आ रहे हैं.

उत्तराखंड में इसी साल 27 नवंबर को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. मौजूदा स्थिति को लेकर ऐसा लगता नहीं है कि तय समय सीमा पर चुनाव कराए जा सकेंगे. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार से कार्यकाल बढ़ाने और उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनाव 13 वें जिले हरिद्वार के साथ ही 2027 में करवाने की मांग की थी. दरअसल उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाली पंचायत के चुनाव बाकी जिलों से अलग होते हैं. ऐसे में एक राज्य एक पंचायत चुनाव के तर्क के साथ पंचायत प्रतिनिधि 12 जिलों में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

पंचायत चुनाव पर निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद (Video-ETV Bharat)

उत्तराखंड में पंचायत से जुड़ा एक्ट पंचायतों के कार्यकाल में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता है. ऐसे में यदि एक राज्य एक पंचायत चुनाव की व्यवस्था करनी है तो हरिद्वार जिले की पंचायत के कार्यकाल को कम किया जा सकता है. लेकिन इस मांग को करने की बजाय पंचायत प्रतिनिधि अपने कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

हालांकि पंचायत प्रतिनिधियों के लगातार दबाव के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी और अधिकारियों को 20 अक्टूबर तक इस पर रिपोर्ट देने के लिए कहा था.इस मामले में पंचायती राज निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है. लेकिन शासन पंचायत प्रतिनिधियों के तर्क के आधार पर बाकी राज्यों में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने से जुड़ी व्यवस्था होने की बात पर अलग से रिपोर्ट तैयार करवा रहा है. पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने इसके लिए अपर सचिव युगल किशोर पंत को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है.

उधर एक्ट में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात के साथ शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ने जा रहा है. इसके अलावा पंचायती राज सचिव ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि क्योंकि एक्ट में इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए पहले से ही चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी और जब भी निर्वाचन आयोग समय सीमा तय करेगा सरकार चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है.

सरकार के पंचायत चुनाव को लेकर तैयार होने के इस बयान के साथ ही अब गेंद राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में आ गई है.ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव कराएगा या फिर इसमें लेटलतीफी की गुंजाइश होगी ये आयोग तय करेगा.
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