इंदौर: अफ्रीकी देशों में जानलेवा संक्रमण की वजह बन रहा मंकी पॉक्स का खतरा भारत में भी मंडरा रहा है. यही वजह है कि राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश में भी मंकी पॉक्स से बचाव की एडवाइजरी जारी कर दी गई है. इसके अलावा मध्य प्रदेश में इस संभावित संक्रमण से बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल को ही सबसे कारगर उपाय बताया गया है. दरअसल 2022 में मंकी पॉक्स का एक प्रकरण भारत में सामने आया था. हालांकि बारिश के दिनों में इस बीमारी के संभावित संक्रमण के चलते अब मध्य प्रदेश में भी मंकी पॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है.
यह है मंकी पॉक्स के लक्षण
इंदौर सीएमएचओ बीएस सेतिया के मुताबिक, ''मंकी पॉक्स का संक्रमण किसी जानवर द्वारा मनुष्य में होने के कारण जानलेवा संक्रमण की वजह बन सकता है. मंकी पॉक्स के वायरस का संक्रमण 14 दिन तक होता है. जिसमें शरीर पर चकते पड़ जाते हैं वहीं, बुखार के साथ तेज दर्द और हाथ पैरों में दर्द होता है. इस संक्रमण से पेट दर्द के अलावा भूख नहीं लगती एवं उल्टी के अलावा सर्दी खांसी भी हो जाती है. इसके अलावा आंखों में लालपन भी मंकी बॉक्स के संक्रमण के कारण हो जाता है. '' सेतिया के मुताबिक यह बीमारी सात से चौदह दिन में सामने आती है, जिसका समय पर उपचार होने से बीमार व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है, यह बीमारी पहले पशुओं से होकर मनुष्यों तक पहुंची है. लिहाजा इससे बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल को सबसे कारगर माना गया है.''
राहत एवं बचाव की तैयारी
इंदौर में इसके लिए कोविड प्रोटोकॉल को ही फॉलो किया जाएगा. इंदौर जिले के सीएचएमओ बीएस सेतिया ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकी पॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को इस बीमारी से कैसे निपटें, बचाव कैसे करें, इसको लेकर दिशा निर्देश दिए हैं. डॉक्टर सेतिया ने कहा है कि, ''मंकी पॉक्स से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश शासन के आदेश पर इंदौर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने भी एडवाइजरी जारी की है.''