जयपुर. छोटी काशी में हर दिशा हर कोने पर भगवान श्री राम के मंदिर स्थापित हैं, उन्हीं में से एक है छोटी चौपड़ पर स्थित है सीताराम जी का मंदिर. जयपुर की बसावट के दौरान नगर सेठ लूणकरण दास नाटाणी ने विक्रम संवत 1787 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. करीब 4200 वर्ग गज जमीन पर भारतीय स्थापत्य कला से तैयार किए गए इस मंदिर के निर्माण में करीब 300 सोने की मोहरों की लागत आई थी. यहां सीताराम जी के दो विग्रह हैं, जिनमें एक काले पत्थर से निर्मित है, जो अचल है और एक अष्टधातु से निर्मित है जो चलायमान विग्रह है. खुद सवाई जयसिंह ने यहां भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की थी. खास बात ये है कि भगवान श्री राम के अचल विग्रह के चरणों में सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं.
मंदिर में सेवा का काम देख रहे रामबाबू झालाणी ने बताया कि उनके पूर्वजों ने पूजा अर्चना कर ठाकुर जी को रिझाया, सीताराम समाज बनाया और पूर्वजों ने सीता जी का कन्यादान किया, तो ऐसे वो खुद जनकवासी हो गए और सीता माता को बहन मान लिया, इसलिए आज भी भगवान श्री राम को जीजा जी कहते हैं, उसी अनुसार यहां राम जी का विवाह उत्सव भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि जनकपुर में जब भगवान श्री राम की बारात आई थी, तो वहां 90 दिन रुकी थी. उनका भी भाव यही है कि जवाई को 45 दिन रखते हैं और उनका आदर सत्कार करते हैं.
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रामबाबू झालाणी ने कहा कि अयोध्या में उनके जवाई का मंदिर बन रहा है, तो उसको लेकर के बहुत खुशी है. उनकी बहन का महल बनने जा रहा है, इससे ज्यादा किसी भाई को क्या खुशी होगी. बीते 10 दिनों से मंदिर में नियमित भव्य आयोजन किए जा रहे हैं. इस कड़ी में भगवान के साथ होली भी खेली जा रही है. उन्होंने बताया कि जब भगवान 90 दिन मिथिला में रुके थे, इस दौरान होली भी पड़ी थी. उस पल की याद में ठाकुर जी के साथ फूलों की और अबीर गुलाल की होली खेलकर आनंद प्रकट करते हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर में 22 जनवरी को एक भव्य आयोजन होगा. हजारों लोगों को प्रीतिभोज कराया जाएगा. इसके बाद 26 जनवरी को विशाल आशीर्वाद समारोह का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जयपुर में पांच परिवार ऐसे हैं जो अयोध्या से जुड़ाव रखते हैं, इसलिए मंदिर परिवार और सीताराम समाज उन्हें बियाईजी मानते हुए, उसी तरह मनुहार करते हैं और पुरानी परंपराओं का आज भी उसी तरह निर्वहन कर रहे हैं.