अलीगढ़: एएमयू लिटरेरी फेस्ट में राजस्थान की मिट्टी और घास से तैयार खास पेपर की डायरियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. यहां पर रंग बिरंगी हाथों से तैयार डायरियां छात्रों की पहली पसंद बन रही हैं. जानिये क्या खास है इस डायरी में और इसे कैसे बनाया जाता है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक कैनेडी ऑडिटोरियम के बाहर एएमयू लिटरेरी फेस्ट का आयोजन किया जा रहा है. यहां पर छात्रों द्वारा तरह-तरह के स्टॉल लगाए गए हैं. इनमें से एक स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां पर एएमयू के पूर्व छात्रों द्वारा खास किस्म के पेपर की डायरियां बेची जा रही हैं.
डायरी में क्या है खास : डायरी के कारोबारी ने बताया डायरी में जिस कागज का इस्तेमाल किया गया है. वह राजस्थान का खास है. इन कागजों को वहां की मिट्टी की मदद से तैयार किया जाता हैं. इसकी खासियत यह है कि यह पेपर पूरी तरह से गल जाता है. इसमें सभी प्रकार के पेन पेंसिल से लिखा जा सकता है. इसको तैयार करने के लिए किसी भी तरह के पेड़ों को नहीं काटा जाता. देखने में भी यह पेपर अलग और खूबसूरत लगता है. इन डायरी को अपनी पसंद के मुताबिक भी बनवाया जा सकता है, जो हाथों से तैयार किये जाते हैं.
इसे भी पढ़ें - एएमयू से अब क्यों नहीं निकल रहे बड़े कलाकार, जानिए क्या है वजह ? - AMU CULTURAL EDUCATION CENTER
कहां से आया कारोबार का आइडिया: विंटेज डायरी की कारोबारी तैयबा ने बताया कि जब हम एएमयू के छात्र थे तब हम उदयपुर घूमने गये हुए थे. वहीं पर हमने देखा कि एक महिला मिट्टी और घास की मदद से पेस्ट बना रही थी. तब हमने उनसे पूछा, तो उन्होंने बताया कि मैं इन दोनों की मदद से कागज बनाती हूं. इन कागज को मैं कुछ लोगों को भेजती हूं. जब हमने इस कागज के बारे में जानकारी हासिल की तो मालूम चला कि इस कागज की कीमत बाजार में काफी ज्यादा है.
तैय्यबा ने बताया तभी हमने सोचा की क्यों ना हम इस कागज की मदद से खास प्रकार की डायरियां बनाकर बाजार में बेचें. इसके लिए हमने इस तरह के कागज बनाने वाली 10 महिला से कांटेक्ट किया और उनके द्वारा तैयार किए गए कागज की कीमत उनको दी. फिर हमने ऑनलाइन इस खास प्रकार के कागज की रंग बिरंगी डायरिया बनाकर बाहर देश में भी बेचना शुरू की. वहां से हमें अच्छा बिजनेस मिल रहा है.
तैयबा ने बताया कि इस कारोबार से राजस्थान की लगभग 30 महिला और पुरुष हमसे जुड़े हुए हैं, जो हमें कागज बनाकर देते हैं. हम इन पर लेदर और रेक्सीन का कवर लगाकर इनको खूबसूरत बनाकर बाहर देशो में बेचते हैं. अब हमने हिंदुस्तान में भी इनको बेचना शुरू कर दिया है.
एएमयू में क्यों लगाया स्टॉल: डायरियों के कारोबारी ने बताया क्योंकि हमने शिक्षा एएमयू से हासिल की है और एएमयू में रहते ही हमने यह कारोबार शुरू किया था. इसलिए हम लोगों ने यहां पर स्टॉल लगाया है. हमें यहां पर बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है.
एएमयू छात्र ने बताया यह डायरियां देखने में बिल्कुल अलग और खूबसूरत हैं रंगबिरंगी डायरियों के अंदर खास प्रकार का कागज लगा हुआ है. उसके बारे में बताया जा रहा है कि यह घास और मिट्टी की मदद से बनता है. इसकी वजह से यह डायरियां अपनी अलग पहचान बना रही है.
यह भी पढ़ें - पांच साल में कम हुई विदेशी छात्रों की संख्या, क्या विदेश में घट रहा AMU का क्रेज? - FOREIGN STUDENTS IN AMU