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श्री कृष्ण जन्मभूमि V/s शाही ईदगाह; हिंदू पक्ष की दलील- जानबूझ कर मामले की सुनवाई लटका रहा मुस्लिम पक्ष - Sri Krishna Janmabhoomi

श्रीकृष्ण जन्मभूमि व आगरा स्थित शाही ईदगाह विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हिंदू पक्ष ने कोर्ट से केस की सुनवाई एक पक्षीय करने की मांग की.

शाही ईदगाह विवाद
शाही ईदगाह विवाद (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 10:15 PM IST

Updated : Aug 13, 2024, 12:26 PM IST

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में सोमवार को बिंदु तय करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष ने केस की सुनवाई एक पक्षीय करने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष पर आरोप लगाया गया कि जानबूझ कर मामले की सुनवाई लटकाना चाहते हैं, इसलिए समय से दस्तावेज दाखिल नहीं किए जा रहे हैं. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही है.

कोर्ट ने सभी पक्षकारों से लिखित बयान, जवाब और आपत्तियां दाखिल करने के बारे में जानकारी मांगी. मुस्लिम पक्ष की ओर से लिखित कथन (रिटेन स्टेमेंट) फाइल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया. जिसका हिंदूपक्ष ने विरोध करते हुए कहा गया कि सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार सम्मन जारी होने के तीस दिन के भीतर लिखित कथन दाखिल करने का नियम है. ऐसा नहीं करने पर अदालत के आदेश से कारण स्पष्ट करते हुए निश्चित समय तय किया जा सकता है. लेकिन वह समय भी 90 दिन से अधिक नहीं हो सकता. मुस्लिम पक्ष ने इस अनिवार्य नियम का पालन नहीं किया. इसलिए अब वाद एकपक्षीय तय किया जाए.

हिंदू पक्ष के वकील सत्यबीर सिंह ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने आर्डर 7 रूल 11 का प्रार्थना पत्र दाखिल की, किंतु लिखित कथन दाखिल नहीं किया. ऐसे में इस मामले को एकपक्षीय सुना जाना चाहिए. सिविल सूट संख्या 4 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से गवाहों की सूची व साक्ष्य कोर्ट में दाखिल किया गया। उन्होंने गवाहों की सूची में मुख्यरूप से जगद्गुरू रामभद्राचार्य , आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वरधाम, प्रवीण भाई तोगड़िया, आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशनंद गिरी , श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के स्थायी सदस्य परमानंद गिरी सहित कई नाम शामिल हैं.

सूट नंबर 13 के वादी व अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के वाद की पोषणीयता को लेकर दिए आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की गई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वाद की सुनवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है. इसलिए वाद बिंदु तय करने में कोई बाधा नहीं है.

सूट नंबर 7 के वकील अजय प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने एएसआई की रिपोर्ट दाखिल की थी, जो मजबूत साक्ष्य है. इसे किसी और पक्षकार ने दाखिल नहीं किया है. एएसआई रिपोर्ट इस मामले की रीढ़ है. लेकिन इसे ऑर्डर में शामिल नहीं किया गया है. कोर्ट से इसे संज्ञान लेने की अपील की.

इसे भी पढ़ें-श्रीकृष्ण जन्मभूमि-जामा मस्जिद विवाद, सीढ़ियों के नीचे दबे हैं भगवान, ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई आज

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प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में सोमवार को बिंदु तय करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष ने केस की सुनवाई एक पक्षीय करने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष पर आरोप लगाया गया कि जानबूझ कर मामले की सुनवाई लटकाना चाहते हैं, इसलिए समय से दस्तावेज दाखिल नहीं किए जा रहे हैं. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही है.

कोर्ट ने सभी पक्षकारों से लिखित बयान, जवाब और आपत्तियां दाखिल करने के बारे में जानकारी मांगी. मुस्लिम पक्ष की ओर से लिखित कथन (रिटेन स्टेमेंट) फाइल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया. जिसका हिंदूपक्ष ने विरोध करते हुए कहा गया कि सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार सम्मन जारी होने के तीस दिन के भीतर लिखित कथन दाखिल करने का नियम है. ऐसा नहीं करने पर अदालत के आदेश से कारण स्पष्ट करते हुए निश्चित समय तय किया जा सकता है. लेकिन वह समय भी 90 दिन से अधिक नहीं हो सकता. मुस्लिम पक्ष ने इस अनिवार्य नियम का पालन नहीं किया. इसलिए अब वाद एकपक्षीय तय किया जाए.

हिंदू पक्ष के वकील सत्यबीर सिंह ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने आर्डर 7 रूल 11 का प्रार्थना पत्र दाखिल की, किंतु लिखित कथन दाखिल नहीं किया. ऐसे में इस मामले को एकपक्षीय सुना जाना चाहिए. सिविल सूट संख्या 4 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से गवाहों की सूची व साक्ष्य कोर्ट में दाखिल किया गया। उन्होंने गवाहों की सूची में मुख्यरूप से जगद्गुरू रामभद्राचार्य , आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वरधाम, प्रवीण भाई तोगड़िया, आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशनंद गिरी , श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के स्थायी सदस्य परमानंद गिरी सहित कई नाम शामिल हैं.

सूट नंबर 13 के वादी व अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के वाद की पोषणीयता को लेकर दिए आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की गई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वाद की सुनवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है. इसलिए वाद बिंदु तय करने में कोई बाधा नहीं है.

सूट नंबर 7 के वकील अजय प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने एएसआई की रिपोर्ट दाखिल की थी, जो मजबूत साक्ष्य है. इसे किसी और पक्षकार ने दाखिल नहीं किया है. एएसआई रिपोर्ट इस मामले की रीढ़ है. लेकिन इसे ऑर्डर में शामिल नहीं किया गया है. कोर्ट से इसे संज्ञान लेने की अपील की.

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Last Updated : Aug 13, 2024, 12:26 PM IST
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